अमर प्रेम – मीनाक्षी सिंह

सुबोध, ऊर्मिलाजी का एकलौता बेटा ! पति ब्याह के पांच साल बाद ही हादसे का शिकार हो गए ! 3 साल के सुबोध और ऊर्मिला जी को अकेला छोड़ गए ! जब पति नहीं होता तो घर वाले भी साथ नहीं देते ! ससुराल वालों ने भी उन्हे बिना कुछ दिये घर से निकाल दिया … Read more

कोरा कागज़ – अमित किशोर

इंदु ने जब पहली बार अहान को अपनी गोद में लिया तो ऐसा लगा जैसे प्रसव की सारी पीड़ा एक पल में ही छू मंतर हो गई हो। पहली संतान के रूप में बेटी पाने की हसरत तो थी पर बेटे के प्रथम स्पर्श ने इंदु को मातृत्व की वो मिश्री दे दी जिसके मिठास … Read more

मां की ममता – डा.मधु आंधीवाल

सुमना छज्जू के साथ मुन्ना को लेकर गांव से शहर तो आगयी थी । मजबूरी थी  उसकी पति शहर में मजदूरी करता था । गाँव में थोड़ी सी जमीन थी पर छज्जू का मन तो शहर की चकाचौंध में उलझ गया था । सुमना सोचती थी यहाँ से अपना गाँव क्या बुरा था । खुला … Read more

जिम्मेदारियों ने छीन लिया बचपन – अमिता गुप्ता “नव्या”

छोटू…ओ छोटू… कहां मर गया? बातें ही करता रहेगा, कुछ काम धाम भी है तेरे पास, देख जल्दी-जल्दी काम निपटा नहीं तो आज की तनख्वाह से आधे पैसे काट लूंगा, दुकान मालिक झल्लाते हुए बोला। नहीं, नहीं… ऐसा मत करना साब।  मैं सारा काम निपटा दूंगा, अगर आपने पैसे काट लिए तो फिर मां का … Read more

अपने लिए कब सोचेंगी….. – रश्मि प्रकाश

‘‘ निकुंज जानते हो शीना की बहन की शादी का कार्ड आया है…खुद शादी नहीं की पर बहनों की ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभा रही है….मेरी पगली दोस्त को जिम्मेदारियों ने समय से पहले ही कुछ ज़्यादा बड़ा कर दिया….देखो ना अपनी जिंदगी जीना तो वो जैसे भूल ही गई है…..बस लगी है अपनी बहनों की … Read more

मम्मी ,मामा आ गए  – मीनाक्षी सिंह

मम्मी मामा ,आ गए ,आप सुबह से इंतजार कर रही थी ! लो बांध लो राखी अब मामा को ! मामा आप इतना लेट हो गए ,देखो रात के  8 बज गए हैँ ! आप हर बार इतना लेट क्यूँ आते हो ! मैने तो मम्मी से कह दिया था खाना खा लो अब ! … Read more

जिम्मेदारी –  रंजना वर्मा उन्मुक्त

रामादेवी देख रही थी; कुछ दिनों से बहू परेशान दिख रही थी ।शाम में ऑफिस से भी देरी से आ रही थी ।अब तो बेटा के घर आने के बाद वह आने लगी थी। उसे चिंता होती थी लेकिन वह कुछ नहीं पूछती ।लेकिन बेटा उसे टोक देता था। वह कहती, मीटिंग थी।  एक दिन … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी – उमा वर्मा

सुबह से किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था ।न जाने क्यो बार बार रोने का मन कर रहा था ।दोपहर का भोजन समाप्त कर के लेटी ही थी कि अजय का मोबाइल बज उठा ।अंतिम शनिवार के कारण अजय आज घर में ही थे।” कब,कैसे?” अजय ने कहा तो मै चौंक गयी।मुझे … Read more

 वो ईनाम कुल्फी का – लतिका श्रीवास्तव

कॉलेज की सर्वश्रेष्ठ  वक्ता की ट्रॉफी मिली थी स्वाति को आज…. इस बेमिसाल इनाम के बारे में अपने विचार व्यक्त करने के लिए उसे मंच पर आमंत्रित किया जा रहा था..,सभी ये जानने को उत्सुक थे कि आखिर इस वक्तृत्व कला की प्रेरणा क्या है..!! प्रेरणा हैं वो दो कुल्फियां स्वाति ने हंसते हुए कहा … Read more

संस्कार – अंजू निगम

“माँ,आज ऊपर वाली आंटी ने फिर सारा कूड़ा हमारे घर के आगे कर दिया| मैं अभी जा सारा कूड़ा उनके घर के आगे फेंक आता हूँ|”प्रनव के स्वर में गुस्सा था|“फिर उनमें और तुम में क्या अंतर रहा|” ऐसा कह नेहा ने घर के आगे झांडू लगा सारा कूड़ा समेट दिया|प्रनव दसवीं कक्षा में है|पढ़ाई … Read more

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