तुम्हारे सहारे की नहीं ,साथ की दरकार थी। – स्मिता सिंह चौहान

रागिनी अस्पताल की खिड़की से बाहर एकटक निहार रही थी,जैसे इंतजार कर रही हो किसी का।तभी कमरे का दरवाजा खुला और राजीव हाथ में कुछ फल और दवायें लेकर अंदर दाखिल हुआ “पता है रागिनी डाक्टर कह रहा था ,तुम रिकवर कर रही हो ।जल्द ही घर जा पाओगी ,फिर हम खूब मजे करेंगे।अभी तुम … Read more

एक दूजे का सहारा – पुष्पा जोशी

गरिमा का मन उदासी के गर्त में डूब गया था। आज डॉ. भार्गव ने भी स्पष्ट शब्दों में कह दिया था, कि वह माँ नहीं बन सकती है। वह कितने ही डॉक्टरों को बता चुकी थी, और इलाज करा-करा कर थक गई थी। डॉक्टर भार्गव उसकी आखरी उम्मीद थे। एक सन्तान की चाहत में उसने … Read more

 सहारे की आड़ में – विभा गुप्ता

   टेलीविज़न पर केबीसी शो का रिपीट टेलीकास्ट हो रहा था, ‘आनंद निवास’ के बड़े हाॅल में पिन ड्राॅप साइलेंस था।पुरुष-महिलाएँ सभी बैठकर एकटक अमिताभ बच्चन जी को देख रहें थें कि अब वे हाॅट सीट पर बैठे व्यक्ति से अगला प्रश्न क्या पूछेंगे।तभी एक सेविका ने आकर बताया कि दो लोग बड़ी दीदी से मिलना … Read more

राजा बेटा – सीमा वर्मा 

” आज मुझे ऐक्टिव सर्विस से रिटायर होने में बस एक हफ्ते ही रह गए हैं “ ऑफिस के लंच ब्रेक में अकेली बैठी सीनियर मैनेजर ‘दर्शना’ की आंखों के सामने स्मृति के चलचित्र चल रहे हैं। ‌करीब इक्कीस बर्ष की थी मैं जब न्यू कोऑपरेटिव कालोनी के उस पीले रंग की बड़े से मकान … Read more

वाह बेटा बड़ी चिंता होने लगी पत्नी की. – कनार शर्मा 

बहुत हुआ समीर तुम्हें क्या लगता है “मुझे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है”???? क्या ये बच्चा सिर्फ मेरा है?? क्या बच्चा पैदा करने के बाद मां तुरंत रिकवर हो जाती है??… तुम्हें अंदाजा भी है प्रेग्नेंसी के 9 महीने तरह-तरह के बदलाव सहन किए, बदलते हारमोंस, चिड़चिड़ापन उल्टी की शिकायत, उठना बैठना, चलना … Read more

राधा की दीवानी पूरी दीवानी – मीनाक्षी सिंह

राधा देख तेरे बापू ही हैँ ना वो ???? राधा अपनी आँखों को धूप में मिचमिचाती हुई,, अपने हाथों को माथे पर रख दूर तक देखती रही ! अरे हाँ री रूपा ,बापू ही आ रहे हैँ ! मैं चली घर जाकर व्यवस्था देखूँ ! कितने दिनों बाद आयें हैँ बापू ! बातें भी तो … Read more

यादगार सफ़र – नरेश वर्मा

देहरादून से चली बस चंडीगढ़ के बस अड्डे में प्रवेश कर चुकी थी ।अड्डे में बस के प्रवेश करने से पहले ही यात्री सीटों से खड़े होकर अपनी अटैचियाँ और सामान सँभालने लगे थे ।सब को हड़बड़ी है उतरने की।इसी हड़बड़ी के माहौल में कंचन ने भी अपना बड़ा सा पर्स सँभाला और ऊपर से … Read more

कुम्भ का डर……. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

सुबह सुबह पत्नीश्री की चूड़ियों की खनखनाहट से मेरी नींद खुली…… आँख खोल देखा तो पत्नीश्री सज-धजकर मुस्कुराते हुए चाय की प्याली हाँथों म़े लिए खड़ी है..पहले पहल तो लगा कि मैं कोई स्वप्न देख रहा हूँ…. क्योंकि आदतन पत्नीश्री इतनी सुबह सुबह इस तरह तैयार नहीं दिखती… मैंने दो तीन बार जोर से आँखें … Read more

सहारा…. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा…. बचपन में मैं जब भी यह गाना सुनता था तो मुझे यह गाना चंद्रमा और मामा का तुल्नात्मक चित्रण या फिर मामा भांजे का प्रेम मात्र लगता था,लेकिन जैसे जैसे समय बीता इस गाने का मर्म ,चंद्रमा का प्रेम और मामा का महत्व समझ पाया,तब और जब एकमात्र मामा … Read more

मुझे भी सहारे की जरूरत हैं – स्वाती जैंन

संजना को लल्ला के जोर से रोने की आवाज आई तो संजना रसोई से तेजी से भागी और कमरे में जाकर लल्ला को गोद में लेकर अपना दूध पिलाने लगी !! लल्ला दूध पीकर शांत तो हो गया मगर उसका सोने का मन नही था , वह यहाँ – वहाँ देखने लगा और हाथ – … Read more

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