औलाद  – डाॅ संजु झा

कहते हैं कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आएँ,तो उसे भूला नहीं कहते हैं।कथानायक विजय की कहानी भी इसी का उदाहरण है। विजय  अपने  बूढ़े पिता का हाथ थामे बड़े प्यार से वापस घर लौट आता है।पत्नी  रीमा गुस्से में प्रश्नवाचक नजरों से पति को घूरती है,परन्तु विजय के बदले हुए  तेवर … Read more

नालायक बेटी  -बेला पुनिवाला

विधि की माँ सुरेखा जी आज फिर से अकेले में रोते हुए अपने आप को ही जैसे दोषी ठहरा रही थी, कि ” मेरी ही परवरिश में कोई कमी रह गई होगी, जो मुझे आज ये दिन देखने को मिल रहा है, क्या कभी कोई बेटी अपनी माँ से ऐसी बातें करती है ? कि … Read more

पेट की भूख –  डा.मधु आंधीवाल 

रानी एक होटल वार में काम करके अपने शराबी पति और अपनी बेटी रमा का पेट पालती थी । रानी बहुत ही सुन्दर व कम उम्र की महिला थी । कुछ पढ़ी लिखी भी थी जब उसकी शादी हुई तो उसका पति सुरेश एक छोटा सा कारखाना चलाता था पर ऐसी संगत हुई कि सारे … Read more

अनुपमा – पुष्पा पाण्डेय

कुछ दिनों से बुआ भी अनुपमा नाम से ही बुलाने लगी अनुपमा को। आज की अनुपमा कल की सोना थी। जब पाँच महीने की थी तभी दादी ने इसकी सूबसूरती को देखकर इसका नाम सोना रखा था। सचमुच विधाता ने उसे फुर्सत में बनाया था। बड़ी हुई तो उसके शील स्वभाव और खूबसूरती को देखकर … Read more

उफ़ मेरी MIL (हास्य रचना) – संगीता अग्रवाल 

” बेटा पू कुछ चाहिए तो नही तुम्हे ?” नवविवाहित पूजा अपने कमरे मे सिर झुकाये बैठी थी तभी उसकी सासुमा ज्योत्स्ना जी वहाँ आकर पूछने लगी। ” मम्मीजी वो …!” पूजा संकोचवश कुछ बोलने को हुई कि। ” बेटा मम्मीजी नही ये सब बहुत आउटडेटेड लगता है तुम मुझे MIL बोला करो और ये … Read more

मां की सारी जिम्मेदारी सिर्फ मेरी क्यों?? –  सविता गोयल

” बहन  ….. बहुत दिन हो गए माँ को मेरे पास रहते हुए । तूं भी तो उनकी बेटी है फिर सारी जिम्मेदारी सिर्फ मेरे सर पर क्यों ?? उनके चलते हर दिन मेरे घर में क्लेश रहने लगा है  …. अब कुछ दिनों के लिए माँ को तूं अपने घर ले जा । ,, … Read more

सॉरी मेरी गुड़िया – दीपा माथुर

सुनो दीया मै तुमसे कुछ कहना चाहती हू। जब से चिराग मेरी गोद में आया ,मुझे लगा तुम बड़ी हो गई हो और इसीलिए मैंने अपना सारा ध्यान चिराग और मेरी जॉब में लगा दिया। आज सुबह जब तुम उठी और मुझसे चिपक कर गुड मॉर्निंग कहा तो मैंने नाराज होकर तुम्हे झिड़क दिया। फिर … Read more

त्याग – मंजू लता

रवि प्रकाश युनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर थे।उनकी पत्नी का नाम सुरेखा था।वे भी स्थानीय कालेज में व्याख्याता के पद पर आसीन थीं।उनकी‌ शादी को‌ पन्द्रह साल हो गये थे। लेकिन अभी भी उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ था।वे दोनों काफ़ी उदास रहा करते थे।अच्छा घर,अच्छी कमाई,अच्छी शोहरत फिर भी उनका मन अशांत रहता था।इतने … Read more

मिलन की बेला  ( भाग – 1 ) – सीमा वर्मा

आज शाम से ही रुक -रुक कर बारिश हो रही है। चार कमरे वाले विशाल फ्लैट की बलकॉनी में शिवानी उमस भरी गर्मी में बेचैन सी टहल रही है। पति सुधीर ऑफिस के टूर से मुम्बई गये हैं। अचानक उसे कुछ याद आया उसने कमरे के टेबल पर आ कर देखा , ” यह क्या … Read more

रिक्त स्थान (भाग – 3) – गरिमा जैन

रूपा और रेखा खुशी-खुशी अपने कमरे में आती है। रूपा तुरंत अपने मोबाइल पर इंस्टाग्राम खोलती है और जितेंद्र वशिष्ठ का इंस्टाग्राम अकाउंट खोलती है। रूपा देख क्या एक से एक पिक्चर है जितेंद्र की।ये देख ये वाली लंदन की है और ये देख बंजी जंपिंग करते हुए।रूपा इसमें कितना हैंडसम लग रहा है उफ़। … Read more

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