दूसरी सास – सरोज प्रजापति 

किरण अपने बेटे को नहला रही थी कि तभी उसके फोन की घंटी बज उठी। बेटे को बाथरूम में अकेला छोड़ कर वह जा नहीं सकती थी इसलिए वह जल्दी जल्दी उसे नहलाने लगी। उधर फोन था कि बार-बार बजे ही जा रहा था। फोन की लगातार बजती घंटियां सुनकर किरण थोड़ा परेशान हो गई। … Read more

ननद की सीख  – पूजा मनोज अग्रवाल

रिया,,,,, रिया,,,,  अरे !  कहां हो तुम …?  …आज तुम्हारे मां पिताजी सक्रांति का त्योहार लेकर आने वाले हैं ना …. देखो तो एक बार फ़ोन मिला कर पूछ लो ,,, उन्हें देरी क्यों हो रही है,,,,? मालती जी ने अपनी नव विवाहिता बहु रिया से कहा । रिया की शादी के बाद यह उसका … Read more

 इक बंगला बने न्यारा – लतिका श्रीवास्तव 

..पापा आप लोग हम लोगों के साथ नहीं रहेंगे….आनंदी का ऐसा मानना है ….अब उसे भी शानदार जॉब मिल गया है…बहुत व्यस्त हो गई है….अनिमेष फोन पर कह रहा था और इधर सुधीर जी की आंखों में आंसू और दिल में दफ्न  मकान की ख्वाहिश अचानक उभर कर फिर से सांसे लेने लगी थी…बुढ़ापे का … Read more

सबै दिन होत न एक समान – कुमुद चतुर्वेदी

पूजा अपने माँ,बाप की लाड़ली और इकलौती संतान होने के कारण स्वभाव से जिद्दी और मनमौजी हो गई थी।हालाँकि माला उसको गलत बात पर  डाँटती भी थी पर वह पापा से माँ की शिकायत करती तो मनोहर उसीके सामने माला से कहते “अरे हमारी पूजा बहुत समझदार है वह कभी कोई गलती नहीं कर सकती,अभी … Read more

तू मेरा सहारा है-मैं तेरा सहारा हूं – कुमुद मोहन 

अरे, नीता सुना तुने मंजु की बेटी जिया की शादी कितनी बढ़िया जगह तय हुई है। लड़का मुंबई की बहुत बड़ी कम्पनी का सी.ई.ओ है। सबसे बड़ी बात यह है कि वे लोग दहेज भी नहीं मांग रहे। अंजु ने एक सांस में नीता के आगे लड़के का बायोडाटा खोल कर रख दिया। नीता- ये … Read more

एक सहारा ऐसा भी  – अमिता गुप्ता “नव्या”

सोहनलाल एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे बैठे, अपने जीवन के बिताए 75 वर्षों की स्मृतियों में गोता लगा रहे थे। पत्नी सुशीला के स्वर्गवास के उपरांत बेटे बहू के द्वारा उपेक्षा, अनादर मिलना उनके अंतर्मन को कचोट रहा था। कितना निस्सहाय महसूस कर रहे थे… पूरी जमीन जायदाद बेटों के नाम कर दी, … Read more

ममता का कर्ज़ – कल्पना मिश्रा

“डॉक्टर साहब, जब आप छुट्टी पर थे तब कोई आदमी एक बुढ़िया को यहाँ भर्ती कराकर चला गया है और तबसे आजतक वापस लौट कर नही आया। दिक्कत ये है कि वह बुढ़िया अपने बारे में कुछ भी नही बता पा रही है। हमनें बहुत कोशिश किया पर भर्ती कराने वाले ने अपना नाम, पता … Read more

पति पत्नी – भगवती सक्सेना गौड़

राम ने बड़ी मुश्किल से पत्नी सीता को कमर से सहारा देकर देहरी उतरने में सहारा दिया और उसी समय दोनो की आंखे मिली और दोनो ने आंखों ही आंखों में पूछा, “कुछ याद आया।” दोनो अतीत में खो गए। 40 वर्ष पहले फरवरी में सगाई हुई थी, एक दूसरे के ख्याल में डूबे रहते … Read more

पतिदेव मैं अपने लिए अकेले काफी हूँ। – चेतना अग्रवाल

सिया, शाम को तैयार रहना…. आज की मूवी के टिकट बुक कर दिये हैं।” आरव ने ऑफिस से फोन किया तो सिया खुश होने के बजाय सोच में पड़ गई। अपनी सोच को एक तरफ कर सिया काम निपटाने लगी।शाम को उसने दोनों बच्चों को तैयार किया और खुद भी तैयार हो गई। आरव का … Read more

मंज़िल – सुनीता मिश्रा

मै नहीं जानती थी की मैं कहाँ जा रही हूँ । रात का समय, बारिश की झड़ी लगी थी। बिजली और बादलों की गड़गड़ाहट में होड़ लगी थी। मैं पूरी तरह भीग गई थी। तरबतर थे कपड़े। होश नहीं था मुझे। आखिर मेंरा कसूर क्या था। इतना ही न मैंने आज उस पर हाथ उठा … Read more

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