हालात – अनुज सारस्वत 

*** “कितने नौकरी के प्रपोजल आये।तू क्यों नहीं करता ज्वाइन”? माँ ने अनुराग से कहा। अनुराग टीवी देखने में व्यस्त था।अभी इंजीनियरिंग पूरी करी थी उसने।वह बोला “अरे माँ कर लेगें मन की तो मिलने दो जाॅब” माँ बोली  “बेटा मन की नौकरी नही होती ।मन का तो बिजनेस होता है।नौकरी तो नौकरी ही रहती।वैसे … Read more

मॉडर्न बहू – प्रियंका पाठक

तेज प्रताप बाबू अपने बेटों की देखभाल करने और उनको खुश रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोङते थे। अपने बच्चों के आगे परिवार के सभी बच्चों को बहुत हिकारत की दृष्टि से देखते। चाहे खुद के परिवार के भांजा-भांजी, भतीजा-भतीजी ही क्यों न हो। पर्व- त्यौहार में सारा परिवार जब इकट्ठा होता तो तरह-तरह की … Read more

उन्मुक्त खिलखिलाहट – लतिका श्रीवास्तव

अरे ये मैं क्या सुन रही हूं बेटा !!तुम मनन को समझाती क्यों नहीं  ये अचानक नौकरी नौकरी की जिद लगा रखी है इसने !!वो भी दूर दराज गांव में!! यहां देख अंशु भी कितने बड़े स्कूल में सोनू के साथ पढ़ता है कितना लंबा चौड़ा घर है आराम है सब सुख सुविधा है…वहां इन … Read more

 हलवा – गुरविंदर टूटेजा

अप्रकाशित आज नीतू का जन्मदिन था बहुत खुश थी सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर रसोई में दादी के पास पहुंँच गई…दादी ने हलवा बना दिया था पहले नीतू ने आशीर्वाद लिया फिर दादी ने उसे हलवा खिलाया..एक कटोरी में हलवा लेकर वो दादाजी के पास गई..दादाजी ने भी उसे प्यार व आशीर्वाद दिया और बहुत … Read more

तरकीब–कहानी -देवेंद्र कुमार

== छोटे बाजार के मोड़ पर बालू दोसा कार्नर है। वहाँ हर समय ग्राहकों की भीड़ रहती है। उन्हें उस दुकान का दोसा खूब पसंद आता है। ग्राहक आते हैं, दोसे खूब बिकते हैं। बालू खुश रहता है, क्योंकि रोज़ अच्छी आमदनी होती है। परेशान कोई होता है तो रमन और छोटू। क्यों भला? रमन … Read more

हर बार  रिश्ता निभाने के लिए झुकना ज़रूरी नहीं है….. – रश्मि प्रकाश

“ नानी तुमने माँ को ऐसा क्यों बना दिया कि वो अपनी ज़िंदगी का इतना बड़ा फ़ैसला भी खुद नहीं ले सकती थी….. घुट घुट कर रहती रही थी पर ना कभी हमें जताया ना तुम सब उसको समझ पाएँ….. आज इस कदर निराश हो गई कि….।” कहते कहते दीया सुबकने लगी. सुमिता जी नतनी … Read more

एक सास ऐसी भी – संगीता अग्रवाल 

“देखिये मीना जी हमें यूँ तो सिमरन बहुत पसंद है पर ..!” अपने बेटे के लिए लड़की देखने आई संध्या जी लड़की की माँ से बोली। ” पर क्या संध्या जी ?” मीना जी पति चेतन जी को देखते हुए बोली। ” पर मैं चाहती हूँ बात आगे बढ़ाने से पहले मैं सिमरन बेटा से … Read more

श्रृंगार पर हक सिर्फ़ सुहागन का? – सोनिया निशांत कुशवाहा

“अरे जगत की माँ, सोमू कहाँ है? बारात निकलने का समय हो रहा है।” सीमा जी तेज़ कदमों से सोमू के कमरे में पहुँची, तो उनके कदम सोमू को देख ठिठक गए। हल्के आसमानी रंग की प्लेन सिल्क की साड़ी और गले में सोने की चेन पहने सोमू खुद को आईने में निहार रही थी। … Read more

विलायती बहु 

खन्ना परिवार में बहुत दिनों बाद खुशियों की शहनायी बजने वाली थी. क्योंकि खन्ना खानदान में उनकी बड़ी बेटी दीपा की शादी थी. लेकिन शादी के दौरान दीपा का भाई अंश शहर से दूर विलायत में नौकरी करता था. जिसके कारण उसके लिए तुरंत शादी में आना असंभव था. और अंश की अपने पिता से … Read more

*बाँसुरी की तान का जादू* –    मुकुन्द लाल

    उस दिन जब तारा की मालकिन श्रद्धा परिभ्रमण पर निकली हुई थी तो सुबह तड़के ही वह मंदिर के बाग से फूल तोड़ने के लिए उसके भवन से निकल पड़ी। बाग से फूलों को तोड़कर उसने दो मालाएंँ गूंँथ ली। फिर उसे एक डलनी(बहुत छोटी सी टोकरी) में लेकर वह उत्तम के पास पहुंँच गई। … Read more

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