इत्र वाला नशा – स्नेह ज्योति

सन सत्तर का ज़माना था ऊंची पैंट पहन आँखो पे गोगल लगा,गली में इतराना था।कोई अपुन को टोक दे,ऐसा बस फ़साना था।हीरो नही पर हीरो वाला रुबाब दिखा लड़कियों पे इंप्रेशन जमाना था ।अपुन का नाम बोले तो लियाक़त हरफ़नमौला सक्षीयत वाला बंदा हूँ।प्यार से लोग मुझे लियाक कहते हैं।विरासत में दो ही चीजें मिली-एक … Read more

गलती का अहसास – के कामेश्वरी 

रमेश और रचना के तीन बच्चे थे । सबसे बड़ा लड़का शिशिर था उसके बाद जूही और ख़ुशबू । रचनाके घर जो भी आते थे उनके बच्चों के नाम सुनकर कहते थे तुम्हारा घर तो बाग है । शिशिर नेइंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक बहुत बड़े कंपनी में नौकरी करने लगा था । … Read more

माता-पिता बच्चों पर बोझ क्यों हो जाते…. – रश्मि प्रकाश

“ अरे अरे ये क्या कर रहे हैं जी आप…. सामान क्यों बाँध रहे हैं…?” सुनंदा जी ने रामशरण जी से पूछा  “ हम अपने घर जा रहे हैं… अब यहाँ एक पल भी नहीं रूकना..समझी तुम ।” डपटते हुए रामशरण जी ने कहा  “ अरे धीरे बोलिए ना…बेटा बहू सुन लेंगे ।“ सुनंदा जी … Read more

क्या यही प्यार है ? (भाग  -3)  – संगीता अग्रवाल 

कुछ दिनों की कोशिश के बाद मीनाक्षी ने केशव की नौकरी अपने ऑफिस मे लगवा दी। केशव शुरु मे ये नौकरी करना नही चाहता था क्योकि उसे ऐसा लगता था एक ऑफिस मे नौकरी होने से कही दोनो मे दूरियां ना आ जाये या कही किसी मोड़ पर दोनो का अहम ना टकरा जाये।  तब … Read more

क्या यही प्यार है ? (भाग  -2)  – संगीता अग्रवाल

अब प्यार का इजहार तो हो गया पर कॉलेज का आखिरी दिन था तो रोज मिलना तो संभव था नही तो अब एक ही जरिया था जिससे उन दोनो का प्यार परवान चढ़ सकता था वो था फोन …तो फोन पर लम्बी लम्बी बाते होने लगी …। ” मीनू क्या हम मिल नही सकते ?” … Read more

क्या यही प्यार है ? (भाग  -1)  – संगीता अग्रवाल 

“ये अदालत एक घंटे तक के लिए मुल्तवी की जाती है ।” जज के इतना बोलते ही शांत अदालत मे चहल पहल शुरु हो गई। दोपहर के डेढ़ बजे थे लंच ब्रेक था। जज अपनी कुर्सी छोड़ जा चुके थे। कुछ लोग बाहर आ चाय पी रहे थे कुछ आस पास के स्टॉल से कुछ … Read more

सच्ची दोस्ती – चंद्रमणि चौबे

मैं और अमीषा एक साथ एक ही स्कूल में बचपन से ही पढ़ती थी हम लोगो में बहुत ही घनिष्ठता थी ग्रेजुएशन के बाद मैं मास्टर करने दिल्ली चली गई अमीषा भी भोपाल जाकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की एक दिन अचानक अमीषा का कॉल आया बहुत घबड़ाई सी लगी पूरी बात तक नही … Read more

चल रे विभूति वृद्धाश्रम – मीनाक्षी सिंह

समीरा जी और विभूति जी ने नाजों से पाला अपने बच्चें ललित को ! पर जब बुढ़ापे में बेटा ,बहू दिल को ढेस पहुंचाते तो वो दोनों लोग अपने पुराने मित्र रवि प्रकाश से थोड़ा दुख बांटने चले ज़ाते ! आज फिर वो रवि जी के पास आयें हैँ ! रवि प्रकाशजी  उन्हे सांत्वना देते … Read more

अधूरी चीख –  बालेश्वर गुप्ता

 एक शोर उठा,भगदड़ मची,काफी लोग उसी दिशा में दौड़ लिये,कुछ अपने स्थान पर ही खड़े खड़े, क्या हुआ जानने का प्रयास करने लगे।कुली ने बताया कि एक कुलीन शालीन सा व्यक्ति यही बैंच पर काफी देर से बैठा था।सफेद झक धोती,ऊपर से सफेद ही कमीज।बस जैसे ही ट्रेन आयी वो एकदम झटके से उठकर  चलती … Read more

बट्टा – कंचन श्रीवास्तव

चार पैसे क्या कमाने लगी, वक्त ही नहीं मिलता,पास बैठकर हाल चाल पूछने का ,कहते हुए राधा ने श्याम को चाय की प्याली पकड़ाई और बगल में ही बैठते हुए बोली,सुनो- बिटिया अब सयानी हो गई कुछ सोचा, अरे उसके हाथ पीले कर दो वरना उमर बढ़ती जा रही है, आखिर और सब भी तो … Read more

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