अधूरी ख्वाहिश – पृथ्वीराज

प्रिया, कई सालों के बाद आज अपने गांव लौट कर आई थी, वो वहां के ज़मीदार की बेटी थी, शक्ल से तो खूबसूरत थी ही, और अब शहर में पढ़ कर समझदार भी हो गई थी.. वो इस गांव की अकेली लड़की थी जो शहर पढ़ने गई थी.. और कुछ दिनों की छुट्टी में वो … Read more

शैव्या।  – डा उर्मिला सिन्हा

 यह शैव्या राजा सत्य हरिश्चन्द्र जी की पत्नी नहीं अपितु हमारी इस छोटी सी कहानी की नायिका है। अपने धर्म राज की धर्मपत्नी। मां बाप ने धर्मराज के पल्ले बांध दिया जिसे शैव्या और धर्म राज दोनों निभाये जा रहे थे।       हमारी शैव्या कोई ऐसी वैसी नारी  नहीं बल्कि पूरी सातवीं जमात तक पढ़ी हुई … Read more

बहू खुशियों को वक्त का मोहताज नहीं बनाते ..! – मीनू झा 

मम्मीजी… चलिए ना थोड़े मुरमुरे और तिल के लड्डू बनाते हैं मुझे बहुत पसंद है .. संक्रांति आने वाली है ना?? मम्मीजी ने कान में इयरफोन लगाया था तो सुन नहीं पाई..मंजरी फिर अपनी बात को दोहराने ही वाली थी कि पापाजी ने उसे चुप रहने का इशारा किया। दो महीने पहले ब्याहकर आई मंजरी … Read more

सासू मां ने किया ही क्या है?? –  कनार शर्मा

मां देखो आज मुझे प्रमोशन मिला है और इसी खुशी में मैंने तुम्हारे लिए बनारसी साड़ी ऑर्डर करी है मिलते ही मुझे जरूर बताना राधिका ने अपनी मां प्रभा को फोन पर कहा। अरे राधिका बेटा इसकी क्या ही जरूरत थी?? इतनी साड़ियां भरी पड़ी है मेरे पास मगर पहनकर जाने का अवसर ही नहीं … Read more

  ‘ वक्त बदलता अवश्य है ‘ – विभा गुप्ता

 ” वो देखो, शराबी की बीवी जा रही है।” चौराहे पर बैठे लोगों में से एक ने कहा तो रुक्मणी धीरे- से बुदबुदाई, फिर से वही शब्द…..ओफ़्फ! और हमेशा की तरह अपने कानों पर हाथ रखते हुए वह वहाँ से निकल गई।          ‘ शराबी की पत्नी ‘ हमेशा से रुक्मणी की पहचान नहीं थी।दस बरस … Read more

शुभा की जीवन यात्रा” – सीमा वर्मा

” हम तो यूं ही बैठे हैं , उम्र की दहलीज पर देखूं कहां तक ले जाता है वक्त हमें घसीटे हुए “ साथियों यह कहानी एक स्त्री की सम्पूर्ण जीवन यात्रा है। उसके बालपन से शुरू हुई उम्र की उन्यासवीं पायदान पर खड़ी आसन्न मृत्यु के इंतजार करती बेचैन ‘शुभा ‘  की आंखों में … Read more

काश कुछ वक्त मिल जाता – किरन विश्वकर्मा

नीरा बहुत खुश थी, उसके बेटे पार्थ की शादी होने वाली थी। वह यह सोच कर बहुत खुश थी कि अभी तक वह बहू थी अब उसकी भी बहू आ जायेगी। अपनी सहेली रमा के साथ नीरा आज कुछ सामान खरीदने पर मार्केट आई हुई थी। अभी शादी में एक महीने का समय था दोनों … Read more

“सब दिन होत न एक समाना ” – डॉ. सुनील शर्मा 

राम चरण मास्टर जी जब तक विद्यालय के प्रधानाचार्य रहे, अपनी शर्तों पर नौकरी की. कभी विद्यालय के कार्यकलापों में न किसी तरह की ढील बर्दाश्त की, न एक भी पैसा खाया. उसूलों के पक्के मास्टर साहब ने न कभी टयूशन किए और सभी मातहत अध्यापकों पर भी कड़ी नज़र रखी. बल्कि कमज़ोर छात्रों के … Read more

अपने और पराए-वक्त ने बतलाए – पूजा मिश्रा

”कहो राजकरण! कैसा लग रहा है? अब चले, कि अभी अपनी आंखों से और भी कुछ देखना बाकी है।”  ”नहीं-नहीं प्रभु, अब इतना सब कुछ देख लिया, अब तनिक इच्छा नहीं करती कि और कुछ अपने आंखों से देखूँ। अभी इसी समय कृपया कर मुझे अपने साथ ले चले प्रभु, कृपया कर अपने साथ ले … Read more

कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज – कुमुद मोहन 

“ये सब इस मनहूस की वजह से हुआ! जब वो जा रहा था कैसे रो रो के इसने अपशकुन किया था! जब से फ्रंट पर जाने की बात सुनी थी इसने शलभ को चैन की सांस तक ना लेने दी थी पूरे घर में मनहूसियत फैला के रखी थी!हर वक्त मुंह सूजाऐ घूमा करती! अरे!जब … Read more

error: Content is protected !!