कुटुंब – नीरजा नामदेव

रतन राजस्थान के एक छोटे से गांव से दिल्ली कॉलेज में पढ़ाई करने जाता है। वहां के माहौल में बहुत ही अंतर होता है। लेकिन वह धीरे-धीरे वहां के माहौल के अनुसार ढलने लगता है। वह पढ़ाई में तो होशियार रहता ही है साथ ही कॉलेज में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता … Read more

एक अनकहा रिश्ता – मीनाक्षी सिंह

मेरा तबादला जब मथुरा से आगरा में हुआ तो मुझे गांव में ही रहना पड़ा ! बीटिया छोटी थी ! दूर से आना जाना ,बेटी को संभालना मुश्किल हो जाता इसलिये वही विद्यालय के पीछे रहने का निर्णय किया ! पतिदेव भी सहमत थे ! आ गए हम सामान लेकर अपने गांव !  मेरे घर … Read more

कॉउंसलिंग – ज्योति अप्रतिम

वो आज वापस आ गई।पूरे दो महीने बाद। कुछ अजीब सी लग रही है।अचानक से मोटी हो गई है।स्वभाव भी कुछ अलग सा हो गया है । जी हाँ !विद्या की बात कर रही हूँ जो दो महीने पहले स्कूल में जॉब करने आई थी। न जाने कौनसा ग्रहण लग गया उसके लावण्य और स्वभाव … Read more

सबक – नीरजा कृष्णा

“रेवा, आज तुमसे मिल कर बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे वो समय याद आ रहा है…जब मिनी के पापा के देहांत के बाद तुम कैसी बावली सी हो गई थीं।” रंजना आज काफ़ी वर्षों के बाद अपनी मित्र से मिल रही थी। उस समय की रेवा तो कहीं गुम हो चुकी थी। आज वो … Read more

वो खट्टी मीठी यादें – नीरजा नामदेव

ये मेरी शादी के बाद की घटना है इधर शादी के बाद नाश्ता या खाना बनाने से पहले सासू मां से क्या बनाना है, कैसे बनाना है पूछ कर बनाना पड़ता है तो मैं भी ऐसा ही करती थी। सासू मां क्या बनाना है के साथ ही मात्रा भी बता देती थी और बनाने की … Read more

चेहरे पे चेहरा  – बेला पुनिवाला 

डिम्पल के पापा ने डिम्पल की शादी एक बहुत ही बड़े घराने में की थी, उनको ये नहीं पता था, कि ” ऐसे बड़े घरो में रहनेवाले लोगों के हाथी के दाँत दिखाने कुछ ओर और चबाने वाले दाँत कुछ और होते है.. “         डिम्पल एक बहुत खुले विचारों वाली पढ़ी-लिखी लड़की थी, घूमना फिरना, … Read more

सु कर्म – कंचन श्रीवास्तव

बढ़ती उम्र के साथ स्त्री जिन रिश्तों को पहचानती है वो है बाप,भाई,पति और अंततः बेटा हां बेटा,कुछ पल के लिए उसके जीवन में एक ऐसा रिश्ता भी आता है जिसे सिर्फ़ वो महसूस करती है , जता नहीं सकती क्योंकि जताने नही सकती। और इन्हीं की खिदमत करते करते वो दुनिया को अलविदा कर … Read more

प्रेम – मधु झा

जाने लोग किसी को भूलना क्यों चाहते हैं,, आखिर ये भूलना शब्द है क्या,,इसका कोई वजूद भी है क्या,,हम इस शब्द को इतना तवज्जो क्यों देते हैं,,और क्यों भूलना किसी को जब कोई हमारे लिये बहुत अजीज़ है,,वो  हमें इतना प्यारा है कि हमारे ज़ेहन में उतर चुका है,,हमारी आत्मा में बस चुका है,, हमें … Read more

गेंद का बचपन- देवेंद्र कुमार

जया की रमा दादी पूजा कर रही थीं। रविवार का दिन था, घर के सब लोग बाहर गए थे, नीचे बच्चे शोर मचा रहे थे, इसलिए दादी का ध्यान बार बार भटक जाता था। तभी झन्न की आवाज के साथ पूजा की थाली उलट गई। जलता दीपक बुझ गया, पूजा की सामग्री बिखर गई। बच्चों … Read more

बम – अनुज सारस्वत

“अम्मा मम्मी पापा अलग क्यों रहते हैं मुझे कभी मम्मी के पास कभी पापा के पास जाना पड़ता है ,आप बोलो न उनको साथ रहा करें “ 5 साल के अंकुश ने अपनी दादी से कहा दादी यह सुनकर भावुक हो गयी और कहा “हां बेटा मैं बात करूंगी “ एक साल पहले ही दो … Read more

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