फैसला – डा.मधु आंधीवाल

सविता जी का मन आज बहुत विचलित था । अन्धेरी रात की तन्हाई में शोचनीय स्थिति में वह खिड़की में खड़ी हुई थी । दोनों बच्चे अपनी अपनी गृहस्थी में फंसे हुये थे । बेटी और बेटा दोनों चाहते थे कि मां रिटायर मैन्ट के बाद उनके साथ रहे पर सविता जी अपने इस मकान … Read more

अन्याय या मजबूरी – कमलेश राणा

शालिनी अपने पिता की चार संतानों में सबसे बड़ी थी। पिता मजदूरी करते और माँ सब्ज़ी का ठेला लगाती थी। गरीबों के बच्चे जल्दी ही बड़े और समझदार हो जाते हैं जिंदगी की पाठशाला उन्हें लोगों की नज़रें और उनकी तासीर पढ़ना अच्छे से सिखा देती है।  शालिनी 10 साल की उम्र में ही चौका … Read more

वो रात – अनुज सारस्वत

जनवरी की उस शाम धारासार बरसात शुरू हो गई थी. वह नखशिख भींगा हुआ था और जंगल में पेड़ के नीचे खड़ा कांप रहा था, तभी जोर की बिजली कड़की और उसने देखा, उस पेड़ के ठीक पीछे एक मकान था। वह मकान लकड़ी का टूटा हुआ था, लेकिन कुछ रोशनी सी चमक रही थी।उस … Read more

ज़िंदगी – बेला पुनिवाला

    आज मैंने गाजर का हलवा बनाया था, तो सोचा हेमा आंटी को जाकर दे आती हूँ, वह हमारे पड़ोस में ही रहती हैं और उनसे मेरा रिश्ता एक माँ-बेटी के रिश्ते जैसा ही है। इसी बहाने उनसे मिल भी लूँगी, दो दिन से ऑफिस के काम की वजह से उनसे मिल ही नहीं पाई। मैं … Read more

बचपन की गलियां—कहानी—देवेन्द्र कुमार

तीनों सखियाँ—रचना,जया और रंजना सोसाइटी के पार्क में बैठीं धूप का आनन्द ले रही थीं। छुट्टी का दिन, सर्दियों का मौसम—बच्चे घास पर उछल- कूद करते हुए खिलखिला रहे थे। हिरणों की तरह दौड़ते बच्चों को देख कर तीनों मुस्करा उठीं। रचना ने कहा—‘ इन खिलंदड बच्चों को देख कर अपना बचपन याद आ जाता … Read more

 हर बच्चा खास है – संगीता अग्रवाल  

” मम्मी मारा…मम्मी मारा..!” बारह वर्षीय चिराग बाहर से रोता हुआ आया। ” ओह मेरा बच्चा किसने मारा!” चिराग की मां मीनू उसे प्यार करते हुए बोली। ” छोटू मारा ..छोटू मारा।” चिराग सुबकते हुए बोला और मां की गोद में लेट गया। मीनू उसे प्यार से सहलाने लगी थोड़ी देर में चिराग सो गया … Read more

ये अन्याय न होने दूंगी…. – संगीता त्रिपाठी

“सुनो जी, टप्पू और अन्नू अब बड़े हो गये, मै सोच रही थी मै एक बुटीक खोल लेती हूँ घर में, कुछ आय भी हो जायेगा और समय भी कट जायेगा, “रूचि ने पति विकास को चाय का कप पकड़ाते कहा।     वक्र मुस्कान से रूचि को देखते विकास बोले “तुम और बुटीक….तुम्हारी किट्टी पार्टी, सहेलियां … Read more

नही अब और नही – किरन विश्वकर्मा

कुछ फैसले अचानक ही लिए जाते हैं…. और वह फैसला मैं ले चुकी हूं…. बस अब मैं बेवकूफ नहीं बनूंगी ना ही अपने बच्चों को छोड़कर किसी की तीमारदारी करने जाऊंगी अगर तुम्हारे घर में सिर्फ मेरा काम सबकी मदद करना और बातें सुनना है तो अब मुझसे यह सब और नहीं हो पाएगा…. हां … Read more

सुरभि

सुरभि एक सांवली लड़की थी. लेकिन वह सांवली होने के बाद भी बहुत होनहार और काबिल थी. वह हर क्षेत्र मैं खुद को औरों से बेहतर साबित करती थी. लेकिन फिर भी उसके परिवार में उसके पिता एक सांवली लड़की होने की वजह से उसे आते जाते ताना मारते थे. लेकिन सुरभि उसके पिता की … Read more

अच्छे दिन का कोइछा – कंचन श्रीवास्तव आरजू

  अभी कल ही तो तेरहवीं बीती है और आज …..ही हिस्सा बांट की बात वो भी सुजाता के मुंह से ,कुछ अच्छा तो नहीं लगा कमल को फिर भी कर ही क्या सकता है ,भाई अब तो कोर्ट ने भी आडर दे दिया है कि बाप की दम्पत्ति में बेटा और बेटी का बराबर … Read more

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