अन्याय – अनामिका मिश्रा 

प्रभा एक साधारण दिखने वाले कम पढ़ी-लिखी लड़की थी, बहुत ज्यादा खूबसूरत नहीं थी,सावला रंग था।उसके गरीब पिता चाहते थे कि,उसकी शादी गांव में,अपनी ही बिरादरी में हो जाए। पर गरीबी और संजोग की भी बात थी कि,वहां गांव में उसे कोई लड़का नहीं मिला, किसी दूसरे गांव में उसके पिता ने उसका विवाह रचा … Read more

क्या जरूरी है लिव इन ,,,,? – पूजा मनोज अग्रवाल

पच्चीस वर्षीय मिनी पिछले अठारह वर्षों से अपनी मां नेहा और अपने भाई अमन के साथ बैंगलोर  में  रह रही है । उसके पिता ने उसकी मां को एक कैनेडियन लड़की के प्रेम में पड़ कर तलाक दे दिया था ,,, तब से उसकी मां नेहा  दोनो बच्चो को लेकर अपने देश भारत वापस आ … Read more

  विश्वासघात – मधु शुक्ला

आरती के पति सुदर्शन वन विभाग में कार्यरत थे। उनकी पोस्टिंग ज्यादातर जंगलों के आसपास रहती थी। जहाँ शिक्षा के पर्याप्त साधन नहीं होते थे। इसलिये अपनी ससुराल में (जो कि महानगर था)  बच्चों को पढ़ाने के उद्देश्य से रहती थी। सुदर्शन साप्ताहिक छुट्टी में आया करते थे। आरती का जीवन बहुत अच्छे से व्यतीत … Read more

सब्जी का रंग नही स्वाद देखिए – ममता गुप्ता

“माँ जी!! आप चख कर बताना की आज सब्जी कैसी बनी है..? सब्जी में मसाले बराबर डले है या नही….नीता ने बड़े उत्साहित होते हुए अपनी सास शारदा जी से पूछा।। चखना क्या है…? वो ही रोज के जैसे सब्जी बनाई होगी। जिसमे न मिर्ची न नमक औऱ न ही तेल…बस बीमार आदमी के जैसी … Read more

कैसी सजा – रीटा मक्कड़

कितने चाव और लाड़ किये थे सबने बड़ी बहू के जब दुल्हन बन कर इस घर मे आई थी।  आसपास के लोग जब मुँह दिखाई पे आये तो उनके मुँह खुले और आंखे फ़टी की फटी रह गयी थी। कि इतनी सुंदर और गोरी चिट्टी दुल्हन कहां से ढूंढी सुरेश ने। बड़ी भाभी सास ससुर, … Read more

तुम छात्र संघ की नेता बनोगी लड़ाई अन्याय की,,, – मंजू तिवारी 

प्रीति क्या हुआ कल तुम  स्कूल नहीं आई प्रीति बोली कुछ नहीं बंदना कल जब मैं स्कूल से घर गई तभी से मेरे सिर में बहुत जोर से दर्द हो रहा था  मेरी तबीयत स्कूल में भी ठीक नहीं थी घर जाकर मेरे सिर में बहुत जोर से दर्द हुआ इसलिए मैं अगले दिन स्कूल … Read more

जिन्दादिली…. – कुमुद चतुर्वेदी 

काफी समय से मेरे मन में उत्सुकता थी कि वृद्धाश्रम जाकर वृद्धों के जीवन,उनकी हालिया स्थिति के बारे में कुछ जानकारी लेकर मैं भी यथासंभव उनकी कुछ सहायता कर सकूँ।     एक दिन मैंने वृद्धाश्रम पहुँच वहाँ के संचालक से मिलने की इजाज़त ली और उनके कक्ष में पहुँच अभिवादन करने को हाथ जोड़ ज्योंहि … Read more

अन्याय से मुक्ति – गीता वाधवानी 

अंकित सर्द रात में अपने गांव आने वाली  की आखिरी बस से उतरा और खेतों के पास वाले रास्ते से होता हुआ अपने घर की ओर चल दिया।  वहां से निकलते हुए उसने खेतों के पास बने हुए कमरे या छोटा सा गोदाम भी कह सकते हैं में हल्की रोशनी देखी, तो वह समझ गया … Read more

मां मैं तेरी ही परछाई – रश्मि पीयूष 

जब मैं बहुत छोटी थी,मां को हमेशा पढ़ते देखा । जब भी उन्हें काम से फुर्सत मिलती, उनके हाथों में कोई पत्रिका, कोई उपन्यास,या कभी और कुछ नहीं तो अख़बार ही होती। कभी कभी उन्हें लिखते हुए भी देखती । एक बार मैंने चुपके से उनकी डायरी पढ़ी। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मेरी … Read more

अपने जिगर के टुकड़े को किसी को सौंपने से पहले सौ बार सोचिये – संगीता अग्रवाल 

पराया देश पराए लोग पर फिर भी काव्या खुश थी क्योंकि जिसके लिए इतनी दूर सात समुन्द्र पार आईं थी वो पराया नहीं था बल्कि वो तो उसका सुहाग मिहिर था। काव्या जिंदगी को भरपूर जीने वाली लड़की घर भर की लाडली काव्या। ” शालिनी काव्या के लिए एक रिश्ता आया है एनआरआई लड़का है … Read more

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