हाथी के दाँत – मधु शुक्ला

विभा के पड़ोस में रहने वाली रीमा नौकरी के कारण ज्यादा व्यस्त रहती थी। इस वजह से उससे विभा की बातचीत नहीं हो पाती थी। वह उसको बस आते जाते देखती थी। कभी-कभी मुस्कान का आदान प्रदान हो जाता था। इसके अलावा विभा जरूरत पड़ने पर रीमा से पैसे या घर में घटे सामान माँग … Read more

दस्तक – डॉ. पारुल अग्रवाल

संध्या के साथ आज जो भी कुछ घटित हुआ,उससे संध्या के तो मानो पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई। उसने आज तक खून का पानी होने वाली कहावत सिर्फ सुनी ही थी पर आज उसने प्रत्यक्ष रूप में अनुभव भी कर लिया। आज उसके ही सहोदर ने उसको ऐसा दर्द दिया था जिसको वो भुला … Read more

दर्द का एहसास – कान्ता नागी

(सत्य घटना पर आधारित) सुमन मुंशी प्रेमचंद जी का प्रसिद्ध उपन्यास गोदान पढ़ने में तल्लीन थी। उपन्यास काफी रोचक लग रहा था, अचानक उसे किसी के दर्द से कराहने का करूण स्वर सुनाई पड़ा। उसने दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा-रात के बारह बज रहे थे। पास में ही पति रंजन और दोनों बेटियां … Read more

दर्द भरा संतोष – गोमती सिंह 

—कल हम दोनों पति पत्नी विवाह समारोह में शामिल होने के लिए गए थे । विवाह के सभी रस्मोरिवाज पूर्ण होने के बाद अंत में चर्च के प्रांगण में दूल्हा दुल्हन दोनों पक्ष के माता-पिता तथा सभी सगे-संबंधियों के  बीच पास्टर जी आशीर्वचनों से संबोधित कर रहे थे पास्टर जी ने संबोधन जैसे ही पूरे … Read more

मर्द का दर्द – सुल्ताना खातून

“लड़का होकर भी भूत से डरता है, ही ही ही ही….” दोस्तों की  वह हंसी कानों में आज भी गूंजती है… मैं गली में खेलने नहीं जाता था… साथी लड़के मुझे चिढ़ाते थे, अरे ये दब्बू है, अपनी बहनों के साथ खेलता है, लड़कियों वाले खेल, अपनी मम्मी के पीछे ही रहता है, डरपोक… उनकी … Read more

शीशम की लकड़ी – पायल माहेश्वरी

आज आलमारी की सफाई करते वक्त रूचि ने गर्म कपड़े निकाले वर्षो पुराने स्वेटर, टोपी, मोज़े, शाल, कोट, मफलर और रजाईया थी। रूचि ने जब सारे कपड़े बाहर निकाले तो उसे एक राहत भरी साँस लेने वाली आवाज आयी, पर आसपास तो कोई नहीं था फिर आवाज कहा से आ रही थी? रूचि को लगा … Read more

बहूरानी को नौकरानी बनाकर रखेंगे??- कनार शर्मा

थोड़ी देर और रुक ना एक मसाला चाय पीते हैं अभी 6 ही तो बजे है क्या जल्दी है घर जाने की… नीता ने अनन्या से कहा। तू नहीं समझेगी मेरा “दर्द”… सास ससुर, ननद चाय के लिए मेरी राह देखते होंगे, पिंकी को भी भूख लगी होगी, छत पर सूखते कपड़े उठाऊंगी,तह बनाऊंगी, प्रेस … Read more

दर्द औरत की बेकद्री का -स्मिता सिंह चौहान

तुम दो दिन से क्या रूआसी सी सूरत लेकर घूम रही हो?खुद को नहीं देखती कि कैसे बात करती हो?अब तो कुछ ज्यादा ही हो रहा है ,हर बात पर कुछ ना कुछ ताने से मारती हो।हमें भी तो चुभती है तुम्हारी बातें?”अनिल ने सुहानी को देखते हुये कहा। “मेरा ना अभी बहस करने का … Read more

दर्द का रिश्ता  – सुषमा यादव

ये दर्द का रिश्ता बड़ा अजीब है,हम अपने किसी खास अज़ीज़ से या किसी दोस्त के दर्द से इतना गहरे जुड़ जाते हैं,कि उसके साथ एक दर्द का रिश्ता बन जाता है। ,, एक प्यारा सा गीत संदेश परक याद आ रहा है,, ,, अपने लिए जिए तो क्या जिए,, ये दिल ये जां किसी … Read more

आजी  -कल्पना मिश्रा

उन सभी के चेहरों पर अपनों द्वारा ठुकराये जाने का दर्द साफ झलक रहा था।बचपन से अब तक तो बस सुनती ही आई थी कि ” बुढ़ापा अभिशाप होता है ..उस पर अपने ही शरीर के अंश द्वारा किया गया बुरा रवैया उन्हें अंदर तक तोड़ देता है।” ये आज “वृद्धाश्रम में रह रहे बुज़ुर्गो … Read more

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