ज़िंदगी के रंग – ऋतु अग्रवाल

 ” माँ! इधर आओ ना।” मंजरी ने पूरे घर में शोर मचा रखा था।       “क्या बात है? पूरा घर सिर पर उठा रखा है।” आशा साड़ी के पल्लू से हाथ पोंछती हुई बाहर आई तो मंजरी ने उसे पकड़कर गोल गोल घुमा दिया।         “अरे! रुक तो! मुझे गिराएगी क्या? पगली!”आशा ने मंजरी को डपटा तो … Read more

आज मैं ऊपर, आसमां नीचे – सुषमा यादव

जिंदगी के रंग कई हैं, कभी वो हंसाती है तो कभी रुलाती है। सच में ये जिंदगी क्या, क्या तमाशे दिखाती है। कभी अर्श से फर्श पर पटकती है तो कभी फर्श से अर्श पर ले जाती है,, जी हां, जिंदगी इम्तिहान लेती है, मेरे स्कूल की बहुत ही बेहतरीन शिक्षिका और मेरी छोटी बहन … Read more

जब आए संतोष धन….!! – मीनू झा 

उसे जो कुछ मिला था जिंदगी में उसमें वो खुशी नहीं ढूंढ सकी… क्योंकि और ज्यादा और ज्यादा का लालच उसके दिलों दिमाग पर काबिज़ था…वो तो रूकने को तैयार ना थी पर जिंदगी को तो रूकना था ना! निशा की सबसे प्यारी दोस्त विजया की भाभी ने विजया के बारे में पूछने पर बताया,जो … Read more

जिंदगी – आरती झा आद्या

तो हम क्या कर सकते हैं। हमलोग भी इंसान हैं, भगवान नहीं। पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पताल में जाइए…अमरनाथ हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर अमर मरीज के तीमारदारों पर चिल्ला रहे थे। डॉक्टर साहब…सरकारी अस्पताल बहुत दूर है। कुछ कीजिए डॉक्टर साहब। मेरे बेटे का बहुत खून बह गया है। मर जाएगा मेरा बेटा… एक … Read more

अमर प्रेम – ऋतु गुप्ता

क्या बाबू जी अब तो मान लो कि मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं, कब तक यूं मां का फोटो लिए उसे दर दर ढूंढते रहोगे? आज आठ महीने हो गए पर आप हैं कि मानने को तैयार नहीं की मां…….अपने पिताजी से इतना कहने के बाद प्रभात आगे ना बोल पाया, वह खुद … Read more

अहसास … – सीमा वर्मा

मालती मात्र १७  की थी जब उसका  विवाह सुधीर के साथ सम्पन्न हुआ था ।  उसने जब से सपने देखना शुरू किया  था तभी से सोंचना भी उसका मन भी फूलों जैसा महका था सुधीर के साथ। यह उम्र ही होती है जब आप रंगीन और रूमानी दुनिया में रहते हैं ।  जिंदगी सतरंगी लगती … Read more

रक्षाबंधन – श्वेत कुमार सिन्हा

बात इसी रक्षाबंधन की है। एक तो रविवार का दिन और ऊपर से रक्षाबंधन का त्योहार। मन मसोस कर सुबह सुबह उठा और “हमनशी” का अगला भाग अपलोड करके करीब सत्तर किलोमीटर दूर रहने वाली छोटी बहन से राखी बंधवाने निकल पड़ा। देर हो रही थी। इसलिए मुख्य सड़क छोड़ शॉर्टकट रास्ता पकड़ लिया, जो … Read more

कैसी बेवकूफी – रीटा मक्कड़

अभी अभी पता चला कि सुनीता ने हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांस ली। खबर सुन कर थोड़ी देर के लिए तो मुझे होश ही नही रहा। सुनीता के लिए बहुत दुख भी हो रहा था और  उस से भी ज्यादा उस पर गुस्सा आ रहा था कि उसकी छोटी सी बेवकूफी ने एक हंसते खेलते … Read more

ये प्रेम भरे उपहार ही हैॅ..मेरे सच्चे श्रृंगार  – मनीषा मारु….

“अरे मीना मेरी साड़ी ड्राई क्लीन से आ गई क्या?” सीमा जी ने आवाज लगाते हुए अपनी बहू मीना को पूछा| मीना- “नहीं मम्मी जी,….”अभी नहीं आई। सीमा जी.…. मीना आके देख जरा, मंजू की बहू की मुंह दिखाई है, कैसी सारी ठीक लगेगी। “मम्मी जी ऐसा कीजिए यह पिंक वाली साड़ी अच्छी लगेगी यह … Read more

मायके का खाना

नेहा शादी के कई साल बाद अपने मायके आई थी. और वह मायके आ कर अपने ससुराल के तौर तरीके अपने मायके वालों को सिखाने लगी. ऐसे में खासकर जब नेहा की भाभी चैताली कोई खाना बनाती तो वो रसोई में जा कर चैताली भाभी को कहती, “अरे भाभी ये क्या सब्जी ऐसे बनाते है? … Read more

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