जो चाहें वो मिल जाए जिंदगी अपने रंग दिखाए – स्नेहज्योति
मैं ‘वीर’जो अपने माँ-बाप का लाड़ला था ऐसा नहीं कि मैं अकेली औलाद था,मेरा एक छोटा भाई भी था,पर अपने वालिदैन का मैं हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहता था।मेरी हर बात का फ़ैसला वही करते थे,शायद यही बात मुझे परेशान करती थी,मुझे खुद कुछ करने नहीं देते थे,हर पल उनकी उँगली पकड़ चलना … Read more