मम्मीजी आपने मुझे हल्के में ले लिया !! – स्वाती जैंन

नए डब्बे की क्या जरूरत थी ?? इतने डब्बे घर में पहले से रखे हुए हैं सास लता जी बहु मीनू से बोली !! मीनू बोली मम्मी जी आपके हाथ के सारे डब्बे बहुत पुराने हो गए हैं तो मैंने सोचा क्यूं ना धीरे- धीरे नए डब्बे इकट्ठा किए जाए !! लता जी बोली बहु … Read more

स्वाभिमान – आरती झा आद्या

कैसी बात कर रही हो भाभी… भाई नहीं रहा तो क्या? हम तो हैं ही न। वीनू हमारे साथ रह कर पढ़ेगी। तुम चिंता मत करो…वीनू की बुआ माधुरी अपनी भाभी सरिता से कहती है। सच दीदी.. कौन ननद इतना सोचती है..सरिता भाव विभोर होकर माधुरी के दोनों हाथ पकड़ कर कहती है। भाई था … Read more

इसमें पकौड़ों का क्या कसूर – अनिता गुप्ता

“रेखा ! चाय के साथ पकौड़े भी बना लेना। रिमझिम शुरू हो गई है। और हां तुम भी अपनी चाय बालकनी में ही ले आना,साथ में पकौड़ों और बारिश का मज़ा लेंगे।” रितेश ने अखबार में सिर गड़ाए ही आवाज लगाई। थोड़ी देर तक जब कोई जवाब नही आया और न ही पकौड़े, तो रितेश … Read more

दुःख का अथाह सागर – अनीता सिंह तोमर

“अनु!  मेरी कल बहुत जरूरी मीटिंग है मुझे जल्दी जगा देना।” इतना कहकर अंकुर 9 बजे सोने चला गया। अनुष्का ने किचन समेटा अपने सास-ससुर को दूध दिया। इसके बाद जैसे ही लेटी उसका दो साल का बेटा अथर्व जग गया कुछ देर उसको सुलाने में लग गयी इस तरह से उसको सोने में रात … Read more

दर्द और उपहार  – बीना शुक्ला अवस्थी

**** करोना की दूसरी लहर पहली से अधिक भयावह है लेकिन आज अभिलाषा बहुत प्रसन्न है। आज उसे दोहरी खुशी मिली है। पहली – चौदह दिन आइसोलेशन में रहने बाद आज उसकी करोना रिपोर्ट निगेटिव आई है। दूसरी – आज उसने करोना का दर्द सहकर एक वर्ष पूर्व खोई हुई अपनी बेटी मेधावी को फिर … Read more

भाभी मैने चोरी नही की – ममता गुप्ता

“उसके अंतर्मन में हमेशा जंग छिड़ी रहती….की हम ग़रीब हैं तो क्या कोई हमारा अपना सम्मान नही है,अमीर लोंगो को हमेशा ग़रीब लोग चोर ही क्यो नज़र आते हैं…।अरे जब हम लोगों को किसी भी कार्यक्रमों में बुलाने से शर्मिंदगी महसूस होती है,तो फिर बुलाते ही क्यों…? मालती मन ही मन मे एक जंग चल … Read more

एक नया सितारा–कहानी-देवेंद्र कुमार

मुझे गर्मियों की रातें बहुत अच्छी लगती हैं। इसलिए कि उन दिनों स्कूलों की छुट्टियां होती हैं। सुबह मां की पुकार पर बिस्तर से उठना नहीं पड़ता। और रात में हम देर तक बाबा से कहानियां सुनते रह सकते थे। जैसे ही दिन ढलता हम यानी मैं और मेरी बहन राधा पानी की बाल्टी लेकर … Read more

मां का दर्द – माता प्रसाद दुबे

पार्वती देवी कमरे में गुमसुम उदास बैठी दीवार में लगी फोटो की तरफ एकटक तक देख रही थी। उसकी मनोदशा शून्य हो चुकी थी। जब से उसका बड़ा बेटा विकास उसे छोड़कर अपनी पत्नी गीता के साथ शहर में रहने लगा था।तब से अब तक पार्वती देवी हमेशा गुमसुम उदास रहती थी। जिस बेटे को … Read more

सोलह श्रंगार की पहली सीढी   – स्मिता सिंह चौहान।

तुम्हे तो बहुत एक्सपीरियंस है,लगता है काॅलेज मे जिंदगी बहुत रंगीन थी क्या तुमहारी ।”यही एक बात सुरभि सोचने भर से ,ऑखो मे आंसू लिये एक नजर घुमाते हुये अपनी सुहागरात के मुरझाये फूलो को देखती है ,और यकायक उठकर एक कोना चादर पकड़कर जोर से खींचती है ,बैड की साईड टेबल पर लगा लैम्प … Read more

‘एक नई आस्था –  प्रियंका सक्सेना

प्यार के दो शब्दों के लिए तरस गई थी वह लेकिन इस घर में मानो किसी को उसकी जरूरत ही नहीं थी सब अपने आप में व्यस्त रहते हैं। कतरा कतरा होकर बिखर चुका था उसका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान… स्वाभिमान किसे कहते हैं उसे तो शायद मालूम ही नहीं है! सासु माॅ॑ रमोला जी का … Read more

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