वो सुनसान रात – कामिनी मिश्रा कनक

चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा , बादल और बिजली की आवाजे । दर्द से चीखती कमला तड़प रही थी अचानक ही कमला को प्रसव पीड़ा होती है । कमला घबरा जाती है , बहुत चीखती है , चिल्लाती है , दर्द से तड़पती है , अपने पास किसी को बुलाने की बहुता कोशिश करती है … Read more

शीर्षक-छुटकी का पत्र  – गीता वाधवानी

एक सेठ थे नाम माणिक चंद। कई कारखाने, कई बंगले, बड़ी-बड़ी गाड़ियां गाड़ियों में अलग-अलग ड्राइवर, नौकर चाकर और भरा -पूरा परिवार सब कुछ था उनके पास, सिर्फ एक चीज की कमी थी वह था चैन। ना जाने क्यों उनका मन सदा बेचैन रहता था, मन में बिल्कुल शांति नहीं थी।  उन्हें खुद पता नहीं … Read more

माँ मुझे गोद ले लो – संगीता अग्रवाल

वृद्धाश्रम मे बहुत गहमगहमी थी ऐसी क्या बात है जो नम्रता बिटिया ने यहाँ इकट्ठा होने को कहा है  सभी बुजुर्ग आपस मे यही चर्चा कर रहे थे । वृद्धाश्रम का वो हॉल जिसमे सभी बुजुर्ग खाना खाते थे वो आज शाम के वक़्त भी गुलजार था वरना इस समय सभी कमरों मे होते है … Read more

“बहु वचन” – रमेश चंद्र शर्मा

” क्या माताजी जी आप भी बड़ी कंजूस हैं ।आपकी  गांठ से पैसे छूटते ही नहीं? आजकल तो फल सब्जियां कितनी महंगी हो गई है, ऊपर से बच्चों की पढ़ाई भी”    आज सुनंदा का मूड कुछ ज्यादा ही खराब था। उसने माताजी के पेंशन की डायरी मांगी  देख ली थी । “अरे वाह रुपया तो … Read more

अब कभी झगड़ा नहीं करूँगी…. – रश्मि प्रकाश

“ जी आप मिसेज़ सिंह बोल रही है… आपके पति का रोड एक्सीडेंट हो गया है ।” कहते हुए उस अनजान से नम्बर ने एक अस्पताल का पता बता रम्या से  जल्दी आने को कह फोन काट दिया  रम्या घबराते हुए पति को फ़ोन लगाने लगी पर ये क्या फोन लग ही नहीं रहा था…. … Read more

बेवजह चिंता – के कामेश्वरी

काव्या  के माता-पिता की मृत्यु के बाद मामा ने ही उसकी और उसकी बहन सुजाता के पालन पोषण की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी । उनके खुद के भी बच्चे थे इसलिए इन दोनों को उन्होंनेपढ़ाया नहीं था लेकिन घर के कामकाजों में माहिर बना दिया था । उसकी शादी उसके मामा ने … Read more

फिर मिलेंगे ! – अनिल कान्त 

लगता नही था ये क्रिसमस ईव से पहले का दिन है । ठीक उसका दिसम्बर न लगने जैसा । जब तक कोई खुद से न कहे कि यह दिसम्बर है । सड़क का एक छोर आते-आते पुल पर ख़त्म होता था । सड़क कहाँ ? शायद पगडण्डी कहना ठीक हो । जो वह पहले कही … Read more

भेदभाव का परिणाम  – पुष्पा जोशी

मंगला देवी और दिनेश जी मध्यमवर्गीय परिवार के दम्पति थे, उनकी दो बेटियां थी सूजी ५ साल की और रूही ३ साल की दोनों बहुत खुश थे. मगर दिनेश जी की माँ घर में हमेशा क्लेश करती थी.उनके, क्लेश का कारण था, कि उन्हें एक पौते की ख्वाहिश थी, हमेशा यही कहती, बेटियां पराया धन … Read more

आखिर भेदभाव क्यों? – संगीता श्रीवास्तव

“तुम मानो या ना मानो धीरन की अम्मा! तुम्हारे बहुरिया के कोख में ही खोट हवे, तभी तो दोनों बार बहुरिया ने बेटी ही जनम दीहो है।”पड़ोसन सरला देवी ने बेधड़क, सुलोचना जी से कहा। कुछ और बातें सरला देवी कह न दे इसलिए सुलोचना जी ने उन्हें इधर -उधर की बातों में उलझाए रखा … Read more

नयी बहू – भगवती सक्सेना गौड़

पढ़ी लिखी इंजीनियर बहू आरती आयी थी, घर मे, सासु पूजा देवी, ठहरी गांव की दसवीं किसी तरह पास करी हुई। जब से शादी तय हुई, मन ही मन बहुत परेशान थी, अभी तो घर मे सिर्फ बेटा अक्षय और उसके बाबूजी ही अनादर करते थे। कुछ बात चल रही हो और अगर पूछ लें … Read more

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