एक बहू ऐसी भी – कामिनी मिश्रा कनक

माजी सुनती है 12:00 बज गए हैं  मैं जा रही हूं अब सोने के लिए ।  बस 2 मिनट रुक जाओ मैं ब्रश करके आ रही हूं । फिर थोड़ा मेरे पैरों में तेल लगा देना आज बहुत दर्द हैं। मीना – सासू माँ के इंतजार में तेल लेकर बैठ जाती है । 2 मिनट … Read more

वैशाली ,माँ पापा ने भी कह दिया हैँ ,बहू को ले जा अपने साथ – मीनाक्षी सिंह 

एक तरफ पापड़ सुख रहे हैं ,दूसरी तरफ दाई ,अभी हाल ही जन्में लल्ला  को घी से मालिश कर रही हैँ ! ससुर जी एेनक् लगाये घर के बाद नीम के पेड़ के नीचे कुरसी पर बैठे अखबार पढ़ रहे हैँ ! गांव के  आस पास के 7-8 बुजूर्ग पुरूष भी दिनानाथजी (ससुर जी ) … Read more

लोग क्या घर चला देंगे – मीनाक्षी सिंह

सिम्मी अपनी पड़ोसन विमला ,रजनी ,कामिनी की बातों से बहुत परेशान रहती थी ! यहाँ तक कि उनकी टोकाटाकी की आदत से वो अब अपने घर से देखकर निकलती थी कहीं तीनों पंचाईतीन बाहर खड़ी तो नहीं ! एक दिन सिम्मी  के पति विमला को बगीचे में शाम  के समय पानी डालते दिख गए होंगे … Read more

अटूट रिश्ता – डॉ पुष्पा सक्सेना 

फोन की बेल होते ही पंडित राम चरण जी ने फोन उठाया था.मन में धुकधुकी थी इतनी रात में न जाने किसने फोन किया है. राम सब कुशल करें. फोन के दूसरे सिरे से आ रही आवाज़ ने पंडित जी को संज्ञाशून्य कर दिया. हाथ से फोन का चोगा छूट कर गिर गया, धरती पर … Read more

एक मीरा ऎसी भी – डॉ पुष्पा सक्सेना

डिनर के बाद प्लेजर ड्राइव पर जाते प्रतीक ने पूछा था,यहाँ कोई बार देखा है, आंटी?बार? भला बार से मेरा क्या नाता? क्या करूँगी मैं वहाँ जाकर? वाह! यू एस ए घूम रही हैं और बार में नही गईं। चलिए आज वहाँ ‘कोक’ पीकर आते हैं। मुड़कर पीछे बैठे सुनील से प्रतीक ने पूछा … … Read more

अम्मा – रचना कंडवाल

श्याम लाल जी सुबह फ्रेश हो कंधे पर तौलिया डाल कर नहाने बाथरूम में प्रवेश करने ही वाले थे। अम्मा जो अभी अच्छी भली बाहर बरामदे में बैठकर धूप सेंक रही थी उनके करूण क्रंदन ने उन्हें बाहर आने पर मजबूर कर दिया। श्यामू ओ श्यामू ! बाहर निकल तेरे घर में मेरा गुजारा नहीं … Read more

मेरी बहू सब से अच्छी – उमा वर्मा 

।जी हाँ ।मै अपनी प्यारी बहु की कहानी कहने जा रही हूँ ।एक सुखी गृहस्थी थी उमा की।अच्छे पति, दो प्यारे बच्चे ।घर में सम्मिलित परिवार ।सास ससुर, जेठ जेठानी उनके बच्चे ।सब साथ रहते हुए भी बहुत खुश थे।पति की सरकारी नौकरी थी ।सारी सुख सुविधा मिली हुई थी ।पैसे भले ही थोड़े कम … Read more

 किसान का कर्ज़ – विभा गुप्ता

 अविनाश कृषि महाविद्यालय में प्रोफ़ेसर थें।पढ़ाने के बाद उन्हें जो भी समय मिलता,उसमें वे आसपास के गाँवों में जाकर वहाँ के किसानों को उन्नत खेती करने के तरीके बताते थें,साथ ही,उपज बढ़ाने और बीज-मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार कैसे की जाए, की जानकारी भी उन्हें देते थे।       एक बार ‘कृषि में नई तकनीकि’ विषय पर … Read more

बहु का विश्वास – दीपा माथुर

अम्मा रिटायरमेंट के बाद बाबूजी चिड़चिड़े से हो गए है पहले कितने हसमुख थे। अम्मा  निक्कू के बालो में तेल लगाती हुई बोली ” अब पहले समय ऑफिस में कट जाता था। अब सुबह सुबह सैर पर जाकर आ जाओ फिर दिनभर खटिया पर पड़े रहो। कुछ भी हो दिव्या ( बहु) फर्क पड़ जाता … Read more

तड़का – अंजू निगम

मैंने सास-ससूर दोनो को खाने पर बिठा दिया था| “हमे एक एक रोटी गरम दिया करो|ठंडी रोटी दाँतो से कटती नहीं|”सासूजी ने कहा|    मुझे भी इस बात का अहसास था और दोनो को गरम खाना ही मिले,इस बात का खास ध्यान रखती थी|   “बहू,सब्जी बहुत स्वाद बनी हैं|”ससूरजी ने कहा तो मेरा चेहरा खिल उठा| … Read more

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