भगवान की लाठी में आवाज़ नहीं होती- अर्चना कोहली “अर्चि

“मम्मा आज मैंने अस्पताल में पापा को देखा। बहुत बूढ़े-से लग रहे थे। उन्होंने मुझे नहीं पहचाना शायद। दादी बीमार है। उनके इलाज के लिए आए थे। बहुत शोर कर रहे थे, दादी के इलाज के लिए”। जाह्नवी ने अपना कोट उतारते हुए कहा। “तुमने पहचान लिया उनको”, अनामिका ने हैरानी से पूछा। “भूल गई, … Read more

बेवफा – पृथ्वीराज

आज सुबह अंजली बहुत खुश थी, क्योंकि संजय की जॉब लग गई थी.. वो दोनो 3 साल से एक दूसरे को चाहते थे, पर पढ़ाई और कैरियर के चलते वो दोनो अपने, अपने घरों में अपनी शादी की बात नही कर पा रहे थे.. मगर अंजली ने आज पक्का सोच रखा था की, आज तो … Read more

वक्त से समझौता – पूजा मनोज अग्रवाल

अरु,,, अरु ,,,  ” क्या बात है भई ,,,अब तक सो रही हो,,,? चलो जल्दी उठो ,,,,देखो मैं तुम्हारी पसंदीदा कड़क चाय बना कर लाया हूं ,,,,। ” अमित चाय की ट्रे लेकर बेड रूम में आया ।   अरु ने अंगड़ाई लेते हुए ,,,” अरे अमित तुम भी ना ,,, मुझे क्यों नहीं कहा , … Read more

” मुश्किल वक्त में मिला अपनों का साथ ” – अमिता कुचया

नीलम के आज घर लौटने पर सास को बहुत चिंता होती है ,रात के साढ़े नौ बज चुके थे। और लता जी की नजरें बार -बार घड़ी की ओर जा रही थीं। फिर जब वो अपने बेटे जीतू से पूछती हैं -“क्यों बेटा आज नीलम क्यों लेट हो गई।जरा फोन तो लगा क्यों लेट हो … Read more

अपनापन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

 शाम गहराती जा रही थी। ऑफिस में ज्यादा काम होने के कारण आज मुझे बस स्टैंड पहुँचने में देरी हो गई थी। चिंता और भय के कारण पसीना बूंद बनको मेरे माथे से टपक रहा था। धीरे-धीरे स्टैंड लोगों से खाली होने लगा था। मुझे अकेली खड़ी देख चार पांच गाड़ी वाले पूछ चुके थे … Read more

सास पर भारी पड़ी एक मां  

रागिनी और विपुल की शादी को दो साल बीत जाते है. इन दो सालो में रागिनी की सास देवयंती अपने चिड़चिड़े और गुस्सैल स्वभाव के कारण घर वालों को बड़ा परेशान करती है. इस चक्कर में वो अपनी बहु रागिनी को भी नही छोड़ती. उसकी सास की सिर्फ अपनी बेटी से ही बनती थी. जिसकी … Read more

अपनापन – नताशा हर्ष गुरनानी

नई नई नौकरी लगी घर से दूर दूसरे शहर में, यहां किराए का घर लिया, घर के सामने बुजुर्ग दंपति रहते थे। मैं भी संयुक्त परिवार में रही हूं इस तरह उनको अकेले देखकर मन बार बार उनके बारे में सोचने लगता। सुबह ऑफिस जाती तो देखती दादी दादा जी को कांपते हाथो से चाय … Read more

अच्छे वक्त का इंतजार .…. – रंजीता अवस्थी

सामने से गाने की आवाज आ रही थी… “वक्त करता जो वफा आप हमारे होते…” बड़े मगन होकर गाना सुने जा रही थी और सोचती जा रही थी… सही तो है “वक्त अच्छा है तो सभी कुछ अच्छा है” लोग ऐसे ही नहीं कहते हैं। मैं एक साधारण से परिवार की लड़की संघर्षों में जीवन … Read more

हां !मैं हाउस वाइफ हूं! – ज्योति आहूजा

 “कार्तिक उठो बेटा। उठो बच्चे। 6:30 बज गए। स्कूल नहीं जाना क्या? “मां भूमिका ने बेटे कार्तिक को आवाज लगाई। “उसे उठाकर बाथरूम में फ्रेश होने भेज दिया और खुद किचन में जाकर उसका नाश्ता और स्कूल का टिफिन तैयार करने लगी। उसके बाद कार्तिक के कुछ और छोटे-मोटे कामों को निपटा कर उसे स्कूल … Read more

किसे होना चाहिये शर्मसार – संगीता त्रिपाठी

“वो देखो अमित की मम्मी को देखो, कितनी अजीब सी लगती हैं,”नील के ये कहते ही बच्चों के एक झुण्ड के साथ उनकी मॉर्डन ड्रेस पहने मम्मियों की निगाहें अमित की मम्मी पर पड़ीं, व्यंग की मुस्कान सबके चेहरे पर आ गई। बॉर्डर वाली साड़ी, तेल से चिपके बाल, माथे पर गोल बड़ी बिंदी, होठों … Read more

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