समझाइश  – पुष्पा जोशी

पार्थ ने फोन का रिसीवर रखा और एक लम्बी सांस ली।उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई, वह सोच रहा था कि जब स्मिता  मौसी घर आएगी, वह सबके साथ साम्य कैसे स्थापित करेगा।पत्नी रूपा अपनी जिद पर अड़ी है।माँ बीना इस पूर्वाग्रह से बाहर ही नहीं आ पा रही है, कि वे जो … Read more

पाखंडी – डा.मधु आंधीवाल

वसुधा अपनी खिड़की पर खड़े होकर शाम के धुंधलके में खड़े होकर वृक्ष की ओर टकटकी लगाकर देखरही थी ।एक चिड़िया अपने तीन बच्चों को बार बार दाना लाकर खिला रही थी ।तीनों बच्चों को वह पूरी तरह सुरक्षा दे रही थी ।इतनी देर में एक बाज आया और  उस घोंसले के चारों ओर मंडराने … Read more

चाचा की चाल – मुकुन्द लाल

 हितेश जैसे ही कंपनी के दफ्तरर से ड्यूटी करके लौटा तो देखा कि डेरा में खामोशी छायी हुई है। उसकी पत्नी भूमिका जो दरवाजे के पास उसके इंतजार में मौजूद रहती थी, वह बेड-रूम में पड़ी हुई है और उसके चेहरे पर क्रोध की लकीरें उभर आई है।   उसने उसकी खुशामद करते हुए उसकी कलाई … Read more

आखिर मुखौटा उतर ही गया – शुभ्रा बैनर्जी

नंदिनी काफी दिनों से विवेक को तलाश रही थी।बहुत मुश्किल से जब पता मिला तो नंदिनी मिलने के लिए पहुंची आफिस।आलीशान बिल्डिंग थी ।नंदिनी आफिस से उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की खुशहाली देख सकती थी।दूर से देखकर नंदिनी ने विवेक को पहचान लिया था।बस अब उससे मिलने की जरूरत नहीं। विवेक को देखते ही नंदिनी अपने … Read more

“सिया” – रीता खरे

रामश्री काकी की नजरें रोज घूंघट डाले बंशी की दुल्हनरामश्री काकी की नजरें रोज घूंघट डाले बंशी की दुल्हन का पीछा करतीं, पर सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाने के कारण उनके मन में उधेड़ बुन चलती ही रहती थी ।   बंशी शहर की एक गैरेज में काम करता था, वहां से देर रात … Read more

घर में पत्नी भक्त, बाहर आशिक आवारा – सुषमा यादव

शिवानी के पड़ोस में एक प्यारा सा परिवार रहता था, जिसमें पति, पत्नी और दो प्यारे से छोटे बेटे थे। शिवानी देखकर बहुत खुश थी,कि मौली का पति अपनी पत्नी को बहुत मानता था,उसका बड़ा ख्याल रखता , आफिस से आने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चों को घुमाने जरूर ले जाता, पत्नी को … Read more

श्रद्धा के फूल – अभिलाषा कक्कड़

बाबा बाबा !! की आवाज़ लगाती मुनिया जब अपने पिता के पीछे दौड़ी तो रामा ने एकदम से अपनी रिक्शा रोक ली । अरे उठ गई हमारी बिट्टो रानी क़ह कर झट से बिटिया को गोद में उठा लिया । बाप बेटी का प्यार देखकर सामने खड़ी रामा की पत्नी  बिंदिया अपने सिर के पल्लू … Read more

गुरुदक्षिणा – नताशा हर्ष गुरनानी

अजय की मौत की ख़बर ने जैसे अंजली को तोड़ ही दिया। बदहवास सी बस रोते ही जा रही थी; माँ पापा सब परेशान थे। अजय, अंजली बचपन से ही एक साथ पले, बढ़े थे। अजय, अंजली के पापा के घनिष्ट मित्र का बेटा था। 4 साल की उम्र में उसके माता पिता एक प्लेन … Read more

लाड़ो – मधु शुक्ला

शान्ति देवी ने जब से बेटे का विवाह किया है। उनकी जिंदगी बदल गई है। सुंदर, सुशील, कमाऊ बहू की बढ़ाई करना, जेवर खरीदना और किटी पार्टियों की शोभा बढ़ाना उनकी दिनचर्या बन गई थी। बहू अपनी कमाई से घर चलाती थी। तो शांति देवी को सुअवसर मिल रहा था। पति की कमाई बचाने का। … Read more

मेरी सासु माँ का दोहरा व्यक्तित्व – अमिता कुचया

आज कल‌ जैसे की सोच होती है ,पढ़ी लिखी बहू आए और अगर नौकरी वाली  बहू आती है। तो ससुराल वाले को पुराने सोच बदलने की जरूरत होती है। क्योंकि सर्विस वाली बहू के रहन सहन और व्यवहार में अंतर होता है, घरेलू बहू की अपेक्षा… कहने को आधुनिक विचारों वाले सोच हम लोग है  … Read more

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