एक बेटा ऐसा भी – कान्ता नागी

गुरप्रीत की अमृतसर में कपड़ों की एक छोटी सी दुकान थी। परिवार में पत्नी प्रीतो और पुत्र अवतार था।वह बड़ा ही मिलनसार और व्यवहार कुशल था।मंडी मे सभी ग्राहक उसकी दुकान पर ही कपड़े खरीदने आते थे। इस प्रकार उसने अमृतसर में ही अपनी मेहनत के बल पर एक बड़ा शो रूम खरीद लिया।उसका बेटा … Read more

रामू काका – कान्ता नागी

राधा अपने माता पिता की इकलौती संतान थी,उसके पिता दीनू एक किसान थे और मां मुनिया कुशल गृहिणी थी। राधा बहुत समझदार और संस्कारी थी।पिता दीनू का बस यही एक सपना था कि वह अपनी पुत्री को पढ़ा लिखा कर आत्मनिर्भर बनाए। जब उसने राधा को पढ़ने के लिए भेजा तो गांववासियों ने तरह तरह … Read more

सबसे बड़ा धन -परिवार – ज्योति अप्रतिम

अखबारों और सोशल साइट्स पर आज परिवार दिवस की धूम मची हुई थी। शर्मा जी उन खबरों और पोस्ट को पढ़ते हुए अपने परिवार के बारे में सोचने लगे। विचारों की श्रृंखला उन्हें फ्लैश बैक में ले गई। वट वृक्ष है उनका परिवार।पूरे सात भाई बहन ।करीब पचास -साठ के दशक में जन्मे हैं सभी … Read more

“हौसले से जिंदगी हसीन” – कविता भड़ाना

पूरे गांव के लोग आज सुबह सवेरे चौपाल पर इक्कठे हो रहे थे…बहुत ही गहमागहमी थी और उत्सुकता भी अपने चरम सीमा पर थी की आखिर ऐसी क्या बात है जो गांव के ही हरिया किसान की छोटी बहू जिसे अभी विधवा हुए मुश्किल से दो महीने ही हुए है, ने चौपाल पर पंचों के … Read more

संयुक्त परिवार – रंजू अग्रवाल ‘राजेश्वरी’

सुमि की शादी जब रोहित से हुई तो वह बहुत खुश थी ।रोहित एक अंतराष्ट्रीय कम्पनी में अच्छे पद पर था ।  बड़ा शहर ,अच्छा पैकेज , सभी सुख सुविधाओं से भरा घर और भी बहुत कुछ जिसके उसने सपने देखे थे । शादी के  कुछ दिन बाद रोहित जब नौकरी पर जाने लगा तो … Read more

 ‘ छोटी बहू ‘ – विभा गुप्ता

 ” कमज़ोरी बहुत है,काम की थकान और सही तरह से डाइट न मिलने के कारण ही आपकी छोटी बहू बेहोश हो गई थी।आपलोग तो पढ़े-लिखे समझदार हैं।इतनी समझ तो होनी ही चाहिए कि इन्हें काम के साथ पौष्टिक भोजन और पूरे आराम की भी आवश्यकता है।इतनी कम उम्र में ऐनिमिक होना सुमन के स्वास्थ्य के … Read more

परिवार की अहमियत। – रश्मि सिंह

सपना-सुनिए आपकी समर वेकेशन कब होगी। सुदीप-मई के अंत में। सपना- अबकी बार छुट्टियों में मसूरी घूमने चलें। सुदीप (सपना का पति)- ठीक है पापा से बात करता हूँ कि उनकी छुट्टियाँ कब से है। सपना-क्यों अबकी बार फिर सब साथ में चलेंगे। सुदीप-और क्या मम्मी पापा और प्रदीप (सुदीप का भाई) के बिना क्या … Read more

आम का स्वाद -देवेंद्र कुमार

“अजय, आज घर पर ही रहना। अपने दोस्तों के साथ खेलने मत जाना। दादी अकेली हैं, उनका ध्यान रखना।” कहकर अजय के पापा अविनाश बाहर चले गए। अजय को पता था कि आज मम्मी अस्पताल गई हैं। पापा कह रहे हैं—जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। वह खबर क्या होगी, इसे अजय समझता है। … Read more

“मैं तो जाऊँगी” – पुष्पा पाण्डेय

“अरे बहू !अंधेरे में  क्यों सोयी हो?” बाहर से आती सासु माँ  की आवाज से अंधेरा होने का एहसास हुआ। “हाँ माँ जी, अब अंधेरा दूर हो जायेगा।” सुमन ने एक नयी स्फूर्ति और हल्के मन से कमरे में प्रकाश किया।उसी समय रश्मि  का फोन आया। “सुमन!मैं कल नहीं जा पाऊँगी।” “क्यों?तुम्हें तो स्पीच भी … Read more

परवाज  – नीरजा नामदेव

 शम्पा  के मन में आज बहुत उथल-पुथल मची हुई थी ।वह बहुत ही ज्यादा रोमांचित औऱ उत्साहित थी। वह अपनी छत पर बैठी  आसमान और चांद तारों को निहार रही थी। उसे अपने बचपन की बातें याद आ रही थीं।बचपन में वह अपने ज्यादा समय दादी के साथ ही रहती थी। गर्मियों में आंगन में … Read more

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