औलाद की खातिर – मंगला श्रीवास्तव

क्या माँ जब देखो तब बस पत्रिका पंडितजी उपाय तंग आ गया हूँ मैं “समीर गुस्से से बोला और जाने लगा था। नही बेटा बस इस बार और यह कर ले शायद कोई राह निकल आये तेरे भाग्य को जगा दे।  माँ व पिताजी उसकी और कतार निगाहों से देखने लगे थे। नही होगा मुझसे … Read more

आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था – मीनाक्षी सिंह

तो बात उन दिनों की हैँ जब मैं आर्मी क्वार्टरस में रहा करती थी ! पापा ,मैं ,मम्मी और मेरे छोटे दो भाई बहन ! हुआ कुछ यूँ कि सरकारी फरमान आया फौज से कि  सभी के घरों के बिजली तारों को दिवारों  के अंदर किया जायेगा ! इसके लिए सभी के क्वार्टरस की दीवारें … Read more

औलाद –  देखा जो ख्वाब – मोहिनी गुप्ता

“बहू ! अब और इंतज़ार मत करवाओ , कहीं ऐसा न हो कि पोते का मुंह देखे बिना ही इस संसार से चली जाऊं !” एक साल ही हुए थे कशिश और अमन की शादी को मगर कशिश को रोज़ इसी तरह के ताने सुनने को मिलते ।       कोशिश तो कर रहे हैं ना हम … Read more

विश्वास की डोर – नताशा हर्ष गुरनानी

आज रजत बहुत उदास और परेशान है उसे समझ नही आ रहा है वो करे तो क्या करें। कल तक जो परिवार उसका अपना था आज एक पल सब पराए लगने लगे उसे। क्यों सुनी उसने अपने मम्मी पापा की बात कि उसे अनाथालय से गोद लिया था। ओह मैं अनाथ था इन्होंने मुझ पर … Read more

शारदा मैया का अनुपम उपहार – सुषमा यादव

मेरी बेटी की शादी हुए अभी दो साल ही हुए थे कि बच्चे के लिए परेशान होने लगी,उसकी बेकरारी बढ़ती ही जा रही थी। बस यही रटन लगाती, मेरी सभी सहेलियों के बच्चे हो गए हैं, मुझे भी चाहिए। अभी बेटा कितना समय हुआ है, कुछ दिन तो अपने आप को भी समय दो,पर वो … Read more

एक बेटा ऐसा भी – कान्ता नागी

गुरप्रीत की अमृतसर में कपड़ों की एक छोटी सी दुकान थी। परिवार में पत्नी प्रीतो और पुत्र अवतार था।वह बड़ा ही मिलनसार और व्यवहार कुशल था।मंडी मे सभी ग्राहक उसकी दुकान पर ही कपड़े खरीदने आते थे। इस प्रकार उसने अमृतसर में ही अपनी मेहनत के बल पर एक बड़ा शो रूम खरीद लिया।उसका बेटा … Read more

’भय बिना होत न प्रीत’’  – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

सुना है गरजने वाले बादल कभी बरसते नहीं….पर अस्सी साल के राममनोहर गरजते भी थे और बरसते भी। चार बेटे, चार बहुंये और 12 पोते पोतियों से भरा पूरा परिवार है राममनोहर का। गरजने को तो उन पर ही गरजते थे पर उन पर बरस सके, अब शायद इतनी उनमें हिम्मत नहीं थी इसलिये बरसते … Read more

रंग लगे पांव – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

 “माॅं, सब मेरा मजाक उड़ाते हैं। मैं ऐसा ही हूॅं तो मैं क्या करूॅं।’’ “कोई बात नहीं बेटा, समय के साथ सब सही हो जायेगा। इसमें तेरी कोई गलती नहीं है।’’ जानकी अपने बेटे की परेशानी देखकर परेशान हो गयी। उसने अपने बेटे को तो समझा दिया परन्तु दिल के किसी कोने में एक शंका … Read more

खाली स्त्री – कंचन श्रीवास्तव 

तुम मेरा चौतरफा संभालो हम तुम्हें भरपूर प्यार देंगे,कहते हुए एक पुरुष जब पहली रात को घूंघट उठा उंगली पर चेहरे को लेके कहता है, तो स्त्री का कोमल मन उसकी बात पर यकीन कर सहसा झुकी हुई पलकों से मौन स्वीकृति दे देती है। अच्छा है मैं सब कुछ संभआलूगई,बदले में प्यार मिलेगा इनका,आखिर … Read more

सबक – लतिका श्रीवास्तव

जैसे जैसे चिराग के रिजल्ट घोषित होने का दिन नजदीक आ रहा था शोभा जी के पूजा पाठ का समय भी बढ़ता जा रहा था…वैसे तो वो रोज ही पूजा करती ही थीं परंतु इस समय तो मंदिर में बहुत ध्यान लगा के पूजन हवन करने लगी हैं…आखिर उनकी प्रतिष्ठा जो दांव पर लगी है … Read more

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