जो हम न समझ पाए वक्त ने समझा दिया”  – मोहिनी गुप्ता 

सुमित की आंखों में पश्चाताप के आंसू साफ दिखाई दे रहे थे मगर वो उन्हें जैसे रोक लेना चाहता हो। अतीत की यादों में वो खो सा गया था इसलिए तो विभा की आवाज़ भी उसे सुनाई नहीं दे रही थी। विभा सुमित की धर्मपत्नी थी। उसने पास आकर सुमित को झकझोरा,सुनिए ….कहां खो गए … Read more

वक्त किसी का एक सा नहीं रहता… – श्रद्धा खरे 

“आज मां ने  सुबह फोन पर बताया कि चाची जी नहीं रही। मेरा मन बहुत बेचैन हो उठा और चाची जी के साथ बिताए बचपन से शादी तक की सभी यादें ताजा होने लगी।और उनके हाथ के बने लड्डू मठरी का स्वाद मुंह में आने लगा।               निसंतान चाची जी जब भी कुछ बनाती मोहल्ले भर … Read more

बीस साल पहले – मधु शुक्ला

नरेंद्र बाबू ने सामान का थैला सीमा को सौंपते हुए कहा, “बहुत मँहगाई बढ़ गई है। बीस साल पहले राशन का महिने भर का सामान तीन चार हजार में आ जाता था। जब कि बच्चे और अम्मा बाबूजी साथ रहते थे।और अब हम दो ही हैं, फिर भी दस हजार के ऊपर खर्च हो जाता … Read more

वक़्त के मोहरे – अभिलाषा कक्कड़

अरे भई अपर्णा कहाँ हो !! बाहर से आते ही अमन पत्नी को बार बार आवाज़ देने लगा । छत पर कपड़े सुखाती अपर्णा पति कीं आवाज़ सुनकर जल्दी से नीचे दौड़कर आई । आप आ गये.. चाय बना कर लाऊँ ?? तौलिए से हाथ पोछते हुए बोली । चाय नहीं पीनी , मैं भैया … Read more

वक्त कब कौन से मोड़ पे लाके छोड़ दे … – मनीषा मारू

दिव्या की शादी को साल भर हुए थे। घर परिवार सब अच्छा देख मां बाबा ने ब्याहा था। लेकिन कहते हैं ना की…. किस्मत और वक्त कब कौन से मोड़ पे लाके छोड़ दे मालूम ही नहीं चलता। साल भार में पति करण महाजन का आना जाना लगा रहा। जाहिर हैं नई नई शादी कभी … Read more

बाबूजी की बापसी – मनीषा भरतिया 

रामलाल जी अपनी धर्म पत्नी के साथ नैनीताल के एक छोटे से कस्बे में रहते थे। शादी को 5 साल होने को आए, लेकिन उन्हें कोई औलाद नहीं हुई। इस वजह से वह और उनकी धर्मपत्नी सविता बहुत चिंतित और परेशान रहते थे। घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी……क्योंकि रामलाल जी की सरकारी … Read more

इंतजार कैसा – ऋतु गर्ग

 सूखे पड़े गमलों को रीता झांक झांक कर देख रही थी।  क्या हो गया है सभी पौधे सूख कैसे गए???  क्या वक्त की मार ने इन्हें भी सुखा दिया था?  यह तो बहुत हरे-भरे दिखते थे कभी एक पीला पत्ता भी कभी गलती से भी दिखाई नहीं देता था। ओर ओर नानी को क्या हो … Read more

“वक्त का तराज़ू ” – कविता भड़ाना

“प्रिया की जब आंखें खुली तो उसने खुद को अस्पताल के बेड पर पाया। उसके हाथ को थामे पास बैठे सुधांशु को देख प्रिया के होंठ फड़फड़ाए और धीरे से बोली “पानी”.. सुधांशु ने प्रिया को पानी पिलाया और डाक्टर को बुलाने चला गया। प्रिया की आंखों के सामने पिछली रात की घटना चलचित्र की … Read more

वक्त वक्त की बात  – आरती झा आद्या

पार्वती कल तुम्हें भी मेरी रिटायरमेंट पार्टी के लिए ऑफिस चलना है….अधिकारी सुरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा। मुझे क्यों…पार्वती ने आश्चर्य से सुरेंद्र की ओर देखा। ऑफिस कर्मचारियों की इच्छा है तो मुझे हां करना पड़ा…बहुत ही दुःखी होते हुए सुरेंद्र ने कहा। ओह तभी.. पार्वती कहती है लेकिन सुरेंद्र बिना कोई ध्यान दिए चाय के … Read more

अंजाम – पृथ्वीराज

निलेश को आज ट्यूशन क्लास आने में कुछ देर हो गई थी, क्लास तो शुरू हो चुकी थी, पर वो अच्छा स्टूडेंट था इसलिए Sir ने उसे कुछ नहीं कहा.. वो अंदर आ कर बैठ गया.. पर आज बहुत परेशान लग रहा था.. आंखे भी लाल थी.. शायद रात भर जाग कर रोया था, क्लास … Read more

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