इत्र वाला नशा – स्नेह ज्योति
सन सत्तर का ज़माना था ऊंची पैंट पहन आँखो पे गोगल लगा,गली में इतराना था।कोई अपुन को टोक दे,ऐसा बस फ़साना था।हीरो नही पर हीरो वाला रुबाब दिखा लड़कियों पे इंप्रेशन जमाना था ।अपुन का नाम बोले तो लियाक़त हरफ़नमौला सक्षीयत वाला बंदा हूँ।प्यार से लोग मुझे लियाक कहते हैं।विरासत में दो ही चीजें मिली-एक … Read more