मोक्ष धाम – नरेश वर्मा

शकुंतला देवी की गर्दन उस मुर्ग़े की गर्दन की तरह तनी रहती जिसके हरम में कई सारी मुर्ग़ियाँ हों। शकुंतला देवी की तनी गर्दन का राज उनके अपने पाँच चूज़ों से जुड़ा था।शकुंतला देवी के पति धर्म दास रेलवे दफ़्तर में बड़े बाबू थे।वह रेलवे की लेट चलने वाली ट्रेनों का हिसाब अपने रजिस्टरों में … Read more

मैं हूँ ना –  विभा गुप्ता

 ” भईया, रुनझुन की शादी कैसे होगी?लड़के वालों की डिमांड तो कुछ भी नहीं है, फिर भी खाली हाथ बेटी को कैसे विदा कर दूॅं।जेठ जी ने तो पल्ला झाड़ लिया है।रुनझुन के पापा रहते तो मुझे कोई चिंता ही नहीं रहती लेकिन….।” कहते हुए देवकी रोने लगी तो नारायण बाबू बहन के कंधों पर … Read more

“थप्पड़ की गूंज ” – कविता भड़ाना

“सुमन बाहर निकल” डर मत तु, देख ये में हूं स्वाति… मैं हूं तेरे साथ , तू दरवाजा तो खोल…स्वाति ने बाथरूम का दरवाजा जोर जोर से खटखटाते हुए तेज आवाज में कहा.. डरी सहमी सुमन ने बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर अपनी प्रिय सहेली को देख,  उसके गले लगकर रोने लगी.. स्वाति ने … Read more

जिम्मेदारी – डाॅ संजु झा

कुछ समय पहले  अचानक  से पूरे विश्व  में कोरोना नामक महामारी का तांडव  मच गया था।कोरोना ने बहुत-से परिवारों के सुखद भविष्य  को दुख के अथाह सागर में डुबो दिया।ऐसे समय  में सबसे कठिन  परीक्षा डाक्टरों की थी,जिन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए  अपने कर्त्तव्य  को सबसे ऊपर रखा।कितने ही डाॅक्टरोंने अपने फर्ज  निभाते … Read more

हमसफ़र – आरती झा आद्या

श्रमजीवी एक्स्प्रेस ट्रेन दिल्ली से पटना जा रहे मलय के कोच में बनारस स्टेशन पर आधी रात में चढ़ने वाली महिला के बर्थ पर बैठते ही उसकी हैलो की आवाज सुन झटका लगा… सलोनी…। उसने बोलने वाली के चेहरे को देखना चाहा.. लेकिन चेहरा दूसरी ओर घूमे होने के कारण देख नहीं पा रहा था। … Read more

एक निर्णय ऐसा भी  – पूनम अरोड़ा

“आज सौजन्य  आ रहा है” —— प्रोफेसर गरिमा को उसके आने का इंतज़ार तो था ही, साथ ही इस बात की व्यग्रता भी कम नहीं  थी कि  वह उसके समक्ष अपने जीवन के इस नए अध्याय को कैसे अनावृत करेगी ——- जानने के बाद उसकी प्रतिक्रिया कैसी होगी—–  सबसे ज्यादा  महत्वपूर्ण  कि उसका निर्णय  क्या … Read more

एक फैसला – संगीता अग्रवाल

दिवाकर जी अपने घर के बरामदे मे बैठे वहाँ लगे आम के पेड़ो को देख रहे थे उनकी आँखे भरी हुई थी । एक अटूट रिश्ता था इस पेड़ो से और अब दोनो बेटे और एक बेटी घर का बंटवारा चाहते थे और ये पेड़ उस बंटवारे मे रोड़ा बन रहे थे तो तीनो बच्चे … Read more

 अब मत आना मॉम… माँ  – रवींद्रकांत त्यागी

चार साल की उम्र की बहुत सी बातें अब मस्तिष्क से धूमिल हो गई हैं किन्तु वो पल हमेशा याद रहा जब मेहमानों के छोटे से समूह के सामने मुझ छोटे से बालक को अजीब से असमंजस में ड़ाल दिया गया था। बारह सितंबर की सुहानी शाम थी। मीठी मीठी पुरवायी चल रही थी। पिताजी … Read more

अनोखा रिश्ता  – डॉ पुष्पा सक्सेना 

मोहन को अपने बाबा से बहुत प्यार है। घर में असके माता-पिता भी हैं, पर मोहन को अपने बाबा के साथ रहना अच्छा लगता है। बाबा मोहन को कहानियाँ सुनाते हैं, उसके साथ गाँव घूमने जाते हैं और कभी भूले से भी उसे डांटते नहीं। आज बाबा अपने पोते मोहन के लिए टोकरा भर आम … Read more

हम – कंचन श्रीवास्तव

शादी के दूसरे दिन से ही रेखा को उसके हिस्से का काम सौंप दिया गया,यह कहकर कि अब तक बहुत हमने किया ,अब तुम्हारी बारी है।सो इसने बिना किसी ना नुकुर  के हां में सर हिला दिया। और लग गई अपने काम में ,सुबह से शाम और शाम से रात यानि ये कह लो कि … Read more

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