एक दूसरे का सहारा – मुकुन्द लाल
शाम के समय रजनी पार्क में अपनी बच्ची पुष्पा के साथ बेंच पर खोई-खोई सी बैठी हुई सोच रही थी कि एक स्त्री के जीवन में ऐसा भूचाल भी आ सकता है? उसने ऐसा कभी सोचा ही नहीं था कि उसका सुगंधित और हर्ष से सराबोर दाम्पत्य जीवन एक झटके में ही ध्वस्त हो जाएगा … Read more