रिक्त स्थान (भाग 9) – गरिमा जैन

अगले दिन सुबह सुबह रेखा की घर की घंटी बजती है रेखा भागते हुए दरवाजा खोलती है “यह रूपा ही होगी वही लगातार घंटी बजा बजाकर मुझे सांस भी नहीं लेने देती। रुक जा रूपा की बच्ची अभी बताती हूं तुझे” रूपा उछलते हुए अंदर आती है उसके हाथ में अखबार था। “देख रेखा पेज … Read more

रिक्त स्थान (भाग 8) – गरिमा जैन

हेलो रेखा मैम, मैंने आपको यह बताने के लिए फोन किया था कि अगले हफ्ते शनिवार की शाम रेडिसन होटल में आपकी लॉन्च पार्टी का आयोजन किया गया है ।इससे जुड़ी कुछ विशेष बातें हैं जिसकी जानकारी आपको ऑफिस में दी जाएगी। आज आपको ठीक 1:00 बजे ऑफिस पहुंच जाना होगा । हमारे सारे एक्सपर्ट … Read more

रिक्त स्थान (भाग 7) – गरिमा जैन

रेखा अपने कमरे में बैठी ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। उसके दिन भर की सारी खुशी जैसे काफूर हो गई थी ।उसे बहुत बुरा लग रहा था उस खबर के बारे में सोच के जो इस समय लगभग सारे न्यूज़ चैनल दिखा रहे थे ।तभी कमरे में आती है रूपा, रूपा को देखकर रेखा … Read more

रिक्त स्थान (भाग 6) – गरिमा जैन

आज रेखा के फोटो शूट का पहला दिन है। वह बहुत घबराई हुई है ।ऑफिस से लगभग 15,20 मिनट की दूरी पर एक स्टूडियो है जहां पर शूटिंग होनी है । स्टूडियो एक काफी ऊंची बिल्डिंग के दसवें माले पर है । रेखा को डर है कि वह कैसे कैमरे को फेस कर पाएगी ।बचपन … Read more

रिक्त स्थान (भाग 5) – गरिमा जैन

रेखा की नींद सुबह 5:00 बजे ही खुल जाती है ।उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह आज क्या पहनेगी ।इतनी उलझन तो उसे कभी नहीं हुई ।आज तो उसे हल्का सा मेकअप लगाने का भी मन था और उसने अपनी मम्मी से उनका फेवरेट परफ्यूम भी मांगा था ।उसका मन कर रहा … Read more

रिक्त स्थान (भाग 4) – गरिमा जैन

हेलो रूपा तू मेरे साथ कोचिंग देखने के लिए चलेगी आज।  “हां रेखा चलना तो है लेकिन सुना है कोचिंग के रेट थोड़े हाई हैं। कैट की कोचिंग हर जगह ही महंगी है। यहां पर चार इंस्टॉलमेंट में पैसे देने होंगे। हर एक इंस्टॉलमेंट तीस हजार की होगी और इससे अच्छी कोचिंग भी है।” अरे … Read more

उतरन  – रश्मि पीयूष

शीतल आज बहुत अच्छा महसूस कर रही थी। एक सप्ताह से घर में मेहमानों का आना जाना लगा हुआ था। आज सुबह बेटा बहू भी हनीमून के लिए निकल गए। सारे मेहमान जा चुके थे। घर में केवल शीतल ओर बड़ी जेठानी रह गई थी। उसने चाय बनाई और एक कप जेठानी को देकर खुद … Read more

प्रेतात्मा का प्रतिशोध  (भाग-5) – गणेश पुरोहित

उसके छ: भाई-बहन थे- पांच बहने और एक भाई। पिता प्राइमरी स्कूल टीचर थे। किराये के एक छोटे से मकान में रहते थे। एक सीमित आमदनी में उनके परिवार का मुश्किल से गुजर बसर होता था। उसकी दो बड़ी बहने थी। पुत्र की आस में माता-पिता ने उसे पैदा किया था। यदि पुत्र पहले आ … Read more

 प्रेतात्मा का प्रतिशोध  (भाग-4) – गणेश पुरोहित 

राम प्रकाश देर तक कागजों में और लेपटॉप से कम्पनी के संबंध में कई तरह की जानकारियां ढूंढता रहा। अलसुबह सोया और दोपहर बाद उठा। कमरे से बाहर देखा तो उसे पूरे घर में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई दिया। शायद घर के सारे नौकर डर के मारे भाग गये थे। मालकिन भी धर … Read more

दिल का कारीगर – संजय मृदुल

एक देश के एक छोटे से शहर में एक दिल का कारीगर रहता था। बड़ा नाम था उसका। देश दुनिया के लोग आते उसके पास अपना टूटा, फूटा दिल मरम्मत कराने के लिये। वो हर प्रकार की मरम्मत में माहिर था। उसका बनाया हुआ दिल लगता ही नहीं था कि कभी टूटा होगा। उसके हाथों … Read more

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