दर्द का रिश्ता – ऋतु गुप्ता

बड़ी अम्मी नजमा तेज बुखार में तप रही थी और छत पर बैठी चुपचाप स्नेह भरी नजरों से नूर को निहार रही थी, जो पास के ही छज्जे पर चढ़ कर पतंग उड़ा रहा था।नजमा नूर से कहना चाहती थी कि बेटा संभाल कर कहीं पतंग के चक्कर में चोट मत मार लेना,पर नूर की … Read more

ईगो… – आशीष व्यास 

अभी एक साल भी नहीं हुआ था दोनों की शादी को कि दोनों में झगड़ा हो गया किसी बात पर … जरा सी अनबन हुईं और दोनो के बीच बातचीत बंद हो गई …वैसे दोनो बराबर पढ़ें – लिखे , दोनो अपनी नौकरी में व्यस्त तो दोनों का इगो भी बराबर … वहीं पहले मैं … Read more

काश कामिनी प्यार का मतलब समझ पाती – मीनाक्षी सिंह

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए प्यार से भी जरूरी कईं काम हैं प्यार सबकुछ नहीं जिन्दगी के लिए एफएम पर स्लो वोईस में ये गाना सुनते हुए कामिनी अतीत में गुम हो गयी ! कितना प्यार करता था राघव उसे ! जान  छिड़कता था उस पर ! … Read more

अंजान बेटा – माता प्रसाद दुबे

सुबह के आठ बज रहे थे,प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचते ही यात्रियों की भीड़ स्टेशन से बाहर निकलने लगी। प्रकाश अपनी ऑटो रिक्शा स्टार्ट करके सवारी के आने का इंतजार कर रहा था। सामने एक बुजुर्ग महिला के साथ कुली उसका सामान लेकर आ रहा था। “आइए माता जी!कहा … Read more

दहेज लोभी – पिंकी सिंघल

अपने बेटे विराट के लिए सुंदर सुशील संस्कारी बहू ढूंढने के लिए चौधरी परिवार जी जान से जुटा हुआ था। पिछले 1 साल में लगभग एक दर्जन लड़कियां देखने और रिजेक्ट करने के बाद एकता ,जो कि पेशे से एक मेकअप आर्टिस्ट थी,से विराट का रिश्ता तय हो गया । विराट एमबीबीएस पूरी कर चुका … Read more

सहारा – पुष्पा पाण्डेय

सूरज बाबू सरकारी दफ्तर में क्लर्क थे। माता-पिता और पत्नी सुलेखा के साथ रहते थे। शादी के दस साल हो गये, पर आँगन किलकारियों से वंचित रहा। पोते- पोती को तरसते माता पिता क्रमशः अंतिम यात्रा पर चले गये। आस-पड़ोस और परिचितों ने बच्चा गोद लेने की बात कही। कई बार जाकर शिशु आश्रम से … Read more

कांधा – कंचन श्रीवास्तव

+++++++ उम्रदराज विदूर पति के लिए पत्नी के बिना जीना क्या वास्तव में आसान होता है भाई? ‘अभी कुछ ही घंटे खत्म हुई पत्नी की शव के पास बैठे राम ने पहले से विदुर अपने करीब बैठे सहकर्मी जो साथ के मुलाजिम है’ से पूछा , तो उन्होंने फफकते हुए मानों कुछ साल ही पहले … Read more

मिठास – रश्मि स्थापक

संजना खामोश बैठी है। बाहर वाले इस बड़े कमरे में बिछी तखत पर सासू माँ का एकाधिकार होता था।उनकी सारी गतिविधियों का केंद्र था यह।और आज पहली संक्रांति उनके बिना।कल ही शहर से आई यहाँ पहला त्योहार होने से आना तो था ही।वह यही सोच रही थी कि अम्माँ तिल के कितने लड्डू बनातीं थीं … Read more

असमंजस – कमलेश राणा

वीणा शुरू से ही बहुत नाजुक सी थी उसकी माँ कभी भी भारी भरकम काम उससे नहीं करवाती थी।शादी होकर ससुराल आई तो वहाँ भी जो भी मिलने आता यही कहता… कितनी प्यारी बहू लाये है आप… पतली पतली नाज़ुक सी। समय के साथ वह तीन बच्चों की माँ बन गई फिर भी उसकी कमनीयता … Read more

बात है साधारण सी, पर है गहरी – रोनिता कुंडू

सुनिए जी..! हम रोज़ इस पार्क में टहलने आते हैं और हमारे जाने तक, वह लड़का भी वहीं बैठा रहता है… वह इतनी देर ना तो अपने फोन को देखता है और ना ही किसी से बातें करता है… आज की पीढ़ी, वह भी इतनी गंभीर..? कितना अजीब है ना..? विमला जी ने अपने पति … Read more

error: Content is protected !!