माँ सब देखती हैं – विभा गुप्ता

अंधेरा गहरा रहा था।मंत्री जी ने टेबल पर रखी गिलास में शराब की अंतिम बूँद को भी गटक लिया और आवाज़ लगाई, ” अबे हरिया, कहाँ मर गया है?” ” जी मालिक …” ” हममम… मेरा सामान कहाँ है?” ” मालिक, आपहीं के कमरे में तो रख..” ” ठीक है.. ठीक है.., और सुन.. कोई … Read more

” अपना अपना स्वार्थ ” – डॉ. सुनील शर्मा

रिदिमा ने जब मां को उसके साथ ही ऑफिस में कार्यरत संकेत का विवाह का प्रस्ताव बताया तो एक बार तो मां पशोपेश में पड़ गईं. किसी तरह अपने आप को संभाला. रिदिमा और उसके दोनों बहन भाई बहुत छोटे थे जब पति की एक सड़क दुर्घटना में म‌त्यु हो गई थी. कंपनी ने उनके … Read more

अपने पन की महक – ऋतु गुप्ता

सोमेश ने घर में घुसते ही सभी को आवाज लगाई ,चलो सभी सुगंधा (सोमेश की पत्नी ) नितिन ( बेटा ) नीति (बेटी) जल्दी इधर आ जाओ ।नए घर का नक्शा बनकर आ गया है, जिसको जो भी चेंज कराने हो अभी बता देना, एक बार नक्शा फाइनल हो गया तो फिर कुछ नहीं हो … Read more

 पुरानी हवेली – आरती झा आद्या 

तेरी इस सुन्दरता का राज क्या है.. सीमा ने शिवानी से पूछा।  आज शिवानी ने लेक्चरर बनने की खुशी में घर पर ही पहली बार सहेलियों के लिए दावत रखा था।  इसकी तो पुरानी हवेली भी अपनी पुख्ता अंदाज में खड़ी है। तेरी सास, तेरी सास की सास कैसे संभालती है तू इन्हें… शिवानी की … Read more

 बेटीयांँ  होती है बड़ी प्यारी, है ना ! ( भाग -1) – बेला पुनि वाला 

 बेटी शब्द में ही प्यार है, दुलार है, एक अपनापन है, जब से वो मेरे पेट में थी, तब से ही उसके साथ एक अजीब सा लगाव  था। एकेले  में उसके साथ बातें करती रेहती थी।  नौ  महिने जीतना भी दर्द हो, तकलीफ हो, उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते, उस वक्त चाहे जितनी तकलीफ हो,  मगर उफ़फ़  … Read more

कदंब का पेड़ – कमलेश राणा

अरे आज तो विभु बड़ा मन लगाकर पढ़ाई कर रहा है।  पढ़ाई नहीं कर रहा बुआ जी.. पापा ने यह कविता याद करने को कहा है यह मैंने पूरी याद कर ली, पता है आपको यह कविता पापा को भी बहुत पसंद है और उन्हें पूरी याद भी है।  अच्छा !!!! ऐसी कौन सी कविता … Read more

जिंदगी जीने के लिए है…… – लतिका श्रीवास्तव 

शालिनी तुमसे एक काम ठीक से नहीं होता दिमाग कहां रहता है तुम्हारा आज कल…..मैने तुमसे फाइल लाने को कहा था तुमने ये कोई सी किताब लाकर दे दी है….शांतनु झुंझला कर कह रहा था तभी शालिनी ने धीरे से फाइल उसकी ओर बढाते हुए कहा ये लीजिए आपकी फाइल …. सॉरी जल्दी जल्दी में … Read more

 परिवार को जोड़े रखने के लिए, परिवार को तोड़ना जरूरी है – प्रीती वर्मा 

यूं तो ये रचना हमेशा हंसती मुस्कुराती और जिंदादिली से रहती है।पर ऐसी क्या बात है जो ये दो दिनों से पार्क तो आती है पर मन कहीं और रख आती है। आज तो मैं इसके मन की व्यथा जानकर ही रहूंगी।साथ चलते चलते रचना जी की सहेली निर्मला जी ने रचना जी के चेहरे … Read more

कठोर कदम – मधु मिश्रा

दो महीने ही तो हुए हैं मेधा की शादी को, फ़िर ये गुमसुम क्यों रहती है ? अंजानी आशंका से घिरी मालती की नब्ज़ उसके पति विनोद ने आख़िर पकड़ ही ली,और बोले – “इस तरह टेंशन पालने से क्या होगा, मेधा से पूछो क्या हुआ है..? संभव हुआ तो हम उसकी मदद करेंगे !” … Read more

नास्तिक – हरीश पांडे

आभा अपने मायके पहुंचते ही फफक फफक कर रोने लगी। माता पिता किंकर्तव्यविमूढ़ खड़े थे। बार बार आशा भरी निगाहों से दरवाज़े की तरफ देखते मगर किसी और के कदमों की आहट न सुनकर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। बेटी का रोना बंद नहीं हो रहा था और माता पिता के दिलों का ज़ोर से … Read more

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