असली  सहारा  – गोमती सिंह 

जबलपुर के हाई कोर्ट में आज राजेश और सुरेखा  की संपत्ति का सेकण्ड अपील की सुनवाई बहस होनी थी । उन दोनों ने ये ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाय हमारा बैंक बेलेंस खाली हो जाय मगर हम अपनी संपत्ति को उस धोखेबाज से हासिल कर के ही रहेंगे।             अदालत के बाहर … Read more

सहारा – निधि जैन

अरे तू बहुत मनहूस है, जितने भी लड़के देखने आए, वो सब तुझे मना करके चले गए, तू तो अमावस की वो काली रात है, जब पैदा हुई तो अपने ही मॉं-बाप को खा गई, और पता नहीं किस किस को खा कर दम लेगी ये लड़की, अब और कहॉं जाऊं, कैसे करूंगी तेरी शादी, … Read more

अजनबी दोस्त – गीता वाधवानी

अश्विनी ने जोर से आवाज लगाई और हाथ भी हिलाया, उसके साथ साथ और कई लोग भी जोर-जोर से आवाज लगा रहे थे, पर वह किसी की भी नहीं सुन रहा था। कानों में ईयर फोन लगाए गाने सुनता हुआ, आंखें नीचे किए मस्ती में रेल की पटरी पर चलता जा रहा था। अपनी तरफ … Read more

माँ हमें आपके सहारे की ज़रूरत है – के कामेश्वरी 

रजनी की दो बेटियाँ थी पति आलोक बैंक में नौकरी करते थे । बेटियाँ दोनों बहुत ही सुंदर और होशियार थी । बचपन से ही हर कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होती थी ।  आज अपने बलबूते पर बड़ी लड़की प्रिया ने शहर के सबसे बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में दाख़िला लिया था । हर … Read more

अपना मिलन होने को है…! – मीनू झा 

सुनो ना निकल चुकी हूं..ट्रेन टाईम पर ही है.. मैं आ जाऊंगा तुम टेंशन मत लो,और तुम्हारी ट्रेन की टाइमिंग मैं भी देख रहा हूं..तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार है,जल्दी आ जाओ..अब इंतजार नहीं होता। चौबीस साल पहले जैसा नए नए प्रेम की फुहारों सा प्रभात का स्वर नमिता को अंदर तक भीगो गया और खुशी … Read more

देवरानी-जेठानी – डाॅ उर्मिला सिन्हा

गली में गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था।पहरेदार का “जागते रहो…”की तीव्र ध्वनि नीरवता भंग कर रही थी।रात आधी बीत चुकी थी ।हंसा घुटनों में सिर दिये  झपकी ले रही थी।नींद के झोंके से माथा कभी इधर, कभी उधर लुढ़क पड़ता ।वह पुनः सिमट कर बैठ जाती .वह जितना ही जागने का प्रयास करती नींद उसपर … Read more

मेरे माँ-बाप की इज्जत नहीं करोगी तो तलाक लेलो

भानु और पति रमेश ने बहुत ही गरीबी में अपना समय बिताया. लेकिन अपने बेटे की परवरिश में कभी कमी नही की. रमेश फल और सब्जियों का ठेला लगा कर घूम घूम कर बेचता और भानु लोगों के कपड़े सिलाई कर घर चला कर भी अपने एक बेटे कृपाल की पढ़ाई करवाई. और बेटे ने … Read more

कुछ खास है हम सभी में – डॉ. पारुल अग्रवाल

सिया आज की पढ़ी लिखी आत्मविश्वास से भरी हुई सुलझी हुई महिला थी। वो उन महिलाओं में से नहीं थी जो घर गृहस्थी के चक्कर में अपनेआपको भूल जाए और अपने पर बिल्कुल भी ध्यान ना दे। वो अपने घर,परिवार और अपने शौक के साथ संतुलन करना जानती थी। उसके चेहरे की चमक-दमक और आत्मविश्वास … Read more

आशा की किरण – डा. मधु आंधीवाल

सीमा प्रतिदिन कालिज से आते जाते एक छोटे बच्चे की पीठ पर बहुत छोटी बच्ची को गले से बंधा देखती । बच्चा पीछे बच्ची का बोझ उठाता और आगे एक टोकरी में पान और पान लगाने का सामान रख कर पान बेचता । सीमा को अपना बचपन याद  आगया । मां पापा एक हादसे में … Read more

सफर में चलते हुए – संजय मृदुल

कहाँ जाना है? उसने पूछा। बहुत दूर। मैंने कहा। कितनी दूर?फिर प्रश्न आया। जहां से वापसी सम्भव ना हो। जवाब दिया मैंने। ऐसा क्यों? वो झुंझलाई। बस यूं ही। मैं लापरवाही से बोला। जाना क्यों है? ऐसे पूछा मानों कोई काम हो उसे भी। बस यूं ही। मैं बोला। जरूरी है क्या? अब उसकी आवाज … Read more

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