रिक्त स्थान (भाग – 2) – गरिमा जैन

रेखा के लिए गाड़ी का दरवाजा खुलता है … रेखा को ऐसा सुख पहले कभी नसीब नहीं हुआ था। वह तो टैक्सी तक नहीं करती थी बस और ऑटो में ही उसकी जिंदगी बीती थी। चिकनी चिकनी फर्श पर उसकी बदरंग चप्पल और नाखूनों पर आधी लगी हुई नेल पॉलिश कैसी भद्दी लग रही थी … Read more

संतान-सुख – विभा गुप्ता

 ” दादाजी, आपकी चाय..।” तेरह वर्षीय साक्षी चाय का कप थमाते हुए माणिक बाबू से बोली तो वे बुदबुदाए, ” आज फिर से बेटी के हाथ चाय भिजवा दिया,खुद आती तो क्या घिस जाती।हमारे लिए समय निकालना तो उनके लिए जैसे पहाड़ है।” चाय का एक घूँट पीते ही चेहरे पर बेस्वाद के भाव आ … Read more

मीठी यादें – कमलेश राणा

कल आकाश का हैप्पी बर्थडे था कई दिन से पार्टी की तैयारियां जोर शोर से चल रही थी सारे दोस्त आस लगाए बैठे थे इस दिन के लिए। उनको आकाश की बर्थ डे की खुशी हो न हो पर पार्टी और मौज मस्ती के मौके की खुशी जरूर थी रात 12 बजे से ही बधाई … Read more

गलती से लड़की हो गई – स्मिता टोके “पारिजात”

“कहाँ मैं पोते की आस लगाए बैठी थी और यहाँ तो बहू को गलती से लड़की हो गई । ” सुशीलादेवी अपनी ननद से बात कर रही थीं । “मैं तो पहले ही कह रही थी भाभी कि सोनोग्राफी करवा लो । किसी को कानोंकान खबर नहीं होगी । पर आपने सुना ही नहीं ।” … Read more

“बुढ़ापे में लड़की की मां को भी मिला औलाद का सुख” – नीरू जैन

आज की बड़ी खबर:- देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रात 8:00 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए 15 दिन के लॉक डाउन का ऐलान किया है। निशा ने जब से यह न्यूज़ देखी थी वह बहुत चिंता में थी।सन्दीप उससे उसकी चिंता का कारण पूछ … Read more

प्रियतमा – डा.मधु आंधीवाल

हां वह किसी से प्यार करती है। दुनियां को क्यों परेशानी वह प्रेमी शादी शुदा है तो क्या हुआ वह उसकी गृहस्थी पर डाका नहीं डाल रही ।       आज रोहिनी ने अपनी डायरी के पहले पन्ने पर लिखा । वह पल्लव से बहुत प्यार करती है। पल्लव भी उतना ही उसको चाहता है। वह शादी … Read more

निर्मल बालमन – पुष्पा जोशी

रुक जाओ कमली…। मगर कमली नहीं रुकी। उसने निर्णय कर लिया था, कि वह इस घर में तो क्या, इस शहर मैं भी नहीं रहेगी। कमली गरीब थी, मगर उसका भी आत्म सम्मान था। वह मेहनती और ईमानदार थी। इतना अपमान, इतनी जिल्लत, उसने पहले कभी सहन नहीं की थी। उसने अपने तीनों बच्चों को … Read more

इतना दबाव क्यों? – गीता वाधवानी

एक छोटे से शहर गाजियाबाद में रहने वाली दिव्या ने दसवीं कक्षा में टॉप किया था। पूरे विद्यालय में उसका नाम गूंज रहा था। उसकी मां आशा और पिता राजेश बहुत खुश थे। वह अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। दसवीं कक्षा पूरी होते ही दिव्या की मां ने पहले 11वीं और फिर 12वीं … Read more

” स्वार्थी औलाद ” – सरोज माहेश्वरी

औलाद मनुष्य की सच्ची संपत्ति होती है। मनुष्य अपनी इस संपत्ति को संवारने, तरासने में तन, मन,धन की समग्र शक्ति को लगा देता है । वह संतान के लिए दुनियां और विपरीत परिस्थितियों से भी लड़ने की ताकत रखता है, परंतु जब स्वार्थी औलाद सालों की कठिन परवरिश को नकार माता पिता के सपनों को … Read more

दिल का रिश्ता – संगीता त्रिपाठी

“कितने में मुझे ख़रीद कर लाये थे आप लोग ……औलाद की अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिये ,”मेहर ने गुस्से में सुमन से पूछा..।        “क्या कह रही लाड़ो…भला कोई माँ -बाप औलाद खरीद कर लाएंगे… तुम्हे गलतफहमी हुई है, जो तुम अपनी माँ से इस तरह बात कर रही हो “सुमन ने पीड़ा और गुस्से … Read more

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