अपने घर से मायका बन जाने का सफर – संगीता अग्रवाल 

दुल्हन के जोड़े मे सजी रितिका विदाई से पहले अपने पूरे घर को बड़ी हसरत से निहार रही थी। वो घर जो कुछ देर बाद ही उसे छोड़ कर जाना है। अचानक उसकी निगाह हलवाइयों का हिसाब निमटाते पिता पर गई एक दिन मे ही कितनी मायूसी छा गई उनके चेहरे पर अपनी लाडो को … Read more

उस आईने में – आरती झा आद्या

आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगें कहीं दूर से आ रहे इस गाने के बोल से मिसेज भार्गव अकेले अकेले ही मुस्कुरा उठी। मि.पटेल ने आज की बुजुर्गों की किट्टी में मिसेज ब्यूटी कांटेस्ट की विजेता की घोषणा करते हुए कहा था.. मिसेज भार्गव सुन्दरता और व्यवहारिकता … Read more

बारिश और भीगी सड़क – आरती झा

भीगी सड़क देख अनायास ही अरुण के चेहरे पर मुस्कुराहट खेल गई। उसने पूरी कोशिश की थी कि सामने बैठी पत्नी विधि की नजर उसके मुस्कुराते चेहरे पर ना पड़े।  विधि चाय का कप उठाते हुए पूछ ही बैठी.. बारिश देख अरुणा की याद आ गई क्या… अरुणा अरुण की छोटी बहन..अरुण से महज दो … Read more

कटा हुआ हाथ – आरती झा

दीप के पिता तन्मय जी जल बोर्ड में क्लर्क हैं.. इतनी आमदनी हो जाती है कि अपने परिवार का जीवन यापन सही से कर सके और माँ छवि जी सुघड़ गृहिणी.. जिन्होंने अपने बच्चे को हर तरह के संस्कार से नवाजा है।      दीप बचपन से ही अपने कार्य के प्रति कर्तव्य निष्ठ और पढ़ाई के … Read more

जादू – नंदिनी

सॉरी शब्द केंसा जादू जैसा होता हेना , पल भर में गिले शिकबे शिकायतें झट से गायब कर देता है।  चलिये खुशी की कहानी सुनते हैं आज , वैसे तो बुरा मानने में सबसे आगे बचपन से ही थी जरा किसी ने तेज बोला तो आखिर बोला कैसे ,एक बार ऐसे ही नाराज होकर छत … Read more

वचन – माता प्रसाद दुबे

गीता के मन में भय समाया हुआ था..कि कही रवि के मम्मी पापा उसे अस्वीकार न कर दें..एक हादसे ने उससे उसका सब कुछ छीन लिया था..पहले पिता फिर उसकी मां भी उसका साथ छोड़कर परलोक सिधार गई थी। एक रवि के सिवा उसका साथ देने वाला और कोई नहीं था।रवि दो साल पहले ही … Read more

ब्लैकमेल – नीलिमा सिंघल

“अरे रे,,,ये कांता की बहू को क्या हो गया, कैसा हुलस हुलस कर नाच रही थी,,,,सास ससुर सामने बैठे थे,,और वो नाचने मे मग्न थी,,,,चलो,,,,नाची तो नाची पर गाना भी कौन सा था,,,,,,सास गारी देवे,,,देवर जी समझा देवे,,ससुराल गेंदा फूल,,,,,,,” अभी अभी किसी रिश्तेदार की शादी से वापस आयी मंजुला जी तिलमिला रही थी,,आगे अपनी … Read more

 सम्मान की मुस्कान – लतिका श्रीवास्तव

नेहा बहुत तत्परता से अपने काउंटर के सभी कार्य निबटा रही थी,उसकी कार्यकुशलता के साथ उसका अपने कार्य के प्रति निष्ठा और रुझान भी स्पष्ट परिलक्षित हो रहा था…एकमात्र उसका ही काउंटर ऐसा था जहां प्रतीक्षा कर रहे लोगो की लंबी कतार नही थी….वो बहुत शांति से अपने कार्य कर रही थी…भाव हीन सा चेहरा … Read more

सुबह का भूला – नीलम सौरभ

“नहीं मम्मीजी, ऐसा तो अब कहीं नहीं होता…और होता भी होगा तो मुझसे नहीं हो पायेगा!”आज यह पहली बार था कि परिवार की छः माह पुरानी छोटी बहू स्तुति सास की असंगत बात सह नहीं सकी थी तो उलट कर बोल पड़ी थी। वह अब तक विदाई के समय माँ, ताई जी व बड़ी भाभियों … Read more

 समन्वय  – पुष्पा जोशी

 श्री रामकृष्ण शास्त्री का परिवार एक प्रतिष्ठित परिवार था | सारे मुहल्ले में उनकी साख थी |सभी उनकी बहुत इज्जत करते थे |प्रतिष्ठित होने के साथ उनका परिवार  बड़ा निराला था | उनके घर में कर्म और भक्ति की धारा अनवरत प्रवाहित होती थी। शास्त्री जी के दो बेटे थे | बड़ा बेटा जीवन और … Read more

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