पतोहू (बहू ) हो तो ऐसी – रश्मि सिंह

सुदीप-हमने सुना है पुराने जमाने में तो बहू के आने पर बुआ, मौसी, चाची सब कई तरह की परीक्षाएँ लेते थे, आपके यहाँ भी बड़ा पुराना तौर तरीक़ा और इतना बड़ा परिवार है, हमारी चाँदनी (सुदीप की भांजी) बहुत सीधी है वो ये सब चालाकियाँ नहीं समझ पायेंगी, तो ध्यान रखिएगा। सरला (चाँदनी की सास)-आप … Read more

मम्मी जी,दूसरों की बहू तो सबको अच्छी लगती है – गीतू महाजन

निलिमा जी के बेटे प्रशांत की शादी को लगभग एक महीना हो चला था।नीलिमा जी बहुत सोच समझकर अपने लिए बहू चुन कर लाई थी।उनके अनुसार बहू ऐसी होनी चाहिए थी जो कि कामकाजी भी हो और बड़ों का लिहाज करना भी जानती हो और घर में रच बस भी जाए पर निलिमा जी की … Read more

विश्वासघात – के कामेश्वरी 

नारायण के ऑफिस से आते ही जानकी ने कहा कि सुनिए आज अजय के लिए एक रिश्ता आया है । मेरी बात तो वह नहीं सुनेगा आप ही उसे समझाइए।   नारायण ने कहा कि— जानकी तुम्हें मालूम है न कि अजय सिर्फ़ बी कॉम पास है और एक छोटी सी कंपनी में नौकरी करता है … Read more

औरत को इतना भी नसीब नहीं होता – मीनाक्षी सिंह

सुरभी ,शाम को तैयार हो जाना और बच्चों को भी कर देना…घूमने चलेंगे …कई दिन हो गए ,तुम लोगों को कहीं घुमाया नहीं हैँ…खाना भी बाहर ही खायेंगे ,,कुछ बनाना मत …पतिदेव के मुंह से ये शब्द सुन सुरभी ख़ुशी से झूम उठी…. विक्रम मैं क्या पहनूँ ,वेस्ट्रन य़ा साड़ी …कुछ भी पहन लो यार … Read more

संस्कार – सुधा शर्मा 

रास्ते भर सोचते हुये आ रही थी सुशीला जी ‘ पता नहीं इस लड़की ने क्या गजब किया जो माला जी ने कह दिया कि निशा की बहुत शिकायतें इकट्ठी हो गई है जब भी समय और सुविधा हो तो आने का प्रयास कीजियेगा।    शहर में ही शादी की थी उन्होंने बेटी की ।वैसे तो … Read more

खुशी की किरण –   रीता खरे

 “आज फिर पूनम की रात, वही पूर्ण चांद, जिसने अपनी चांदनी से सारा जहां  दुधिया  रंग में रंग दिया है, कितनी सुन्दर लगती है, फिर .. फिर क्यों? इस इतनी उज्जवल रात ने मेरे मन को इतना मलिन कर दिया, क्यों यह पूनम की रात मेरे जिंदगी में अपने हिस्से की थोड़ी सी किरणें नहीं … Read more

 रूबरू – पुष्पा कुमारी “पुष्प”

“रात काफी हो गई है अतुल!. जाओ सो जाओ।” धीरे से बिस्तर पर करवट लेते हुए उसने अभी-अभी फिर से अपने कमरे के भीतर आते बेटे की ओर देखा… “नहीं!.नींद नहीं आ रही है।” अतुल ने पिता की बात को नजरअंदाज कर दिया। आज अचानक फिर से तबीयत नासाज हो जाने की वजह से बिस्तर … Read more

उसका अपराध आत्महत्या थी । – अनिल कान्त

प्रथम बीयर के अंतिम घूँट के साथ ही उसकी आँखें बहकने लग गयीं । अभी चार की गिनती शेष थी । हम सन् 2002 की बीती सर्दियों की शाम को याद करके पीने में ख़ुशी महसूस कर रहे थे । उसके पास उन सर्दियों को याद करके ख़ुशी मनाने का अच्छा बहाना रहता था । … Read more

बिजली गिर गई  – गौतम जैन

रात गहन अन्धकार में सन्नाटे को चीरती हुई मुसला-धार बारिश….सांय-सांय की आवाज के साथ तूफानी हवाएं…..रह रह कर आसमान का सीना चीरकर कहर बरपाती बिजलियां ….. और गड़गड़ाहट …… वातावरण को बेहद भयावह बना रही थी ।         तेज हवाएं कार की गति अनियंत्रित कर रही थी ।बड़ी मुश्किल से धीरे धीरे कार आगे बढ़ रही … Read more

परिवार की दीप्ति – बालेश्वर गुप्ता

 सब ठीक हो गया है, सनी,तुम बिल्कुल भी चिंता मत करना,मैं हूँ ना,सब सम्भाल लूंगी।पापा अब बिल्कुल ठीक हैं।        क्या हुआ है,दीप्ति, पापा को क्या हुआ है?तुम क्या बोले जा रही हो,तीन दिन से तुम्हारा फोन भी नही लग रहा है, मुझे वैसे ही चिंता हो रही थी।मुझे सब बात तो बताओ?      रमेश बाबू और … Read more

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