वाह पापा ,दोस्ती हो तो आप जैसी  – मीनाक्षी सिंह 

अनीता,घर की नई नवेली बहू ,जिसके ब्याह को अभी 8 माह ही हुए थे ,घूंघट किये ,घर के  बाहर गेट पर कूड़े वाली गाड़ी में कचरा फेंक रही थी कि तभी उसे एक बुजूर्ग आदमी मैली कुचैली धोती कुर्ता पहने हाथ में लाठी लिए ,आँखों पर चश्मा लगाये  ,अनीता के घर की तरफ टकटकी लगाये, … Read more

हक – नन्दिनी

मालती जी का भरा पूरा परिवार तीन बेटे तीन बहुएँ छोटे बेटे की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई । पोता पोती से भरा पूरा परिवार भूली न समाती थीं मालती जी पूरे घर पर राज था ,सब काम उनके हिसाब से ही होता तीज त्यौहार पर क्या बनेगा , बहु मैके कब जाएगी … Read more

विदाई – अभिलाषा कक्कड़

वकील जयराम ने फ़ोन रखते ही अपनी ओर आँखें गड़ाये पुरे परिवार की ओर देखा । सब बड़ी आस लगाए उनकी ओर देख रहे थे । बेटी प्रीति कोने में चुपचाप बिना कोई उत्सुकता दिखाये आराम से बैठी अपना टी वी देख रही थी । जैसे वो जानती थी कि जवाब क्या है ।माँ यशोदा … Read more

 ‘ सच्चा सुख ‘ –   विभा गुप्ता

 आज पूरा घर रंग – बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।ममता दुल्हन बनी अपने होने वाले पति के सपनों में खोई बारात के आने का इंतज़ार कर रही थी।बचपन से वह राजकुमार-सा पति ,बड़ी गाड़ी , नौकर- चाकर और सुख -सुविधाओं से भरे घर का सपना देखती आई थी जो आज पूरा होने जा रहा … Read more

“पोते की चाहत में पोतियों के साथ भेदभाव क्यों???” – अमिता कुचया

वो मासूम सी लड़की क्या जानती थी कि उसे दुआ नहीं बल्कि कोसा जा रहा है। वह निधि अपनी मां की तीसरी संतान थी। पहली और दूसरी लड़की होने के बाद भी घर में तीसरी लड़की के रूप में  निधि के होने से घर निराशा ही बनी रही। जबकि दादी को तो पोते की चाहत … Read more

भेदभाव की हद। – रश्मि सिंह

सीमा-मेय आई कम इन सर। सुनील (सीमा के बॉस)-कम इन सीमा। सीमा-गुड मॉर्निंग सर। देयर आर सम फ़ाइल्स फॉर योर प्रायर अप्रूवल, सो काइंडली साइन दीज़ फ़ाइल्स। सुनील (सीमा के बॉस)-ओह हाँ, दीज़ आर सो इंपोर्टेंट, इन्हें आगे तुरंत फाइनल अप्रूवल के लिये भेजो। सीमा-सर पर अंकित भैया (प्यून) तो आए नहीं है, तो डायरेक्टर … Read more

थैंक्यू मेरी बिटिया रानी – आरती झा आद्या

सुनो ना मैं सोच रहा था अब तुम किसी स्कूल में शिक्षिका बन जाओ … बीएड करने के बाद से तुम्हारी डिग्री धूल ही खा रही है। धूल झाड़ते झाड़ते ऊब गई होगी तुम भी… बड़े प्यार से कृपा के पति श्याम ने सुबह की सैर करते हुए कहा। और घर बच्चे कौन देखेगा… कृपा … Read more

अस्तित्व की तलाश …(भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव 

..क्या नौकरी लग गई तुम्हाई तुम्ही बता दो मुझे नही पढ़ना तुम्हारा ये बकवास नियुक्ति पत्र… अवाक और कुछ नाराज पिता के पूछने पर मानस ने जैसे ही शिक्षक की नौकरी मिलने की बात  बताई राघव जी तो आगबबूला ही हो गए …शिक्षक की नौकरी करोगे अब  !! इतनी वर्षो की हमारी जमी जमाई इज्जत … Read more

” मेरी बेटियां ” – सीमा वर्मा

आज उनके घर पति की तेरहवीं थी।  बेतरतीबी से पहनी हल्के हरे रंग की साड़ी आंखों में गहन उदासी उनकी चिर- परिचित सहज सौम्य रूप से बिल्कुल भी मेल नहीं खा रही थी। उनके साथ- साथ उनकी तीन बेटियां उनकी छाया की तरह पीछे लगी हुई थीं। उन्होंने मुझे आते देख होंठों पर जबरन मुस्कान … Read more

संघर्षरत बेटी –  मुकुन्द लाल

 सपना सजने-धजने और अपनी औकात के अनुसार मामूली संसाधनों से अपना श्रृंगार करने में ऐसा मशगूल हो गई कि उसे पता ही नहीं चला कि साहब के निवास में पहुंँचने में मात्र घंटे-भर ही बचे हैं।   जब निर्धनता की चक्की में पिस रहे उसके परिवार को दो वक्त की रोटी पर भी आफत आ गई … Read more

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