हमें अपने बुढ़ापे के लिए भी कुछ बचत करनी चाहिए!! – मनीषा भरतीया

अरे भागवान सुनती हो क्या अरे ओ निलेश की मां कहां हो तुम??? हां हां सुन रही हूं ,बहरी नहीं हूं…. इतना क्यों चिल्ला रहे हैं ऐसी क्या बात हो गई है??? अरे सुनीता बात ही कुछ ऐसी है शर्मा जी को तो जानती हो जिनकी बेटी अवनी लाखों में एक है…. उन्हें हमारा नीलेश … Read more

मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं !! – स्वाती जैन

सुबह – सुबह कोमल को तैयार होते देख सासू मां बोली बहु , तुम इतने बड़े घर की बहु होकर ट्रेन में बैठोगी , हमारे घर का नाम मिट्टी में मिल जाएगा , लोग क्या कहेंगे ?? स्नेहलता जी बोलीं !! कोमल बोली मम्मीजी मैं तो शादी के पहले भी इसी तरह ट्रेन में बैठकर … Read more

” सहारा देने वाले ही बेसहारा हो गए ” – अमिता कुचया

नीना बहुत खुबसूरत सी लड़की है ,उसकी मां ने उसके बचपन में लोगों के यहां बर्तन धोने का काम किया और उसने भी बड़े ही मुश्किल भरे दिन देखें। आज उसे अपना बचपन याद आ रहा था ।जब मां ने कहा-” तू रश्मि मैम साब के यहां चली जा।” तब नीना ने कहा -“मां अब … Read more

सहारे – अनुज सारस्वत

“अरे अन्नू कुछ खा पीकर ही घर से निकला कर घर से बाहर ,घर खीर तो बाहर खीर “ अन्नू की को दादी की यही बात रह रह कर  याद आ रही थी। आखिरी बार फोन पर जब बात हुई दादी से उसके बाद दादी को अटैक पड़ा लेकिन किसी भी अस्पताल ने एडमिट करने … Read more

बड़ा हुआ तो क्या हुआ…? – पायल माहेश्वरी

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥ खजूर के पेड़ की भाँति बड़े होने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि इससे न तो यात्रियों को छाया मिलती है, न इसके फल आसानी से तोड़े जा सकते हैं। अर्थात् बड़प्पन के प्रदर्शन मात्र से किसी का लाभ … Read more

प्रेम विवाह – शिप्रा श्रीवास्तव

हरदोई जैसी छोटी सी जगह मे आज़ से करीब बीस साल पहले जब घर की बहू के रूप में सिर्फ और सिर्फ दिन भर घरेलु काम काज मे जुटी , सिर पर पल्ला डाले सिर झुकाए सास की हर बात पर हाँ में हाँ मिलाती और खाली समय मे पड़ोसन से घर भर के उस … Read more

   अन्याय का पर्दाफाश – लतिका श्रीवास्तव

रिजल्ट शीट पर साइन करने के लिए पेन उठाया ही था कि एक नाम पर नजर जम गई कीर्ति बाला…सप्लीमेंट्री दो विषयो में….!! कीर्तिबाला..!!…पिछले वर्ष तो ये स्कूल टॉपर थी !!वार्षिकोत्सव में माननीय विधायक जी के हाथों ट्रॉफी प्राप्त की थी इसने..!!रंजना जी को वो दिन बखूबी याद आ गया था…!क्या ये वही लड़की है … Read more

क्या औरत आज भी आज़ाद है – संगीता अग्रवाल

” नमस्ते भाभी कैसी है आप ?” बाजार में अचानक एक परिचित आवाज सुन मैं रुक गई मुड़ कर देखा तो अपने पुराने मोहल्ले में रहने वाली रति थी। ” अरे रति तू कैसी है तू और ये क्या तूने शादी कर ली !” मैंने आश्चर्य से उसकी मांग में भरे सिंदूर को देख कर … Read more

‘ सर्दी का मौसम और बुनाई ‘ – -विभा गुप्ता

    कड़कती सर्दी में ठिठुरते हुए अचानक मुझे वो दिन याद आ गये, जब बुनाई हर घर का अपना एक निजी व्यवसाय हुआ करता था।व्यवसाय इसलिए क्योंकि गृहिणियाँ ननद-देवरों के साथ-साथ चचेरे-ममेरे भाई-भतीजों और भतीजियों के लिए भी स्वेटर बनाने का अपना पारिवारिक धर्म समझती थीं।मैं छह-सात बरस की रही होगी,जब घर में बुआजी को बुनाई … Read more

मर्दानी – नीरजा कृष्णा

“ये तुम्हारी आवाज़ को क्या होता जा रहा है…एकदम मर्दानी आवाज़ हो गई है। सुबह सुबह दहाड़ना चालू हो जाता है। थोडा़ सा स्त्रियोचित व्यवहार भी कर लिया करो।” मोनिका पतिदेव का कमेंट सुनकर सन्न रह गई। धीरे से बोली, “क्या करूॅं…सर्दी में सब नौकर चाकरों के कान ठप्प हो जाते हैं। धीमे बोलने से … Read more

error: Content is protected !!