हक़ बराबर का !!! – अल्पना 

हर बार पापा मुझे ही क्यूँ रोकते है कुछ करने से …. भाई तो मुझसे छोटा है फिर भी पापा  उसको जन्मदिन पर कैमरा दिए । मैं कहती हूँ की मैं वाइल्ड लाइफ़ फ़ोटोग्राफ़र बनूँगी तो मुझे हर बार लड़की होने का एहसास करवाते है । तुम बाहर अकेली कैसे जाओगी ,लड़की हो इंजीनियर डाक्टर … Read more

 वीणा की झंकार – बालेश्वर गुप्ता

 माँ तू भी? तू तो नारी है,फिर भी मुझे ही प्रताड़ित करती रहती है, क्यूँ भला? सारे दिन कॉलेज जाने से पहले ,फिर बाद में घर का सब काम करना,और बाद में तेरी कठोर वाणी,चल वीणा पढ़ाई कर।थक जाती हूँ मां, थक जाती हूँ।         वीणा की वाणी सुन सुमन आँखों के कोर में आँसू लिये … Read more

भेदभाव क्यों ? – नंदिनी 

आराधना के दो बेटे एक बेटी थी बेटी दूसरे नम्बर की थी । बड़े बेटे आकाश की नोकरी दूर बैंगलोर शहर में थी वो अपने परिवार के साथ वही रहता था बड़ी बहु नैना भी अच्छे अमीर परिवार की चुनी थी आराधना ने , दूसरे बेटे रोहित ने अपने पिता के जाने के बाद ज्वैलरी … Read more

  प्रेतात्मका का प्रतिशोध (  भाग तीन   ) – गणेश पुरोहित 

 रामप्रकाश जिसने आज तक कभी साइकिल नहीं चलाई थी, पर आज वह बम्बई की सड़को पर कार दौड़ा रहा है। वह आत्महत्या करने घर से निकला था, पर आज बम्बई की सड़कों पर एक लग्ज़री कार में घूम रहा है। सब कुछ अचम्भित करने वाला नज़ारा है, जिसे रामप्रकाश मूक दर्शक की तरह बैठा हुआ देख … Read more

 प्रेतात्मका का प्रतिशोध (  भाग दो   ) – गणेश पुरोहित

रामप्रकाश को बैठे-बैठे ही बहुत गहरी नींद आ गई। जब उसकी आंख खुली तब सुबह हो गई थी। तकरीबन आठ-नो घंटे की भरपूर नींद के बाद उसे ताजगी महसूस हो रही थी। एक दिन पहले की रात को वह एक दु:स्वपन समझ कर भुलना चाहता था, परन्तु उस रात के घटनाक्रम की स्मृतियों ने उसके … Read more

सासु माँ और सीसी टीवी – रश्मि प्रकाश

“भाभी ये लो फोन मम्मी को कुश को दिखा दो।” कहते हुए ननद नित्या ने फ़ोन राशि की तरफ़ घुमा दिया  “ अरे बहू से क्या खिला रही है मेरे राजकुमार को… अरे कुछ अच्छा बना कर खिलाया कर.. ये नहीं जरा कुछ घर में पका कर बनाले..जब देखो ये मार्केट की चीजें ले आती … Read more

ताने बानो से बुना परिवार – स्नेह ज्योति

दिल्ली स्थित साकेत में चोपड़ा नामक एक परिवार रहता है।कहने को मिस्टर चोपड़ा जी के दो बेटे,बहुए,पोता-पोती एक संपन्न परिवारहै।दोनों भाई एक ही छत के नीचे रहते है लेकिन उनकी रसोई अलग है।जयसिंह पेशे से एक व्यवसायी है,जब की वीर एक सरकारीनौकरी करने वाला सीधा-सादा नरम दिल का मालिक। बड़े भाई के दो बेटे एक … Read more

अधिकार का मोह – के कामेश्वरी 

उमा की शादी नहीं हुई थी वह पैंतालीस की हो गई थी माता-पिता उसके लिए रिश्ते ढूँढते हुए थक गए थे ऐसा नहीं था कि वह खूबसूरत नहीं है कहते हैं कि संजोग नहीं है । पिताजी की मृत्यु के बाद उसने पूरे कारोबार को अपने हाथों में ले लिया था । एक ही छोटा … Read more

ये रिश्ता क्या कहलाता है – अंजू निगम

दीवार घड़ी ने नौ बजाये। श्वेता की घबराहट बढ़ रही थी|”जब वो जानती थी कि पापाजी की याददाश्त कमजोर पड़ रही हैं तो यूँ उन्हें अकेले चले जाने की बात वो टाल क्यों न पाई? लाख वे जिद पर अड़े रहते पर जब सुदेश भी दो दिनो के लिए शहर से बाहर हैं तो उसे … Read more

 घर-घर – गुरविंदर टूटेजा 

मध्यमवर्गी परिवार है रामानुज जी का वो रिटायर हो गए हैं पेन्शन आती है..पत्नी राधिका गृहणी हैं…दो बेटे-बहुएँ व पोते-पोती भरा पूरा परिवार हैं..!!!!   सबकों साथ में खुश देखकर बहुत खुश होतें है….राधिका को पता है कि सब अच्छा है पर दोनो बेटो की कमाई का फर्क का असर तो है पर थोड़ा तो सब … Read more

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