बेदर्द दर्द – रजनी श्रीवास्तव अनंता 

“सुना है आजकल कहानियां लिखने लगी हो?”  मेरी सहेली रीनू ने मेरी तरफ देख कर कहा तो, किटी पार्टी में शामिल सारी लड़कियां (औरतें कहना पार्लर की बेइज्जती होगी) मेरी तरफ देखने लगीं। कुछ ने मुझ पर एक नज़र डालने के बाद, नज़र फेर लीं। जैसे कि उन्हें डर हो कि मैं जबरदस्ती पकड़-पकड़ कर … Read more

दर्द की पराकाष्ठा – शकुंतला अग्रवाल ‘शकुन’

पावस ऋतु ढलान पर थी शरद की दस्तक से हवा में नमी व्याप्त होने लगी थी। मंद-मंद पवन का झौंका भाव-विभोर कर जाता है। उस पर पूनम की रात हो तो समस्त वसुधा प्रेममयी हो जाती है। ऐसे सुरम्य-वातावरण में भी किसी के अंतस में लावा फूट रहा हो तो, प्रकृति भी गमगीन होने लगती … Read more

नजरिया – डॉ उर्मिला सिन्हा

  मन खिन्न था … धीरे-धीरे बड़े होते हुए बेटा बेटी .. उनकी चाहतें,जिद, उटपटांग  हरकतें उन्हें परेशान कर  डालती है।   “पराठा , पूड़ी सब्जी ,खीर,सेव‌ई कोई खाने की वस्तु है….”नाश्ते के प्लेट को हाथ नहीं लगाते आज के  बच्चे।     भले कालेज के कैंटीन में पिज्जा,बर्गर, फास्ट फूड, अगड़म -बगड़म खाकर अपनी भूख मिटाते हों ।लेकिन  … Read more

वकालत – Family Story in Hindi

पैंतीस साल कोइलवरी की नौकरी करने के बाद नीरज जी सेवा निवृत्त हो बहुत खुश थे। अब आराम की जिन्दगी जीने का मौका मिला। न सुबह उठने की जल्दी और न वक्त के पंख पर सवार हो घड़ी की टिक-टिक के साथ अनुशासित पग बढ़ाने को मजबूर हूँ। बिस्तर पर पड़े-पड़े ही मन-ही-मन आनन्दित हो … Read more

यौन शोषण  – अंतरा 

’’कभी कभी मैं जब सुबह उठती हूॅं तो मेरे पेट में बहुत दर्द होता है, और पेशाब से खून भी आता है।’’ बारह साल की बच्ची ने अपने पेट पर हांँथ रखकर बड़ी ही मासूमियत और दर्द से आई0पी0एस0 मीरा  के पूंछने पर उसकी आंखों में देखते हुये कहा।   ’’ऐसा दर्द तुम्हे रोज होता … Read more

सबकी खुशी दर्द मेरा – श्रद्धा खरे

.  मैं प्रिया को देखकर सोच रहा था कि क्या सांवला रंग इतना आकर्षक हो सकता है?…… वह मुझे कुछ समझा रही थी ,कितने पतले हो गए हो एक्साइज बगैरह किया करोअरे बस करो,” मैंने उसकी बात काटी, अच्छा एक बात सुनो तुम्हारे नीला रंग बहुत खिलता है, “अरे तुम्हें भी पसंद आया,” मम्मी भी … Read more

 ये कैसा दर्द दिया पिया तूने मोहे ? – बेला पुनिवाला 

    मनोज ज़ोर से आवाज़ लगाता है, ” माया, चलो भी अब, तुम्हें तैयार होने में कितनी देर लगती है ? शादी में मेरे सारे दोस्त पहुँच गए है और उन सब का फ़ोन आ रहा है, कि ” तुम कब आओगें ? मेरे दोस्त की बारात भी वहांँ से निकल गई है और हम अब … Read more

एक गरीब का दर्द – रोनिता कुंडु 

साहब..! कल छुट्टी चाहिए, वह बिटिया की 12वीं की परीक्षा है… उसे लेकर जाना है. हरिया ने अपने साहब से कहा… साहब:   ठीक है…! पर इस महीने तुम्हारी बहुत छुट्टी हो गई… उसके पैसे कटेंगे… क्योंकि जिस दिन तुम नहीं आते, मुझे किसी और को बुलाना पड़ता है… गाड़ी चलाने के लिए, और उसे … Read more

चाय नाश्ता – गरिमा जैन 

शहीद वीर सिंह मेमोरियल स्कूल का आज उद्घाटन था और नेताजी वहां कुछ ही देर में आने वाले थे ।मेरी ड्यूटी भी आज इसी कार्यक्रम के तहत लगी हुई थी ।सारे इंतजाम पुख्ता करते हुए मैंने देखा की गठरी से बनी एक औरत जमीन पर बैठी थी और एक पुलिस वाला उसे ऊंची आवाज में … Read more

वनवास – तृप्ति उप्रेती

“रुकमा,ओ रुकमा…. चल री, गायों को घर ले चलते हैं। सांझ घिरने में तो अभी बखत है,पर देख तो  कैसे घटाटोप  बादल घिर आए हैं। लगता है खूब बरसात गिरेगी।” “आई काकी, जरा चूल्हे के लिए लकड़ियां तो छील लूं”,कहकर रुकमा दनादन दरांती से पेड़ों की सूखी छाल निकालने लगी। बड़ा सा गट्ठर अपनी चादर … Read more

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