रिश्ता गुलाब सा – सीमा वर्मा

यह कहानी उस वक्त की है जब मैं जिला स्कूल की क्लास नाइन में पढ़ता था। हम सब मतलब मैं और मेरा भाई जो मुझसे तीन साल छोटा है तब वो क्लास सिक्स्थ में था।  उस घटना का प्रभाव मेरे दिल- दिमाग पर बाद के‌ दिनों तक छाया रहा था। क्योंकि तब दुनिया इतनी फैली … Read more

पवित्र रिश्ता – पुष्पा जोशी

उस रिश्ते को मैं क्या नाम दूं, समझ नहीं पा रहा हूँ, उनसे मेरा कुछ तो रिश्ता है, उस रिश्ते को मैं नकार नहीं सकता.न उसका नाम मालुम है,न उम्र .सच माने तो मैंने उन्हेंकभी देखा भी नहीं है.कभी उसे देखने का विचार भी नहीं आया.उनके कंठ  से निकली स्वर लहरी सीधे मेरे दिल में … Read more

अंजाना सा -जाना पहचाना – गीता वाधवानी

टीनएजर, युवा होते बच्चे, एक ऐसी दहलीज , जब मानसिक और शारीरिक बदलाव होते हैं। इसी उम्र में पढ़ाई और कैरियर सेट करने की चिंता होती है और इसी उम्र में भटकाव की भी स्थिति सबसे ज्यादा देखी जाती है। बच्चे, दोस्तों से कुछ ज्यादा ही घुल मिल जाते हैं और कई बार उनकी बातों … Read more

 इंसानियत का रिश्ता – विभा गुप्ता

मेरे पति का तबादला एक नये शहर में हुआ था।घर के कामों के लिए मैंने एक नौकरानी रखी थी जो समय पर आकर सारा काम कर जाती थी।मैंने नोटिस किया कि बाल-बच्चेदार होने के बावज़ूद भी उसे घर जाने की जल्दी नहीं होती है।एक दिन मैंने उससे पूछ लिया, ” रागिनी,तेरे बच्चे कितने हैं?, उनकी … Read more

वो सच में एक भाई का फर्ज़ निभा गया था – गीतू महाजन

भरी दोपहर में दरवाज़े की घंटी बजी तो नीता जी  बड़बड़ाते हुए बिस्तर से उठी,”यह कोरियर वाले भी इतनी दोपहर को ही आते हैं या कोई सेल्स गर्ल होगी।इन सब को यही समय मिलता है आने का।अभी-अभी तो फुर्सत से लेटी थी मैं”। दरवाज़ा खोला तो सामने एक तेईस चौबीस वर्ष का लड़का था। मुस्कुराते … Read more

रिश्तों के मंजर – स्नेह ज्योति

कोई नहीं था पास मेरे ना रिश्ता,ना कोई फ़रिश्ता जो मुझें इस मझधार से निकाले।लोग मुझे राजन कहते है,पर राजा जैसा कुछ भी नहीं था,रोज सुबह उठ बाथरूम जानें के लिए लाईन में लगना,फिर पानी के लिए,बस के लिए,नौकरी पाने के लिए,सब जगह बस पंक्ति ही थी,मानो जिंदगी जलती थी।जल्द ही अनाथ हो गया था … Read more

पिछले जन्म का रिश्ता – सुषमा यादव

,,उसका पिछले जन्म का है , मुझसे रिश्ता कोई, ,,वो कौन थी,, जो हमेशा के लिए एक दर्द दे गई।। मेरी दोनों बेटियां बोर्डिंग स्कूल नैनीताल में पढ़ने चली गईं थीं । मैं जब स्कूल से घर आती, तो बच्चों के बिना घर सूना देखकर बस रोने को मन करता,,सात,सात वर्ष की बच्चियों के चले … Read more

एक रिश्ता ऐसा भी – रश्मि प्रकाश

 बेटा दो साल होने को आया तू एक बार घर भी नहीं आया है…. हम दोनों बुढ़ापे में बस तुम सब को देखने को तरसते रहते हैं और तुम हो कि आना ही नहीं चाहते हो।” सुनंदा जी निकुंज से बोली  “ माँ ऐसे क्यों बोलती हो… आना चाहता हूँ पर एक सप्ताह की छुट्टी … Read more

“मिर्ची की धाँस में पनपते रिश्ते” – अनु अग्रवाल

भाभी………. क्या आपको भी किचन में से मिक्सी की आवाज़ आ रही है”- अभी कुछ दिन पहले ही ब्याह कर आयी शीना की देवरानी धरा ने शीना से पूछा। “हाँ………लगता है……….माँजी मसाले पीस रही हैं। उनकी तो आदत है…….अब इस उम्र में नींद तो आती नहीं है….तो रसोई में ही कुछ न कुछ करती रहती … Read more

कुछ रिश्तों का कोई नाम नहीं होता – पुष्पा पाण्डेय

कुछ रिश्तों का कोईनाम नहीं होता कुछ रिश्तों का कोईनाम नहीं होता कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिसका कोई नाम नहीं होता और वह अपनों से भी बढ़कर होता है। ऐसा ही एक रिश्ता था माधव और राधिका का। जब राधिका शादी करके आई थी तो माधव घर का टहलुआ था। कहने को तो वह … Read more

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