वाह तरीका हो तो ऐसा – मीनाक्षी सिंह

युवी सुनो ! दस बार आवाज लगा चुकी हूँ तुझे ! सुनता क्यूँ नहीं ! क्या हैँ मम्मा ,पूरा दिन आप कुछ ना कुछ बोलते रहते हो ! डोंट डिस्टर्ब मी ! पूरे दिन फ़ोन में घुसा रहता हैँ ,अंधा बहरा सब हो जाता हैँ जब ये बला तेरे हाथ में रहती हैं ! मम्मा … Read more

सफर – उषा भारद्वाज

वो मुस्कुराते हुए कार में बैठ गयीं, कार चली गई ।  शिखा दूर जाती कार को एकटक देखते रही। उसकी आंखों के सामने अतीत की यादें चलचित्र बनकर घूमने लगी। वो धीरे-धीरे कदम बढ़ाने लगी और अपने घर आ गई। सीधे अपने कमरे में जाकर  लेट गयी। आंखों के सामने दीदी का चेहरा और अतीत … Read more

तपस्या – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज सब जगह तन्वी की कला प्रदर्शनी की चर्चा थी। दूर दूर से लोग उसके द्वारा लगाई पेटिंग्स को देखने आ रहे थे। उसकी चित्रकारी में जिस तरह से स्त्री के मनोभावों को उकेरा गया था वो अपनेआप में काबिले तारीफ था। प्रदर्शनी की चर्चा अगले दिन समाचार पत्रों का तो हिस्सा बनी ही थी, … Read more

भूलने की दवाई –  संगीता अग्रवाल

दवाई की दुकान के बाहर निरंजन जी बहुत देर से खड़े थे। भीड़ भी तो बहुत थी दुकान पर । ये बेमौसम की बारिश डॉक्टर और दवाई बेचने वालों की ही तो चांदी करती है । वरना बाकी तो क्या किसान क्या आम इंसान सभी इससे परेशान हो रहे थे। निरंजन जी के लिए जब … Read more

पिकनिक – गीता वाधवानी

पश्चिम बंगाल का एक शहर, वहां रहने वाले चार दोस्तों में वहां के घने जंगल के आसपास पिकनिक पर जाने का प्लान बनाया। इस घने जंगल में बहुत सी हत्याएं हो चुकी थी और स्थानीय लोगों ने कई बार अजीबोगरीब, डरावनी चीजें महसूस की थी। कई बार आत्माओं की उपस्थिति का भी उन्हें आभास हुआ … Read more

मां की इज्जत – शुभ्रा बैनर्जी

निर्मला आज पूरे कॉलोनी में लड्डू लेकर अपने कैंटीन के उद्घाटन का न्योता दे रही थी।समय के साथ जैसे हर दिन एक नई निर्मला अवतरित होती जा रही थी।वही जोश,वही उमंग,वही हंसी।बहुत कुछ बदला था उसकी ज़िंदगी में,पर नहीं बदली तो उसकी हिम्मत।पिछले बीस सालों से जानती थी मैं उसे। हमारी सोसायटी के बाहर एक … Read more

“कैसी इज्जत” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

“नालायक कहीं का!” मेरी इज्जत का जरा भी परवाह नहीं है इस लड़के को! इंजीनियरिंग की डिग्री क्या मिल गई अपने आप को ज्यादा काबिल समझने लगा है। बाप का सिर झुकाने पर लगा है।मेरा सारा इज्जत प्रतिष्ठा मिट्टी में मिला देगा यह लड़का! “ पिताजी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था। वह … Read more

आत्मदाह – मुकुन्द लाल 

 रात-भर अनिमेष बिस्तर पर करवटें बदलता रहा, लेकिन नींद उससे नाता तोड़कर दूर चली गई थी। चतुर्दिक सन्नाटा छाया हुआ था, जिसको रह-रहकर कुत्तों की आवाजें भंग कर रही थी। जब भी आंँखें लगती उसके जेहन में उसकी पत्नी मिनाक्षी के बाॅस का चेहरा उभरने लगता और वह बेचैन हो जाता। उसके दिल में उसका … Read more

पता नहीं, इतनी आलस यह कहां से लाती है..? – रोनिता कुंडू

अरे यार सीमा…! लेकर जाओ ना इसे यहां से… 1 दिन तो घर पर रहता हूं… उस पर भी इसे पकड़ा जाती हो…  रमन ने चीखते हुए कहा…  रमन का इतना कहना हुआ नहीं कि, उसकी मां रमावती कहती है… सच कहते हो बेटा..! छुट्टी के दिन तुझे और बाकी दिन मुझे… इसे तो बस … Read more

 मैं अपनी बेटी की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करने दूंगी – सुषमा यादव

कुछ समय की बात है,, मेरे घर में एक महिला खाना बनाने आती थी। उसकी सबसे बड़ी खासियत ये थी कि वह अपनी बेटी को तो प्रायवेट स्कूल में पढ़ाती थी, और सब गांव वालों की सोच के विपरीत अपने एकलौते बेटे को मेरे सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी। मैं उससे कहती, तो बोलती,, मैडम … Read more

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