थक गई हूं अन्याय सहते सहते!! –

सुबह का वक्त जहां सांस लेने की फुर्सत ना होती है… रोज की तरह शिखा अपने हाथ फुर्ती से चला रही थी। एक तरफ चाय तो दूसरी गैस पर सब्जी बन रही थी। वही जल्दी-जल्दी परात में आटा लगा ढककर रखा ही था कि सासू मां चिल्लाई… बहू चाय ले आओ दोपहर होने आई मगर … Read more

अब और अन्याय नहीं सहूँगी मैं….. – अनु अग्रवाल

ओह! चेहरे पर ये निशान अब भी रह गया….मेकअप की परतें भी इसे ढाँक न सकीं…..अब क्या होगा…..कुछ ही देर में मेहमान आने शुरू हो जाएंगे….- शिवानी आइने में देखते हुए परेशान हो जाती है। आज उसके पति की चालीसवें जन्मदिन की पार्टी का शानदार आयोजन था……शहर के रहीसों में गिने जाने वाले नीलेश सक्सेना … Read more

अब अन्याय और नहीं” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

अब यह अन्याय मुझसे सहन नहीं होगा…. तुम लोग को जाना है जाओ… जो करना है करो … मुझ पर  कोई  दबाव नहीं डाल सकता । हे भगवान ! हमें ऐसी औलाद ही नहीं दिया होता..   इसने तो हमारी नाक कटवा दी। अब हम समाज में क्या मूंह दिखाएगें। हमारे मूंह पर कालिख पोत दी … Read more

‘शीर्षक’ – पुष्पा ठाकुर 

आप सोच रहे होंगे,ये कैसा शीर्षक? आज के लेख का शीर्षक ही ‘शीर्षक ‘है। इस दुनिया में एक से बढ़कर एक हस्तियां हैं,जिनके नाम ही अपने आप में एक पूरी की पूरी दास्तान है। कुछ नाम तो अपने आप में ही अद्वितीय और अद्भुत हैं, ऐसे नाम जो किसी साधारण इंसान को भी असाधारण पहचान … Read more

बेचारी मत बनना – मीता जोशी

“आज उड़ान संस्था को बने पचास-वर्ष हो चुके हैं। आप सभी इस बात से भलीभांँति परिचित हैं। ये संस्था महिलाओं की मदद के लिए खोली गई थी। यहाँ किसी भी तरह की प्रताड़ना, राय या अकेला पड़ने पर उनकी मदद के हर सम्भव प्रयास किए जाते हैं। जब मैंने ये संस्था शुरू की थी तब … Read more

बदलाव – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मिल गई फुर्सत घर आने की, अरे घर में है कौन तुम्हारे लिए, बाहर जाओ घूमो फिरों मटरगश्ती करो और हां …मैंने खिचड़ी बनाकर रख दी है गर्म करके खा लेना और सारे बर्तन और रसोई को साफ कर देना, मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही हूं। सुनो ना.. टीना, आज मेरा एक … Read more

मैं यह अन्याय नहीं कर सकता –  विभा गुप्ता 

  एमबीए करते ही वरुण को दिल्ली के एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई।रहने की व्यवस्था होते ही उसने अपनी माँ वसुधा जी को भी अपने पास बुला लिया।दरअसल वरुण के पिता एक सरकारी मुलाज़िम थें।वरुण जब पाँच वर्ष का रहा था,तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई थी।उसकी माँ के लिए अकेले बेटे का … Read more

लेखनी की कहानी उसी की जुबानी – सुषमा सागर मिश्रा

   सेवानिवृत्ति के बाद समय के बंधन से तो सरला मुक्त हो चुकी थी मगर अब समस्या यह थी कि वह  अपने खाली समय का सदुपयोग कैसे करे ,जीवन भर ईमानदारी और परिश्रम से अनुशासित जीवन जीने वाले सरला को अब खाली बैठना बोझिल  लगने लगा था वह जब भी वह खाली बैठी तो वह अपने … Read more

सारी अपेक्षाएं मुझसे ही क्यों..? – प्रियंका मुदगिल

“अरे अंजू !! यह तुम क्या कर रही हो…?माना कि घर में  मेहमान आने वाले हैं  पर इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम थोड़ा बहुत खाना बनाओगी और बाकी सब बाहर से मंगाओगी…मेरे बेटे पर थोड़ा तो रहम करो…कितनी मेहनत से वह चार पैसे कमाकर घर में लाता है..”रत्ना जी ने अपनी बड़ी बहू … Read more

नज़रिया – पुष्पा ठाकुर

वो एक दस वर्ष का बच्चा है ,जिसकी मां उससे घर के छोटे बड़े काम ले रही है।ऐसा नहीं कि वो खुद बीमार हो।    वो पूरी तरह स्वस्थ है ,संपन्न है फिर भी अक्सर उसका बच्चा कभी आंगन में झाड़ू लगाता दिखाई दे जाता ,कभी पौधों को पानी देता,कभी बाजार से सामान लाता,कभी कभी छोटी … Read more

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