जी ले जरा – गुरविंदर टूटेजा

बस में गाना चल रहा है… आज फिर जीने की तमन्ना हैं… आज फिर मरने का इरादा हैं…  सखियों की टोली आज पिकनिक जा रही है… मैं लवली हमारा किट्टी ग्रुप आज अपनी पच्चीसवीं सालगिरह मना रहा है….मैं जब शादी होकर आई तो आते ही दोनों जेठानियों ने बताया कि हमारी किट्टी है तुम्हें भी … Read more

मां मुझे वापस कोटा नहीं जाना है। – सुषमा यादव

मेरी बेटी अभी बोर्डिंग स्कूल से दसवीं पास करके आई नहीं कि हम दोनों ने उसे कोटा कोचिंग के मेडिकल प्रवेश टेस्ट में बैठा दिया, वो मना करती रही कि अभी मुझे पढ़ने दीजिए, बारहवीं पास करने दीजिए। पर हम नहीं माने, और वो पास हो गई,। हमने सबको बड़ी खुशी से बताया, बेटी कोचिंग … Read more

औलाद की उपेक्षा का दंश – सुषमा यादव

जिएं तो जिएं कैसे बिन तुम्हारे,, **** ,,, कुछ दर्द बह जाते हैं, आंसू बनकर,, कुछ दर्द चिता तक जातें हैं,,,**** ,, कुछ स्मृतियां ऐसी होती हैं, जो कभी भी धूमिल नहीं होती हैं, जिंदगी में कुछ अपने बहुत ही अज़ीज़ होते हैं, जो हमसे बिछड़ जाते हैं,,हम उन्हें विस्मृत नहीं कर पाते,बस समय की … Read more

बहू का दर्द – किरन विश्वकर्मा

बहू रिया अस्पताल से जैसे ही अपनी बिटिया को लेकर घर के बाहर गाड़ी से उतर कर खड़ी हुई तो घर को फूलों से सजा देखकर बहुत खुश हुई और खुशी से मेरी ओर देखते हुए बोली की……मम्मी जी मैं बहुत खुश हूं मुझे पता है यह सब आप ही ने किया है। अरे पहली … Read more

ममता फर्क नहीं करती – किरन विश्वकर्मा

मैं अभी बाहर खड़ी सब्जी ले ही रही थी कि मुझे वैभवी अपनी बेटी के साथ दिखाई दी जो की ट्रॉली बैग लेकर कहीं बाहर जा रही थी मुझे देखते ही उन्होंने पूछा कि……बहुत दिनों बाद दिखाई दे रही हो क्या बात है मैंने भी जवाब दिया हां अब तबीयत सही नहीं रहती है शुगर … Read more

विरासत – स्नेह ज्योति

छुक-छुक करती ट्रेन चली दिल्ली से बिहार बढ़ी…प्रताप और राकेश अपने परिवार के साथ अपने गाँव जा रहे थे।पिता जी के देहांत के बाद दोनों का गाँव से नाता ही टूट गया था।शहर की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में दूसरो के लिए तो छोड़ो अपनों के लिए भी वक़्त नहीं मिलता,तो गाँव का तो सवाल ही नहीं।सिया … Read more

फिर कब मिलोगे – डा.मधु आंधीवाल

रुचि खिड़की में खड़ी सोच रही थी आज पांच साल होगये विभू को गये हुये । एक बार भी उसने लौट कर नहीं देखा पर उससे क्या शिकायत गलती तो मेरी ही थी । मैने कहां कोशिश की कि जो गलत फहमियां हम दोनों के बीच पनप गयी उनको दूर करले ।          रुचि और विभू … Read more

इज़्ज़त पाने के लिए इज़्ज़त देना भी पड़ता हैं….. – रश्मि प्रकाश 

“देखा तुमने सुनंदा की बहू यहाँ से शहर क्या गई पूरी शहरी हो गई है …यहाँ थी तो साड़ी पहनती थी और सिर से पल्लू जरा ना सरकता था चार महीने में देखो क्या रंग रूप बदल गए उसके।” सुनंदा जी की पडोसन मालती ने एक पड़ोसन विमला से कहा “जाने दे ना … तुम्हें … Read more

छोटी छोटी खुशियां – मीनाक्षी सिंह

माँ जी जल्दी चलिये ,बाहर बारात निकल रही हैँ ! अकेली चली जा ऊपर ,देख आ छत से ! नहीं माँ जी ,नई बहू हूँ ,सब क्या सोचेंगे ! मेरे तो ढ़ोल पर पैर अपने आप थिरकने लगते हैँ ! कहीं वहीं ना शुरू हो जाऊँ ! बहू प्रांजल हँसते हुए बोली ! तू भी … Read more

‘अंग्रेज़ पड़ोसन ‘ – विभा गुप्ता

हिन्दी भाषा का राग हमलोग चाहे जितना भी आलाप ले लेकिन अंग्रेजी का अं और इंग्लिश का इं बोलने में हम महिलाओं के चेहरे पर जो चमक आती है,उसके क्या कहने।इस भाषा की सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि जिन शब्दों का प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं,उसका मतलब हमें मालूम ही … Read more

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