‘ अन्याय ‘ –  विभा गुप्ता

  नवीनचन्द्र जी ने अपने दोस्तों को चाय पर बुलाया था।पत्नी के गुज़र जाने के बाद उनकी रिटायर्ड लाइफ़ ऐसे ही गुज़र रही थी।कभी वे मित्रों के घर चले जाते तो कभी उन्हें ही अपने घर पर बुला लेते।बेटे-बहू उनका बहुत ख्याल भी रखते थें।इसीलिए जब उन्होंने मित्रों के आने की खबर अपनी बहू अलका को … Read more

मेरा परिवार-मेरी दुनिया – निधि जैन

रहें ना रहें हम, महका करेंगे…..रेडियो पर एक प्रोग्राम में गाना चल रहा था, शाम के यही कुछ 4 बज रहे थे,  आरती भी गुनगुनाती हुई चाय बना रही थी, बारिश अपने ज़ोर पर थी, आज़ चाय के साथ कुछ अच्छा सा बनाओ आरती, रमेश ने रसोई में आते हुए कहा। हां अब बारिश हो … Read more

ठगनी – कमलेश राणा

निरंजन जी और मधु दोपहर में आंगन में धूप का आनंद ले रहे थे। घर के बाहर गली में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे उनकी नोंक झोंक दोनों को सुख दे रही थी । बचपन के दिन भी बड़े अलमस्त होते हैं पल में लडाई पल में सुलह हो जाती है। तभी एक महिला गेट … Read more

अन्याय कब तक रहेगा – नेकराम

आज से 45 वर्ष पहले की यह कहानी शुरू होती है सन 1992  दिल्ली कि एक छोटी सी पुनर्वास कॉलोनी गोकुलपुरी से – मोहल्ले में एक छोटे से कारखाने में काम करते हुए एक नाबालिक बच्चा जो अपने नन्हे नन्हे हाथों से भारी भारी मशीनों पर काम करने को मगन था उसे एक धुन सवार … Read more

“कलेजा निकालने की कोई जरूरत नहीं है” – सुधा जैन

“अरे यह क्या दिन भर सास बहू वाली कहानियां पढ़ती रहती हो, दूसरा कुछ पढ़ा करो “ पतिदेव ने अपनी पत्नी से कहा, तब पत्नी मुस्कुरा कर बोली ” यह इतनी जगत व्यापी, सर्वव्यापी समस्या है कि न वर्तमान में ,न भूत मे न भविष्य में इस समस्या का हल नजर आता है ….करें भी … Read more

“कलयुगी अन्याय  – कविता भड़ाना

अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए सुरेंद्र जी गहरी सोच में थे, चोटों की वजह से पूरा शरीर भयंकर दर्द कर रहा था पर शरीर की चोटों से अधिक उनका मन आहत था। पांच भाईयो में सबसे छोटे और सबसे अधिक सेहतमंद  सुरेंद्र ने कभी सपने में भी नही सोचा था की उनके सगे भाई … Read more

अन्याय – सुधा शर्मा

एक बार फिर                  कितनी बेबसी से देख रहा था मनन , कृशकाय मिनि बिस्तर पर असहाय सी लेटी थी ,,, पता नही कब से तबियत खराब चल रही थी , पर मनन के पास फुर्सत कहाँ  थी , बस रात दिन काम , बहुत फैला हुआ बिजनेस ।        उसे नही पता कैसे वह दोनों बच्चों, … Read more

नासमझ अन्याय – सुनीता मिश्रा

“माँ, दीदी के लिये इतने सुन्दर झुमके, मैं कब से  अपने लिये छोटे से टॉप्स माँग रहीं हूँ , आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया।” “मझली, देख बेटा वो कितने दिन की हैं इस घर में, ब्याह हो जायेगा, चली जायेगी ससुराल। वहाँ कैसे लोग मिलते, उसकी इच्छा पूरी करते की नहीं। माँ -बाप के … Read more

अन्याय –  उमा वर्मा 

तुम्हारे जाने की खबर मिलते तो मैं दौड़ती गई थी ।न कपड़े का होश था न सामान का।किसी तरह फ्लाइट का टिकट मिला था ।जल्दी में और कुछ उपाय भी तो नहीं था ।पहुँची तो होश खो बैठी थी ।तुम्हे  जमीन पर लिटा दिया गया था ।तुम तो चिर निद्रा में लीन थी।यह मै क्या … Read more

पिंजरा सोच का – अभिलाषा कक्कड़

क़िस्सा है यह पुराना मोबाइल का नही था तब ज़माना  उफ़ !! दस बज गये हैं आज भी कहीं देर ना हो जाये, संजना जल्दी जल्दी किताबें उठाकर बाहर की ओर निकल गई । अभी  दस कदम चल भी नहीं पाई थी कि सामने से बड़ा सा ट्रक देख कर मन में बुदबुदाई… इन छोटे … Read more

error: Content is protected !!