पंखों की उड़ान  – पुष्पा जोशी

आज निशा ने कई दिनों ,या यूँ कहैं ,कि कई वर्षों के बाद घर से बाहर कदम रखा था |जब से ब्याह कर आई  ,उसकी दुनियाँ इस चार दिवारी में सिमट कर रह गई  थी |उसनें अपनी खुशियाँ अपने परिवार में ढूंढी |सबकी ख्वाइशें पूरी करने में उसे सुकून मिलता |माँ(सास) की दवाइयों का,भोजन का … Read more

अनमोल रिश्ता – संगीता श्रीवास्तव

कांति का घर मौली के घर के पास ही था। उसका भी अपना खुशहाल ‌परिवार था। अपने 2 साल के बेटे और पति के साथ रहती थी। उसका पति ठेले पर खाने पीने का सामान बेचता था। दशहरे के मेले में अपना ठेला लगाया हुआ था। कांति भी बेटे के साथ गई थी।अचानक मेले में … Read more

प्रायश्चित..! – कामिनी सजल सोनी

देखो जी मैं कहे दे रही हूं बड़े भैया आ तो रहे हैं लेकिन अगर कुछ पैसों की मदद मांगे तो साफ मना कर देना मैंने सुना है कि इस बार गांव की फसल अच्छी नहीं हुई है…!! राघव के बड़े भाई सुरेंद्र जी  के आने की खबर सुनकर शीतल का मूड सुबह से ही … Read more

दृष्टिकोण – दीपा माथुर

राधेश्याम जी हाथ को पीछे किए लोन में चक्कर काटे जा रहे थे और मन ही मन बड़बड़ाने का सिलसिला जारी था। तभी उनकी पत्नी  मृदुला जी पानी का गिलास लेकर पहुंची ” ये लीजिए कम से कम कुल्ला तो कर लीजिए।” हो सकता है ट्रेन लेट हो। राधेश्याम जी ने घड़ी देखी फिर बोले … Read more

“इज्ज़त” – चंद्रमणि चौबे

पिता जी जिला कैमूर में सिविल सेवा  सर्विस से   रिटायर हो घर आ चुके हैं घर में तीन बहू, बेटे  और दो उनकी बेटियां है। काफी  खुशहाल परिवार है। मैं घर की सबसे बड़ी बहू होने के नाते मेरा उत्तरदायित्व भी बड़ा है। सासू मां के नही होने के कारण घर की इज़्ज़त हाल … Read more

ओहदा – मीनाक्षी सिंह

बीटिया आ रही  हैँ पूरे एक साल बाद ! ए रे कल्लू ,ज़रा वही गर्मागरम गुलाब जामुन दे दे एक किलो ! हाँ जी वर्मा जी ,हम जानते हैँ हमारी बीटिया को कितने पसंद हैँ ! तुम नहीं भी ले ज़ाते तो  अपने नाती को देखते ही घर भिजवा देता ! भई अब तो लोग … Read more

दूरदर्शन – गुरविंदर टूटेजा 

महिमा व अजय की आज शादी को पच्चीसवीं साल हो गये थे….महिमा ने कहा आज वो समय याद आ गया जब हमारा आँखों ही आँखों में हुआ प्यार परवान चढ़ा था..वो भी भीड़ के बीच में पता ही नहीं  चला कि कब जादुई डिब्बें का जादू हम पर चल गया…और वो बच्चों को बताने लग … Read more

डरना नही – संगीता अग्रवाल 

नियति यूँही फेसबुक खोल पोस्ट स्क्रॉल कर रही थी । पतिदेव के ऑफिस जाने और बच्चो के कॉलेज चले जाने के बाद उसके पास काफी समय होता था जिसे वो सोशल मीडिया पर शायरी लिखकर गुजारती थी। आज भी जब स्क्रॉल कर थक गई तो एक शायरी ग्रुप मे लिखने बैठ गई। ” किसी के … Read more

क्या कहेंगे लोग – आरती झा आद्या

क्या बात है आजकल बहुत बैचेन रहते हो…पति राम के बालों को सहलाती दीया ने पूछा। नहीं कुछ नहीं… क्यूं बालों को खराब कर रही हो…आशा के हाथ झटकता राम चाय का कप उठा घर की छत पर चला गया।  राम की इस प्रतिक्रिया से दीया आवक सी उसे छत पर जाती देखती रह गई। … Read more

छुटकी चंदा  – मधु झा

आज पति के साथ बैंक गयी तो कोने वाली टेबल पर कोई जाना-पहचाना चेहरा लगा,, मैं सोच ही रही थी उसके बारे में कि वो आकर मुझसे कहने लगी –आँटी, मुझे पहचाना,,? मैं आपकी छुटकी चंदा,,। मैं याद कर चौंक पड़ी और उसे देखकर खुशी से आँखें नम हो गयी,,,,। आज से करीब बारह-पंद्रह साल … Read more

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