अभी तो बेटी बाप की है। –  अनु अग्रवाल

“ये लड़की भी न………ब्याह को बस कुछ ही दिन रह गए हैं……और ये अभी तक घोड़े बेचकर सो रही है……भगवान जाने क्या होगा इसका तो”- सुलक्षणा जी सुबह-सुबह गौरी के कमरे की खिड़की खोलते हुए बोले जा रहीं थीं। “माँ मैं ये शादी नहीं कर सकती”-जैसे ही गौरी के ये शब्द सुलक्षणा जी के कान … Read more

सम्मान की सूखी रोटी  –  सविता गोयल

बहू……., तेरे ससुर जी की खिचड़ी में थोड़ा और घी डाल दे ….. वो ऐसी लुखी खिचड़ी नहीं खा पाते। आशा जी प्यार से समझाते हुए अपनी बहू संध्या से बोलीं। संध्या ने कुढ़ते हुए एक चम्मच घी खिचड़ी में डाल दिया लीजिए.. डाल दिया घी… और भी कुछ डालना हो तो बता देना… वैसे … Read more

स्वाभिमान – सरिता सिंह 

#स्वाभिमान “समझते क्या हो प्रकाश ? क्या मेरे प्रेम,मेरे विश्वास की कोई कीमत नहीं ,तुम्हारे लिए?” “क्या नहीं किया मैंने तुम्हारे लिए?अपने घर वालों तक से दुश्मनी ले ली। सबकुछ किया तुम्हारे लिए।क्या इस दिन के लिए?” सलोनी ये कहकर रोने लगी। प्रकाश सलोनी को पहली बार ऊंची आवाज़ में बातें करते देख तिलमिला सा … Read more

मैं अपने घरवालों के सामने कोई नाजायज़ मांग नहीं रख सकती –  शीनम सिंह

“अमित अपने ससुराल वालों से मदद मांगने में कैसी शर्म?? तू दामाद हैं उस घर का,आखिर उनका भी कोई फर्ज़ हैं तेरे लिए,4 पैसों की मदद कर देंगे तो वो गरीब नहीं हो जायेंगे,अब तू अपने भाई को ही देख ले जब भी पैसे की जरूरत होती हैं वो बेझिझक अपने ससुराल वालों से मांग … Read more

स्वाभिमान मेरी दौलत है –  पुष्पा जोशी

“मैं विनोद से क्षमा नहीं मानूंगा, क्षमा किस बात के लिए मांगू जब मैंने कोई अपराध किया ही नहीं.” किशोर ने दृढ़ शब्दों में अपनी बात दयाल सर से कही. ‘बेटा तुम्हारा दोष है या नहीं, मैं नहीं जानता. मैं उस समय वहाँ मौजूद नहीं था, मैं तीन दिन का अवकाश पूरा करके आज विद्यालय … Read more

छलावा  –  रीटा मक्कड़

मीना को समझ नही आ रहा था कि आजकल राजीव के मन मे क्या चल रहा है। उसको ऐसा लग रहा था कि आजकल राजीव उस पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगे हैं। उसके साथ समय बिताने के बहाने ढूंढते रहते हैं।उसने खाना टाइम से खा लिया कि नही।उसको कुछ चाहिए तो नही। दिमाग … Read more

मर्द होने का अहम तुम्हारे अन्दर भी है!  – मनीषा भरतीया

ओफ! हो राजीव इस बार फिर तुम्हारा चेक बाउंस हो गया और ₹600 तुम्हारे अकाउंट से कट गए| अगर तुम किश्त कटने के पहले अकाउंट में पैसे डाल देते तो ये नौबत नहीं आती| तुम्हें थोड़ा ध्यान देना चाहिए था| सारा दिन तुम कितनी मेहनत करते हो तब जाकर कहीं घर का घर का खर्च … Read more

स्वाभिमान की सही परिभाषा – गुरविंदर टूटेजा 

सुनिता पापा से बात हुई क्या तुम्हारी…?? हाँ अजय वो मान नहीं रहें थे आने के लिए मैंने उन्हें समझाया कि आप व मम्मी आ जाओ फिर बैठकर बात कर लेंगे…!!!!   चलो अच्छा हैं आने दो मैं भी उन्हें समझाऊंगा…!! सुनीता बेचारी पति व माँ-बाप के बीच फँसी थी भाई-भाभी बाहर रहतें थे वहाँ वो … Read more

हमें और जीने की चाहत ना होती अगर तुम ……. – मीनाक्षी सिंह

समीरा जी – बहू ,अब तो तुम्हारे ब्याह को 6 वर्ष हो गए अब तो एक नन्हा मुन्ना दे दो हमें जो घर आंगन में घूमे और हमें दादा दादी बोले ! बहुत मन होता हैँ अपने पोते ,पोती को खिलाने का ! समीरा जी चहकती  हुई बोली ! शालू (समीरा जी की बहू ) … Read more

क्षितिज से आगे जहाँ और भी है – रवींद्र कान्त त्यागी 

उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र के परंपरागत संयुक्त ब्राह्मण परिवार के मुखिया नन्द गोपाल शुक्ला रेलवे में नौकरी करके जीवन निर्वाह करते रहे. शुक्ला जी का बेटा माधव प्रतिभा का धनी निकला और बचपन से सभी कक्षाओं में अव्वल रहते हुए आई.आई.टी. करने के बाद कॉलेज से ही सलेक्ट होकर अच्छे पॅकेज पर जर्मनी चला … Read more

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