औलाद – डाॅ संजु झा
कहते हैं कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आएँ,तो उसे भूला नहीं कहते हैं।कथानायक विजय की कहानी भी इसी का उदाहरण है। विजय अपने बूढ़े पिता का हाथ थामे बड़े प्यार से वापस घर लौट आता है।पत्नी रीमा गुस्से में प्रश्नवाचक नजरों से पति को घूरती है,परन्तु विजय के बदले हुए तेवर … Read more