प्रतियोगिता  – अंतरा 

रेणु जी एक डिग्री कालेज की प्रिन्सिपल हैं। आज डिग्री कालेज में प्रतियोगिता है। हर साल रेणु जी प्रतियोगिता रखती है जो कि हर बार ही कुछ अलग होती है। इस साल भी किसी को नहीं पता कि प्रतियोगिता में क्या होने वाला है। मैदान बच्चों और अध्यापकों से खचाखच भरा हुआ है। रेणु जी … Read more

चांद बालियां* – अर्चना नाकरा

मीनू ..’अपनी दादी के संदूक को अजायबघर कहती थी’ कोई भी  ऐसी चीज नहीं थी जो दादी के बड़े से संदूक में ना हो ! और दादी ..उस पर बड़ा सा मोटा सा ताला लगा कर रखती थी ‘ताला भी अस्सी साल पुराना था’ दादी की मां ने.. दादी को दिया था मीनू अक्सर उस … Read more

लापता – पुष्पा जोशी

अब तुम्हारी इस मार का और तुम्हारी भद्दी गालियों का कोई असर नहीं होता मुझपर। हरसू तुम्हारी हर पल यही मंशा रहती है,कि मैं कुछ कहूं और तुम दुगनी रफ्तार से मुझ पर वार करो, लातों के और शब्द बाणों के,मगर मैं ऐसा नहीं करूंगी । मैं पहले तुम्हें रोकती थी, तुम पर कुछ विश्वास … Read more

स्लम डॉग्स – रवीन्द्र कान्त त्यागी

एक चमचमाती सफ़ेद वॉल्वो बस गाँव के कच्चे रास्ते पर हिचकोले खाती हुई बरगद के पेड़ के नीचे आकर ठहर गई। जोहड़ में नगधड़ंग नहाते बच्चे, सिर पर घास का गट्ठर लादकर खेत से लौटती घसियारनें, बैलों का पगहा थामकर थके हारे धूल में अटे हरवाहे और हुक्का गुड्गुड़ाते झुर्रीदार मूछों वाले बुजुर्ग जिज्ञासू निगाहें … Read more

रंग भरिये अपने ख़्वाबों में… – संगीता त्रिपाठी 

“क्या माँ, आप ठीक से इंग्लिश भी नहीं बोल पाती हैं। पता हैं, आज आपके गलत इंग्लिश बोलने को लेकर मेरा कितना मजाक उड़ा।”स्कूल से लौटी नन्ही मीनल ने माँ से शिकायत की। बेटी की नजरों में अपनी अवहेलना देख मीता थोड़ा उदास हो गई।उसकी पढ़ाई -लिखाई हिंदी मीडियम से हुई। बच्चों को इंग्लिश मीडियम … Read more

मुझे तुम्हारे पैसे नही तुम्हारा वक्त चाहिए!  – मनीषा भरतीया

सपना एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। ,” लेकिन उसकी शादी एक रहीस खानदान में हुई थी। ,उसे सब कुछ एक सपने जैसा लग रहा था, जैसा गुड्डे गुड़ियों के खेल में होता है.. आलीशान घर, चार- चार,गाड़ी , नौकर- चाकर।” ऐसा प्रतीत हो रहा था….जैसे वो कोई महल में आ गई हो, और वहां की … Read more

 वक़्त का ख़ेल – बेला पुनिवाला 

आधी रात को अपने ही बंगले के चारों ओर चक्कर लगाते हुए सौरभ अपनी ही धून में तेज़ दौड़ लगा रहा था। जैसे कि उसे किसी को हराना हो, उसकी आँखें गुस्से से आग बबूला हो रही थीं, उसे वक़्त और जगह का भी कोई होश नहीं था। तभी सौरभ की माँ उसे पीछे से … Read more

शादी की तस्वीर !! – स्वाती जैंन

शालू को अलमारी साफ करते – करते पुरानी तस्वीर हाथ लग गई , वह मन ही मन बुदबुदाई  हाय कितनी प्यारी तस्वीर हैं हम दोनों की , पति रोहित कितने स्मार्ट लगते थे तब और मैं भी तो किसी हिरोईन से कम ना थी !! पतली कमर , सुंदर घुँघराले कमर तक आते बाल , … Read more

एक वो भी वक़्त था बहू – मीनाक्षी सिंह 

निम्मी – माँ जी मुझे तो बहुत घबराहट हो रही हैँ ,आपकी अमेरिका वाली बहन अपने  पूरे परिवार के साथ आ रही हैं वो भी पूरे 15 दिन के लिए ! मैं खाने पीने के , बाकी सब के इंतजाम कैसे करूंगी ! वो कहाँ ऐशो आराम में रहने वाले लोग ,हाई फाई लाईफ स्टाईल … Read more

वक्त भी सास नंदों के यातनाओं पर धूल नहीं डाल पाता  – सुल्ताना खातून

मेरा नौवां महीना चल रहा होता था, तब भी इतना बड़ा पेट लेकर अकेले मैं पूरे परिवार के लिए खाना बनाती थी, मेरी नंद तो एक काम में भी हाथ नहीं बटाती थी, और तो और इंतजार करती खाना पकने का बस खाना पकते ही खाने पहुंच जाती,ये आजकल कि बहुएं हैं जिन्हे डॉक्टर बेड … Read more

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