मासूम फूल मुरझाने ना पाए – संगीता अग्रवाल 

निशा अपनी बेटियों के कमरे मे बैठी एक कॉपी लिए लगातार आंसू बहा रही थी। वो कॉपी थी उसकी बड़ी बेटी श्रेया की। वो श्रेया जो कभी निशा की जान थी पर जबसे उसकी दूसरी बेटी पीहू आई तबसे ना जाने निशा को क्या हो गया वो बात बात पर श्रेया के साथ भेदभाव करती … Read more

जाकी रही भावना जैसी – पूनम अरोड़ा

ईशा रोज  स्कूल से  आके जब बस से उतरती  तो  गेट पर अपनी जितनी उम्र  की लड़की को बैठे देखती । समझ नही आता कि वो इस समय रोज यहाँ  अकेली क्यों  बैठती है और क्यों ? शक्ल से वो भिखारी भी नहीं  लगती थी न ही उसके हाव भाव ऐसे थे कि कुछ माँगने … Read more

चिड़िया उड़ जायेगी  – डा.मधु आंधीवाल

दादी ने अपनी लाडली पोती से कहा — देखो मानसी अब तुम्हारा सम्बन्ध पक्का होगया । रोका हो गया । एक बात गांठ बांध लो बेटा ससुराल की बड़ी बहू बन कर जा रही हो । सम्बन्धों को एक जगह बांध कर रखना तुम्हारी परीक्षा है। मानसी– दादी आपने मुझे जो संस्कार दिये हैं आपको … Read more

झूठी अमीरी का झूठा दंभ –  पूजा मनोज अग्रवाल

सुशीला,,,, तुम्हें कितनी बार कहा है,,।।यूं रोज़ रोज़ मेरे सामने बहू की बुराई ना किया करो,,,।। पता नहीं रोज़ की चिक चिक में तुम्हें क्या मज़ा आता है । हां – हां !!मैं ही तो चिक चिक करती हूं,,। तुम्हारी बहू तो दूध की धुली है । तुम जानते नहीं कितनी चालाक है,,,अपने त्रिया चरित्र … Read more

ऐसी भी बहू होती हैँ  – मीनाक्षी सिंह

अरे ज़िज्जी ,ये क्या बहुरिया अभी तक सो रही हैँ ! कोई शर्म हया हैँ कि नहीं ! अभी ब्याह को छह  महीने हुए हैँ ! अच्छा लगता हैँ ! घर में मेहमान आयें हैँ महारानी बिस्तर पर हैँ ! हमाई तो चार बजे से पांच मिनट भी लेट उठी तो इतनी खरी खोटी सुनाती … Read more

मेरी हम सफर – डा. मधु आंधीवाल

” चलते चलते मुझे कोई मिल गया था “       सुनिधि बड़ी  गहराई में उतर कर ये गाना सुन रही थी । सोच रही थी जिन्दगी में कभी कभी इतनी आकस्मिक घटनायें घट जाती है जो सोच से परे होती हैं । सुनिधि की परीक्षा चल रही थी एम.ए फायनल दो पेपर रह गये थे ।  … Read more

साझा घर – हरीश कण्डवाल मनखी

विमल पूरे देश विदेश घूमने के बाद वह जब पहली बार अपने गाँव आया तो उसे लगा की उसने गाँव आने में देरी कर दी, उसका गांव अब सड़क से जुड़ चुका है, सभी सुविधाएं जो गाँव मे होंनी चाहिए वह है, दो  दिन गांव में रहा। गाँव मे रहकर यँहा की साधारण जीवन और … Read more

छोटी सी बात – नीलम सौरभ

“चलो यार जल्दी! हाथ-वाथ धोओ, कैंटीन चलते हैं….भूख से जान निकल रही है!” लंचब्रेक होते ही उमंग ने अपनी जगह साफ की और पहना हुआ सफेद एप्रन उतारते हुए साथ में प्रैक्टिकल कर रहे देवांग और सागर से कहा।___”हाँ हाँ चलो! आज तो लैब के केमिकल्स की स्मेल से तो मेरा सर ही घूमने लग … Read more

घर के बच्चों में भेदभाव कैसा? – रश्मि प्रकाश 

राशि जब से ब्याह कर अपने ससुराल आई कुछ बातों को देखकर उसका मन बहुत विचलित हो जाता था पर वो नई होने के नाते कुछ बोल नहीं पाती थी… उपर से उसकी बड़ी जेठानी रचिता वो तो बच्चों के सामने ही भेदभाव कर दिया करती थी… पर आज जो राशि ने देखा उसे लग … Read more

हमारा -परिवार – संगीता श्रीवास्तव

  ” तुम हमारे घर के मामलों में दखल मत दो , यह ‘हमारा परिवार’ है मेरा नहीं।” झल्लाते हुए मधुरिमा ने अपनी सहेली निकिता से कहा। “मुझे कैसे क्या करना है मैं जानती हूं। आज बाबू जी होते तो शायद…….  उन्होंने मरने से पहले मुझसे कहा था ,”बहु मेरे बाद बड़ी बहू होने के नाते … Read more

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