माता-पिता तो बच्चों को हर हाल में सहारा देते हैं। – अर्चना खंडेलवाल

गिरिजा ने दवाई का पैकेट उठाया तो देखा उसमें गोली नहीं थी, उसे याद आया कि दवाई तो कल रात को ही खत्म हो गई थी उसने विकास को लाने को बोला तो था, पर शायद वो भूल गया होगा, उसने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से आवाज नहीं आई, वो चुपचाप वापस … Read more

सहारा तो अपने ही बनते हैं !! – मीनू झा 

मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं है कह तो दिया है पापाजी ने पर आपको लगता है कि इस उम्र में उनका ये गुस्सा सही है आपने तो उन्हें यहां बुलाने के लिए फोन किया था ना और बात कहां से कहां चली गई …अकेले हैं दोनों कहीं कोई परेशानी ना आ गई तो? कुछ … Read more

निस्वार्थ प्रेम  -मीनाक्षी सिंह

राधा देख तेरे बापू ही हैँ ना वो ???? राधा अपनी आँखों को धूप में मिचमिचाती हुई,, अपने हाथों को माथे पर रख दूर तक देखती रही ! अरे हाँ री रूपा ,बापू ही आ रहे हैँ ! मैं चली घर जाकर व्यवस्था देखूँ ! कितने दिनों बाद आयें हैँ बापू ! बातें भी तो … Read more

“एक सहारा”  – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

   पूरे गाँव में चर्चा का विषय था कि पांडे जी की बेटी लता जिलाधिकारी बन गईं हैं। उसे देखने और सम्मानित करने के लिए गाँव वालों ने एक बहाना बनाया क्योंकि  विवाह के बाद जो वह विदा होकर ससुराल गई उसके बाद वह वापस गांव नहीं आई थी। नव निर्मित प्राथमिक विद्यालय का उद्घाटन करने … Read more

रामानंद “एक प्रेम कहानी” – किर्ति रश्मि नन्द

       रमा का मन आज कुछ उचाट सा था …आनंद इस बात को समझ रहा था  “जब से पाहुन का फोन आया है वो कुछ परेशान सी है … हो भी क्यों न बात ही कुछ ऐसी है।”           “क्या करूं” … “चलो अपने लिए कोई एक कीमती ड्रेस ले लो “… आनंद ने झिझकते हुए कहा … Read more

एकदूजे के सहारे – बेला पुनिवाला

  मैं hostel में दादा दादी को याद कर अपनी सहेली प्रिया को उनके बारे में बता रही थी, कि ” मेरे दादा और दादी दुनिया में सबसे प्यारे और सबसे अनोखे दादाजी और दादीजी है, उनकी love story बड़ी दिलचस्प है और वो दोनों भी।            मेरे दादाजी और दादी एक दूसरे से जितना लड़ते है, … Read more

आत्मशक्ति – निभा राजीव “निर्वी”

आज लता अपनी कमाई से अपने लिए साइकिल लेकर आई थी। हृदय का सारा प्यार हथेलियों में भरकर आत्मीयता से साइकिल को सहलाने लगी। कभी सोचा भी नहीं था कि उसके जीवन में यह दिन भी आएगा, जब वह अपने आप को साबित कर पाएगी और अपने दम पर यह जीवन जी पाएगी। उसकी आंखों … Read more

एक औरत की चाह – मीनाक्षी सिंह

एक औरत को क्या चाहिए बस सर्दियों में उसके कपड़े सूख जायें और उनको धूप लग जायें ! बस,, इतने में ही खुश हो जाती हैँ ! खाना बनायें तो सब इतना कह दें बस ,,अच्छा बना हैँ इतने में ही उसका दिल गदगद जो जाता हैँ ! पूरे दिन घर की उन जगहों की … Read more

जीने का सहारा – प्रीती वर्मा

रीना!बिटिया ये मेरे मोबाइल में जरा वो बना देना जरा!क्या बोलते हैं,,,,, फेसबुक! फेसबुक आईडी??मैने कहा! हां हां !उन्होंने सर हिलाते हुए कहा! और फोन मेरे तरफ बढ़ाने लगीं! अरे वाह काकी!आपने तो नया वो भी स्मार्ट फोन ले लिया!आपको इसकी क्या जरूरत?और फेसबुक पर आपको क्या काम?इस उमर में नया चश्का लगा है!मैने काकी … Read more

सहारा नहीं साथ चाहिए – संगीता त्रिपाठी

 “इस उम्र में आ कर आपको क्या सूझी है, आपको पैसों की कमी है तो हमसे ले लीजिये, पर इस तरह हमारी इज्जत का मजाक न उड़वाएं, आपको हमेशा आगे बढ़ कर सहारा दिया है, फिर भी आपने एक बार न सोचा, आपके निर्णय से हमें कैसा लगेगा “बेटे की अदालत में माँ कठघरे में … Read more

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