डरो नहीं बेटियां…! – रोनिता कुंडू

सुनो माया..! जब हमारा बेटा हो जाएगा, ना… हम माता रानी के दर्शन के लिए ज़रूर चलेंगे….  अशोक ने अपनी पत्नी माया से कहा…  माया:   बेटा मतलब..? आपको कैसे पता बेटा ही होगा..? बेटी भी तो हो सकती है ना..? अशोक:   क्यों करती हो ऐसी बात…? जब कुछ अच्छा नहीं सोच सकती, तो … Read more

‘ इज़्जत की रोटी ‘ – विभा गुप्ता 

शहर का प्रसिद्ध श्री कृष्णा सभागार आज लोगों से खचाखच भरा हुआ था।अवसर था ‘ लेडी ऑफ़ द ईयर ‘पुरस्कार देने का।मुख्य अतिथि के आते ही उनको  फूलों का हार पहनाकर ज़ोरदार स्वागत किया गया।उद्घोषक महोदय ने मंच पर आकर जैसे ही पुरस्कार की विजेता श्रीमती मालिनी शर्मा का नाम पुकारा तो सारा हाॅल तालियों … Read more

सन्यासी – मुकुंद लाल 

गर्मी का मौसम था। स्कूल मार्निंग हो गया था। वसुधा सुबह उठकर सबसे पहले उसने अपने दैनिक कार्यों को निपटाया, फिर अपने पुत्र आलोक, पुत्री रितु, दोनों को दुलारे-पुचकारते हुए उठाया। दोनों उठकर दैनिक क्रिया-कर्म में लग गए। उससे फारिग होकर स्कूल जाने की तैयारी में जुट गये। वसुधा ने भी फुर्ती से चाय-नास्ता तैयार … Read more

मेरी बहू सबसे अच्छी…. – सविता गोयल

नमिता जी और प्रकाश जी आज बहुत खुश थे। आज उनके बेटे विहान को एक बड़ी कंपनी में सी ई ओ की पोस्ट मिली थी । नमिता जी को अपनी परवरिश और अपने बेटे की काबिलियत पर बहुत नाज था। अब बस वो जल्दी से अपने बेटे के लिए उसके लेबल की ही बहू लाना … Read more

क्या आप अपनी पत्नी की मदद करते हैं ???? – सुषमा यादव

 समाचार पत्र में एक खबर पढ़ी थी, जिसमें अमीर लोग घर का काम बड़े ही शौक से करते हैं,, कोई घर का राशन लाना पसंद करता है तो किसी को रसोई में घुस कर खाना बनाना पसंद है,तो कोई घर का कचरा डालना चाहता है, दुनिया के तमाम अरबपतियों को अपने किचन से बेहद लगाव … Read more

गरीबों की भी इज्जत होती है – पुष्पा जोशी

‘तुझे अपनी लड़की की चिंता है कि नहीं, इज्जत क्या होती है तू क्या समझेगी.यह समझना तेरे बस की बात नहीं, तुम गरीबों की क्या इज्जत.कितनी बार समझाया कि चांदनी को उस सोमेश के यहाँ काम पर मत भेज, मगर मानती ही नहीं.तुम दोनों पति-पत्नी काम करते हो, फिर क्या जरूरत है उसे इस तरह … Read more

‘ पत्नी हूँ मैं ‘ –  विभा गुप्ता

 एक दम्पति साथ बैठकर टेलीविजन पर एक धारावाहिक देख रहें थें।दृश्य में पुरुष पात्र आराम से कुर्सी पर बैठा था और महिला पात्र जो कि पुरुष की पत्नी थी,भोजन परोस रही थी।फिर उसने पति को जूस का गिलास दिया और जूते लाकर दिये।दृश्य-परिवर्तन होता है जिसमें पति ऑफ़िस से आता है तब पत्नी पानी-चाय देती … Read more

यह कैसा न्याय  – डॉ उर्मिला शर्मा

फुलवा आंगन में घूंघट काढ़े लाल गोटेदार साड़ी पहने और उसपर लाल सितारों जड़ी चुनरी ओढे पीढ़ा पर सकुचाई सी पर बैठी थी। गेहुएं रंग की तीखे नैन- नक्श, बड़ी-बड़ी आंखे  और लंबे बालों की चोटी नागिन सी धरती छू रही थी। माथे पर बड़ी सी गोल लाल बिंदी और आंखों में मोटे काजल उसकी … Read more

बच्चों ने इज्जत बढ़ा  दी – मीनाक्षी सिंह

साल 2014 दिन 8 जून उषा जी के जीवन का सबसे बुरा ,दुख से भरा दिन ! बड़ी बीटिया के ब्याह के मात्र सात दिन शेष ! पति फौज में सूबेदार के पद पर तैनात थे ! बच्चों को लेने आ रहे थे ! अपने पैत्रक गांव से विवाह कर रहे थे ! घर में … Read more

जीवन की पूर्णता का सुख  – मधु झा

कुसुम ने अपनी सहेली सविता को अपनी बहू मीता के आने की खुशखबरी देते हुए  घर आने का निमंत्रण भी दे दिया। वो तो चार दिन पहले से ही बहू के आने की  तैयारी में लग गयी थी । बेटा-बहू या बेटी-दामाद कोई भी आते हैं तो कुसुम इसी तरह बड़े उत्साह और ख़ुशी से … Read more

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