मायका – गीतांजलि गुप्ता

रवीना ने छोटी सी उम्र में ही अपने माता पिता को खो दिया था। दादा दादी ने पूरे लाड़ प्यार से पाला था। चाचा चाची और  बच्चों को वो फूटी आँख नहीं भाती थी, इसलिए दादा जी  चाचा जी से अलग़ रहने लगे थे। रवीना की शादी के बाद दादा दादी को चाचा जी अपने … Read more

किटी पार्टी – आरती असवानी

किटी पार्टी खत्म हो चुकी थी, सुधा जूठे बर्तन किचन में ले जा रही थी। कांता, सुजाता खास दोस्त थी सो मदद के लिए रुक गयी। “बात जब सास या ससुराल की हो तब तो सब सहेलियाँ खूब बढ़ चढ़ कर चर्चा करती हैं, लेकिन जैसे ही पति के मदद की बात आती है तो … Read more

दर्द का संगीत – रश्मि सिंह

मोहन (फ़ोन पर)- ललित जी, पाँच बज गए है, सैर पर चला जाए। ललित- हाँ। मैं बस 10 मिनट में आया, जब तक तुम और लोगों को बुला लो। ललित-देवकी, गरम पानी तो लाना, फिर मैं सैर पर निकलूँ। देवकी (पानी देते हुए)-लौटते वक़्त मंडी से फल और सब्ज़ियाँ लेते आना। मैंने लिस्ट बना दी … Read more

” माँ ने जब बेटे के दर्द एवं दुःख को उसका हौसला बना दिया !” – ज्योति आहूजा 

गर्वित स्कूल से घर वापस आते ही बहुत उदास होता है। उसे उदास देखकर घर के सभी लोग उसे पूछने लगते हैं “क्या हुआ बेटा? बताओ तो सही। बहुत उदास नजर आ रहे हो।” तभी गर्वित कहता है आप सबको पता है! थोड़े दिनों के बाद हमारे स्कूल में स्पोर्ट्स कंपटीशन (खेल प्रतियोगिता) रखा गया … Read more

डायरी – भगवती सक्सेना गौड़

“हेलो, रविश जी, आ जाइये, प्रभा जी स्वर्ग सिधार गयी” सबेरे ही मेन्टल हॉस्पिटल से फ़ोन था। घबराकर कार निकाली और चल पड़ा, 2 घंटे का रास्ता था, और वो राह उसे अतीत की तरफ ले गयी। बचपन से माँ को या तो किचन समेटते देखा, या, मशीन में कपड़े सिलते या अपने कमरे में … Read more

ऊँची दीवारों का दर्द-  सुनीता मिश्रा

चतुर्थी का चाँद आसमान पर था।हल्का उजास ज़मीन पर छितरा हुआ था। रात आधी बीत चुकी थी।हवेली के सामने पहुँचकर उसने घोड़े की लगाम खींची ।हवेली के बाहर चारों ओर से उँची दीवारों का परकोटा बना हुआ था।घोड़े से उतर कर लगाम हाथ में पकड़े हुए वो हवेली की ओर कुछ समय तक टकटकी बाँधे … Read more

दर्द -सुलाना खातून 

मैंने अपनी जिंदगी के 28 साल पूरे कर लिए लिए हैं, और दो बेटियों की मां हूं, मेरी दूसरी बेटी 9 महीने की है बीमार है मौत उसके सिरहाने खड़ी है पर मेरी बच्ची नहीं जानती, मौत क्या है? मेरी बेटी कड़वी से कड़वी दवा पीने के लिए मुंह खोल देती है, ऑक्सिजन पाइप की … Read more

दर्द ने ही दर्द का एहसास दिलाया !!- मीनू झा

वह अपना दर्द कभी किसी को नहीं बताती यह तो मैं शुरू से जानती हूं..पर इतनी अहम बात उसके पति होने के नाते आपको तो पता होनी चाहिए विनीत जी..इतने दिनों का दाम्पत्य जीवन साथ गुजारने के बाद भी आप उसके हृदय की थाह ना पा सके ना सही,उसकी शारीरिक तकलीफ़े भी नहीं दिखी आपको…??? … Read more

डायरी – भगवती सक्सेना गौड़

“हेलो, रविश जी, आ जाइये, प्रभा जी स्वर्ग सिधार गयी” सबेरे ही मेन्टल हॉस्पिटल से फ़ोन था। घबराकर कार निकाली और चल पड़ा, 2 घंटे का रास्ता था, और वो राह उसे अतीत की तरफ ले गयी। बचपन से माँ को या तो किचन समेटते देखा, या, मशीन में कपड़े सिलते या अपने कमरे में … Read more

मेरा क्या कसूर है  -कमलेश राणा

बीनू ओ बीनू कहाँ चली गई.. ये लड़की भी न.. सारे दिन बस खेल और खेल.. न पढाई में मन लगता है इसका और न ही घर के काम काज में। आज आने दो अच्छे से खबर लेती हूँ इसकी। आपने देखा क्या बीनू को?? आपकी शह पाकर ही वह मेरी नहीं सुनती। आपने बहुत … Read more

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