बेसहारा बना सहारा –  बालेश्वर गुप्ता

      पापा आपका कल वार्षिक मेडिकल बॉडी चेक अप होना है, मैंने अपॉइंटमेंट ले लिया है। सनी की आवाज सुन रमेश एकदम जैसे नींद से जागा हो,चौंक कर बोला ठीक है बेटा, वैसे सब ठीक है,कितना जीना है, क्या जरूरत थी इस चेक अप की?      क्या बात करते हो,पापा100 वर्ष आयु पूरी करेंगे आप।ये तो माँ … Read more

“पति पत्नी रिश्ते में रिटर्न  कहां से आ गया?” –  सुधा  जैन

इन दिनों मेरा स्वास्थ्य गड़बड़ चल रहा है, कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या हो गया है। कमजोरी आ गई है, जो दवाइयां ले रहा हूं, वह सूट नहीं हो रही है ।सोडियम लेवल कम हो रहा है ।अस्पताल भर्ती होना पड़ रहा है। मैं जल्दी से ठीक होना चाहता हूं, पर कमजोरी कम … Read more

जादू की झप्पी – आरती झा आद्या

मम्मी जल्दी तैयार हो जाइए, आपके फेवरेट हीरो रणवीर कपूर की मूवी टिकट लाई हूं… रितेश घर में घुसते ही जोर से बोलता है। रम्या मौसी..मम्मी नहीं दिख रही हैं.. घर की सहायिका रम्या से रितेश पूछता है। बेटा वो सुगंधा बिटिया की तस्वीर गोद में लिए तुम्हारे जाने के बाद से ही रो रही … Read more

मुझे सहारे की क्या आवश्यकता – पूजा मनोज अग्रवाल

 बात कुछ पुरानी है ,,बनारस में श्रीराम के एक बहुत बड़े भक्त हुआ करते थे  । उनका नाम था लक्ष्मी दास उनके विवाह को तीन दशक बीत चुके थे परंतु अब तक संतान सुख ना मिल पाया था  । वे साल दो साल में बनारस से अपनी पत्नी उमा देवी के साथ श्री राम के … Read more

अंतिम कॉल – सरोज प्रजापति

मीरा जी काफी देर से बिस्तर पर लेटी सोने की कोशिश कर रही थी। नींद ना आने की वजह से वह लगातार करवटें बदल रही थी लेकिन नींद अभी भी उनकी आंखों से कोसों दूर थी। उनकी बेचैनी उनके साथ लेटे उनके पति भी महसूस कर रहे थे लेकिन चाहकर भी वह कुछ नहीं कर … Read more

रिश्तों की तुरपाई – दीपा माथुर

अरे बहु देखो तनिक ये 100 का ही नोट है ना।दादी साहब ने अपने बटुए को खंगाल कर एक नोट निकालते हुए पूछा।वैसे ये मकान दादी का है हम तो हम हेसबेंड वाइफ (राधा और श्याम) यहां किराए पर रहते है।श्याम तो मोटर मैकेनिक का काम करता है दिनभर दुकान पर रहता है।मैं (राधा) और … Read more

अदृश्य अन्याय – रजनी श्रीवास्तव अनंता

जब से दोनों चाचा शहर जाकर बसें और दोनों बुआ की शादी हो गई, तब के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि बिना किसी तीज-त्योहार के परिवार के सारे लोग गांव में इकट्ठा हुए थे। कोई और दिन होता तो बड़ी अम्मा चहकती हुई सब की आवभगत में लगी होतीं।  मगर… आज वह बिल्कुल … Read more

अविस्मरणीय स्मृति – सुधा शर्मा

 कई दिनों से चित्त बहुत उद्वेलित था। कुछ अच्छा नहीं  लग रहा था। मन बहुत विचलित हो रहा था ।    विचित्र परिस्थितियों में बचपन में बिछड़ गई थी अपनी  बडी बहन मोना से।वक्त के अन्तराल में हम दोनों अलग थलग हो गये थे ।दो दिशाओं में दो तरफ। बहुत समय तक एक दूसरे का समाचार … Read more

ये मान सम्मान मेरा नहीं मेरे बेटे का हो रहा है….. – भाविनी केतन उपाध्याय 

” क्यों री बहूरिया,मन ही मन क्यों मुस्कुरा रही है ?” कपड़ों को सुखाते हुए  अम्मा जी ने कहा। ” कुछ नहीं अम्मा जी,बस ऐसे ही…” शालिनी ने शालीनता से अपनी ख्याल और साथ देने वाली अम्मा जी से कहा। ” ऐसे क्यों नहीं बहूरिया, कहना नहीं चाहती हैं तो मत कहो पर मैं भी … Read more

इतना  फ़र्क़ क्यों टीचर – सुमिता शर्मा 

रचना और पुनीत एक शिक्षक दम्पति थे और दो  बेहद प्यारी जुड़वाँ बेटियोँ के माता पिता।पर दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर था दिखने में। जहां  त्रिशा दिखने में बिल्कुल बार्बी डॉल सी लगती,वहीँ काकुल साधारण सी परन्तु बेहद कुशाग्र ।उसकी बोलती आँखे और मीठी बोली सबको पल भर में अपना बना लेती। रचना जहाँ … Read more

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