बहू का रंग – डॉ उर्मिला शर्मा

“क्या बात करती है सुलेखा!…आज के जमाने में रंग को लेकर ऐसा व्यवहार? यकीन नहीं होता।” – निकिता की भौंहें तनी हुई थीं। आगे भी उसने कहा -“शक तो मुझे तभी हुआ था जब तेरे एंगेजमेंट में तेरे ससुराल वाले सब के सब ब्रांडेड व लक्जरी आइटम से लदे- फदे थे और तेरे लिए जो … Read more

अनछुआ पल – डॉ पुष्पा सक्सेना

फूल लगा रही हो? तुम्हारी उम्र अब क्या फूल लगाने की है?सिर के निकट पहुंचा हाथ वहीं थम गया। दृष्टि पति के मुख पर स्थिर हो गई। अधखुले होंठों से एक प्रश्न बाहर आने को बेचैन हो उठा-जब उम्र थी तो क्या तुमने कभी लगाया था? लगाना तो दूर, कभी कहा भी था? सुना है … Read more

अनकहा एहसास – स्नेह ज्योति

चौधरी फतेह सिंह के आँगन में दस वर्ष बाद बच्चे की किलकारी गूंजी बच्चे की चाह में मत पूछो क्या-क्या किया?किस-किस कि चौखट पे गए ??और आज उन्हें उनके सब्र का फल एक बेटे के रूप में मिल ही गया। चौधरी साहब और उनकी पत्नी ने गाँव में एक बड़ा आयोजन किया ।जिसमे सबको बुलाया … Read more

उस पर सिर्फ बहू का टेग नहीं लगा है  – पुष्पा जोशी

‘बेटा सुधा रसोई में जाकर भाभी के काम में मदद कर, वह अकेली है, मुझसे आज कुछ करते नहीं बन रहा है’.मीना जी ने कराहते हुए कहा.कल बाथरूम में उनका पैर फिसल गया था और कमर में बहुत दर्द था.सुधा बोली- ‘तो आपसे किसने कहा काम करने के लिए, भाभी है ना वो सब कर … Read more

विदेशी बहू – गीता वाधवानी

आज पूरे 4 साल बाद गुरमीत अमेरिका से वापस आ रहा था। उसकी मां और बाऊजी बेहद खुश थे और उससे मिलने के लिए बहुत सारे रिश्तेदारों को आमंत्रण दे रखा था। घर मेहमानों से भरा हुआ था।  जैसे ही टैक्सी घर के सामने रुकी, गुरमीत की मां दौड़ती हुई और खुशी से रोते हुए … Read more

अच्छी बहू – नंदिनी

मानसी अल्हड़ सी बिंदास जिंदगी जीने वाली, किसी की उसे ज्यादा कोई परवाह रहती  नहीं थी ,एक जुडवा भाई रमन था ,बराबरी के थे पर चलाती अपनी ही थी उस पर भी । पढ़ाई पूरी हुई और जॉब भी लग गई अपने व्यस्त दिनचर्या में घर के कामों में भी कोई रुचि नहीं थी । … Read more

अनाम रिश्ता – डॉ पुष्पा सक्सेना 

“ये पोटली बांध कर कहां चलीं, माँजी?”जस्सी के घर से बाहर जाने के उपक्रम पर निम्मो बहू ने आवाज़ लगाई। “आज सरसों का साग पकाया था, भाई जी को बहुत अच्छा लगता है। थोड़ा सा साग और चार मकई की रोटी ले जा रही हूं।“जस्सी ने धीमी आवाज़ में कहा। “बहुत सेवा कर ली भाई … Read more

काश समय रहते अपनी  माँ का सम्मान करने लगते… – रश्मि प्रकाश 

“ माँ बहुत दिन हो गए चलो ना नानी से मिल आते हैं ।” इस बार जब राशि मायके आई तो माँ सुमिता जी से बार बार बोल रही थी पर सुमिताजी टाले जा रही थी  “ बेटा अब तेरी नानी बहुत बीमार रहती हैं.. कभी-कभी तो किसी को पहचानती तक नहीं है… तुम्हें नहीं … Read more

बहू तुमने तो घर की हवा बदल दी  –  सविता गोयल 

पूर्णिमा जी उठ कर कमरे से बाहर निकलीं तो आश्चर्य से देखती हीं रह गईं । कांता जी टी वी के आगे चटाई बिछाकर योगा कर रही थीं…,..   रमाकांत जी पौधों को पानी दे रहे थे ,……सुधीर चुन्नू को नहला रहा था और रूबी रसोई में चाय बना रही थी । पूर्णिमा जी ने … Read more

यह रीति रिवाज मैंने नहीं बनाए – रोनिता कुंडू

मां..! आपको तो पता ही है, 20 दिनों बाद तन्वी की बहन सानवी की शादी है, तन्वी का तो कोई भाई है नहीं… इसलिए मैं सोच रहा था कि, मैं तन्वी के साथ ही 1 हफ्ते पहले चला जाऊं, इससे उनको काफी मदद मिल जाएगी… विशाल ने अपनी मां आशा जी से कहा… आशा जी: … Read more

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