स्वाभिमान   –   कमलेश राणा

कार गांव की सड़क पर सरपट भागी जा रही थी और उससे भी अधिक तेजी से विचारों का कारवां मेरे दिमाग में दौड़ रहा था। मेरी यादों में गांव की तस्वीर बिल्कुल वैसी ही थी जैसी 15 साल पहले मैं यहाँ आई थी । आज बहुत दिनों बाद गांव आना हुआ जीवन की आपाधापी में … Read more

स्वाभिमानी हूं अभिमानी नहीं – अर्चना खंडेलवाल 

“ये जो तेरा एटीट्यूड है ना!! ये तुझे एक दिन परेशानी में डाल देगा, इस तरह का व्यवहार हर किसी के गले नहीं उतरता है, कुछ दुनियादारी भी होती है, कुछ लाज -शर्म भी होती है, कभी-कभी मन का नहीं हो, हमारी इच्छा ना हो फिर भी हमें वो करना होता है”। अब तेरी शादी … Read more

बहू…मेरी सास बनने की कोशिश मत करो!-  मीनू झा 

बागी बनना इतना भी आसान नहीं होता….हर कदम आपको लड़ना होता है ना केवल सामने वाले से बल्कि अपने आप से भी क्योंकि इस लड़ाई में आपके शत्रु आपके अपने ही होते हैं,जिनसे आप नहीं लड़ना चाहते,कई बार तो अपना अंतर्मन भी धिक्कार उठता है कि ये क्या कर रहे हैं हम?…पर अगर आपको अपने … Read more

 ( रोबोट नही इंसान हूँ मैं )-  संगीता अग्ग्र्वाल

” नीति ये क्या है यार कैसे तैयार हुई हो तुम पार्टी के लिए ?” निकुंज अपनी पत्नी को तैयार हुए देख बोला। ” क्यों क्या खराबी है इसमे क्या मैं अच्छी नहीं लग रही ?” नीति हैरानी से बोली। ” सिर्फ अच्छा लगना जरूरी नहीं मेरे साथ मैच भी तो होनी चाहिए ना ..देखो … Read more

 भाभी ! मुझे अपना स्वाभिमान बहुत प्यारा है- कीर्ति महरोत्रा 

बुआ ! मेंहदी , हल्दी और शादी सबके लिए थीम रखी गई है उसी के अनुसार कपड़े रेडी करवाने हैं ” भाई की बेटी शुभांगी खुशी से चहकते हुए बोली । सोना ने हां तो कह दिया और मन में सोचने लगी ” आजकल शादियों में फिजूलखर्ची कितनी बढ़ गई है आम आदमी के तो … Read more

बेटी हूँ तो क्या…..- रश्मि प्रकाश 

“ माँ माँ चलो बारात आ गई …. पापा तुम्हें बाहर बुला रहे हैं ।” कामाक्षी ने अपनी माँ से कहा जो अंदर पूजा का सामान सहेजने में व्यस्तथी…. कौशल्या जी जल्दी से सिर पर रखी चुनरी सहेज दरवाज़े पर दूल्हे को परिछने आ गई । शादी की रस्में चल ही रही थी कि लड़के … Read more

मकर संक्रांति स्नान –   कमलेश राणा

हे प्रभु ऐसी ठंड क्यों बनाई आपने.. रमा कांपती जा रही थी और भगवान से ढेर सारे सवाल कर रही थी। अरे भाग्यवान.. भगवान को तो बख्श ही दो अब कोई नहीं मिला तो उनके पीछे ही पड़ गई। सारे शरीर की ताकत इनकी जीभ में ही आ गई है अब… हाथ पैर जकड़ गये … Read more

किसकी गलती? – गीता चौबे गूँज

“ज्योति से ज्योति जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो। राह में आए जो दीन-दुःखी, सबको गले से लगाते चलो।।” …आज रेडियो से बजते इस गाने का मतलब नहीं समझ पा रही थी अवनि। एक वह दिन था, जब इस गाने ने उसका वजूद बदल दिया था और आज इस गाने को सुनकर वह तय … Read more

अपनो पर विश्वास – नताशा हर्ष गुरनानी

खेती करके सबका पेट पालने वाले घनश्याम बाबू अब बूढ़े हो चुके थे। बेटा अपनी दुनियां में खुश था। बड़े शहर में बड़ी कंपनी में बड़े पद पर था। पोता उनका कॉन्वेंट में पढ़ता था। बेटा हमेशा अपने पिता को अपने पास रहने के लिए कहता पर वो हमेशा मना कर देते थे। क्योंकि गांव … Read more

ममता – अभिलाषा कक्कड़

पंडित बृजमोहन जैसे ही नहा कर आये तो बहुत ही स्वयं को असहज सा महसूस करने लगे। पत्नी मंगला ने पूछा कि क्या हुआ तो कहने लगे कि कुछ अच्छा नहीं लग रहा जी बहुत घबरा रहा है । तो आज की सारी पूजा कैंसल कर दीजिए !!माना कि शादियों का समय चल रहा है … Read more

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