मां का अंधविश्वास या भेदभाव – शुभ्रा बैनर्जी 

भेदभाव एक सर्वव्यापी सामाजिक बुराई है,जिसका सूत्रपात परिवार से होता है और सूत्रधार होतीं हैं औरतें।पुरुष का योगदान नगण्य है।रजनी के परिवार में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मिला,ननद के प्रथम प्रसव के समय।रजनी ने चार महीने पहले ही एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया था सामान्य प्रसव द्वारा।अब नव ब्याहता ननद आई थी प्रसव के लिए।रजनी … Read more

संस्कार – नीलिमा सिंघल

ये क्या कर रही हो निशा तुम…..अपनी पत्नी निशा को कमरे में एक और चारपाई बिछाते देख मोहन ने टोकते हुए कहा … निशा – मां के लिए बिस्तर लगा रही हूं आज से मां हमारे पास सोएगी…. मोहन- क्या ….. तुम पागल हो गई हो क्या … यहां हमारे कमरे में …और हमारी प्राइवेसी … Read more

विरासत – नीलिमा सिंघल

महेश के घर आते ही बेटे ने बताया कि “वर्मा अंकल आर्टिगा गाड़ी ले आये हैं। “ पत्नी सरला ने चाय का कप पकड़ाया और बोली  “पूरे 13 लाख की गाड़ी खरीदी और वो भी कैश में। “ महेश हाँ हूँ करता रहा। आखिर पत्नी का धैर्य जवाब दे गया,”हम लोग भी अपनी एक गाड़ी … Read more

ना,ना छूना नहीं – सुषमा यादव

हमारे देश में बहुत तरह के सामाजिक , पारिवारिक आर्थिक, धार्मिक, प्रादेशिक और जातिगत भेद-भाव है,  जातिगत भेद-भाव से हमारा तात्पर्य है कि जाति के आधार पर लोगों के साथ भेद-भाव करना। बहुत से लोग विशेषकर अनुसूचित जाति और निम्न जाति के लोग आज आजादी के बरसों बाद भी इस भेद-भाव से जूझ रहे हैं। … Read more

गलती किसकी..? – रोनिता कुंडू

रीमा और सिया दो बहने थी…. जहां रीमा को अपना हर काम मेहनत और लगन से पूरा करने का जुनून था…. वहीं सीमा को हर काम जल्दबाजी में करना पसंद था… रीमा कोई भी काम को समय से पूरा नहीं कर पाती थी, क्योंकि उसकी बारिकियां छांटते छांटते उसे वक्त लग जाता था और सिया … Read more

कभी कभी ननद को भी खर्च  कर देना चाहिये – मीनाक्षी सिंह 

मीरा बड़ी ख़ुशी से माँ के घर आयी पूरे एक साल बाद गर्मियों की छुट्टी में ! माँ पिछली साल गुजर गयी ! पापा जब वो 8 साल की थी तभी परलोक सिधार गए ! उसे लगा भईया ,भाभी वैसी ही इज्जत देंगे जैसी माँ के सामने मिलती थी ! वैसे भी मीरा को फुर्सत … Read more

#टैग का है जमाना भेदभाव से करो किनारा – स्नेह ज्योति

भगवान भी कंफ्यूज किस की सुने ! किस की नहीं !! जहाँ आशा की तेज-तेज चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, वही संजीव और उसकी माँ की राम नाम जपते हुए “भगवान इस बार मुझे लड़का चाहिए पहले भी लड़की हो गयी,पर इस बार मेरी लाज रख लो भगवान“। तभी नर्स बाहर आते हुए मुबारक … Read more

प्यार…धोखा और…. मर्डर – संगीता अग्रवाल

मै बालिग़ हूँ अपने फैसले कर सकती हूँ आप लोगो को कोई हक नही मुझपर अपने फैसले थोपने का !” सरला जी के कानो मे अभी तक बेटी रिया के ये अंतिम शब्द गूँज रहे थे जो उसने चार दिन पहले घर छोड़ने से पहले कहे थे । कितना समझाया था उनके पति और रिया … Read more

गृहणी –  रंजना वर्मा उन्मुक्त

गौरी अपने पति से बड़ी नाराज थी। क्यों वह उसे शहर ले आया? वह अपना गाँव छोड़कर नहीं आना चाहती थी ।गाँव के साथ उसकी बहुत सारी यादें जुड़ी हुई थी। वहीं उसका जन्म हुआ और वहीं वह पली-बढ़ी ।वहीं उसके माता-पिता ,भाई-बहन और ससुराल में सास- ससुर रहते थे। इसके अलावा उसका पति हर … Read more

“सास हो तो ऐसी” –  कविता भड़ाना

घर का माहौल आज बड़ा बोझिल सा हो रहा था  कांता जी कई दिनों से ये बदलाव महसूस तो कर रही थी की दोनों बहुएं आपस में ना तो बात कर रही है और ना ही पहले की तरह घर के कामों में खुशी खुशी सहयोग ही कर रही है,पर उन्हें समझ नही आ रहा … Read more

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