चांद बालियां* – अर्चना नाकरा
मीनू ..’अपनी दादी के संदूक को अजायबघर कहती थी’ कोई भी ऐसी चीज नहीं थी जो दादी के बड़े से संदूक में ना हो ! और दादी ..उस पर बड़ा सा मोटा सा ताला लगा कर रखती थी ‘ताला भी अस्सी साल पुराना था’ दादी की मां ने.. दादी को दिया था मीनू अक्सर उस … Read more